रविवार, 2 दिसंबर 2018

जुबली स्टार राजेन्द्र कुमार


जुबली स्टार राजेन्द्र कुमार
हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं.. कोई तुझ-सा नहीं हज़ारों में फिल्म घराने के ये गीत हिन्दी सिनेमा के जुबली स्टार राजेन्द्र कुमार पर फिट बैठता है..  हिन्दी सिनेमा में ऐसे कई महान कलाकार हुए जिन्होंने सिनेमा जगत को खुशी के कई पल दिए… इन्हीं बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं राजेन्द्र कुमार… जिनका आज पुण्यतिथि है... कहते हैं दिलीप कुमार जब अभिनय के सरदार और ट्रेजडी किंग थे तो राजेन्द्र कुमार जुबली स्टार... दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर की तिकड़ी के दौर में राजेंद्र कुमार एक ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने न सिर्फ अपना अलग मुकाम बनाया बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी कामयाबी की नई इबारत लिखी… जुबली कुमार के नाम से मशहूर राजेंद्र कुमार बॉक्स ऑफिस की नब्ज को बखूबी समझते थे. उन्हें पता होता था कि दर्शकों को किस तरह की फिल्म पसंद आएगी और किस तरह की फिल्म उन्हें पसंद नहीं आएगी… राजेन्द्र कुमार का जन्म 20 जुलाई, 1929 को सियालकोट में हुआ था. उनकी शक्ल-सूरत बेशक खास नहीं थी लेकिन मेहनत और लगन बदौलत राजेन्द्र कुमार ने फिल्म जगत में बिना किसी मदद के दर्शकों के हरदिल अजिज हो गये.. यह उनकी खुशनसीबी के साथ-साथ काबिलियत भी थी कि उन्हें पहली ही फिल्म में हिंदी सिनेमा के पहले महानायक दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला. फिल्म का नाम जोगनथा. इसमें उनके साथ नरगिस भी थीं...  राजेन्द्र कुमार ने 1950 और 60 के दशक में कई हिट फिल्में दी. एक वक्त ऐसा भी था जब 1963 से 1966 के बीच उनकी 6 फिल्मों ने लगातार जुबली मनाकर रिकॉर्ड बना दिया था.. इसमें मेरे महबूब’, ‘जिंदगी’,’संगम’,’आई मिलन की बेला आरजूऔर सूरजशामिल हैं.. साल 1960 से 1970 के बीच जुबली कुमार की जिंदगी का गोल्डन पीरियड था.. लेकिन जैसे-जैसे राजेश खन्ना ऊपर चढ़ते गए, राजेंद्र कुमार का सूरज ढलता गया.. राजेन्द्र कुमार को फिल्मफेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में तीन बार नामांकन मिला.. हालांकि उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिल पाया क्योंकि वह दौर कई महान अभिनेताओं का था, जो कुछ मामलों में उनसे बीस नजर आए. मसलन दिलीप कुमार ट्रेजडी किंग थे तो देवानांद रोमांस के किंग थे... लेकिन राजेन्द्र कुमार को जनता ने हमेशा अपना पुरस्कार और सम्मान दिया. उनकी फिल्मों को इस कदर कामयाबी मिली कि उन्हें जुबली कुमार का नाम दिया गया. इस सफलता के बावजूद कुमार के पांव हमेशा जमीन पर रहे. वह निजी जिंदगी में बहुत ही सुलझे हुए इंसान थे... राजेन्द्र कुमार को साल 1969 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. जीवन के आखिरी दिनों में वह कैंसर की चपेट में आ गए और 12 जुलाई, 1999 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।



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