हरदिल अजिज एस डी बर्मन
हिंदी और बांग्ला फिल्मों
में अपनी खास पहचान रखने वाले सचिन देव बर्मन ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में
लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र
संगीत का स्पर्श था...वहीं वेस्टर्न म्यूज़िक का भी शानदार कॉम्बीनेशन था...सचिन
देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 में हुआ था....प्यार से लोग उन्हें एस डी बर्मन बुलाते
थे...बर्मन साहब ने अस्सी से भी ज़्यादा फ़िल्मों में संगीत दिया था...चुपके-चुपके
का मशहूर रोमांटिक गाना, ‘अब के सजन सावन में’, एसडी बर्मन ने 31 अक्टूबर 1975 को इस दुनिया को अलविदा कहने से कुछ समय पहले ही बनाया
था... एसडी बर्मन एक ऐसे विरले संगीतकार थे जो अपने आखिरी वक्त तक न सिर्फ काम
करते रहे बल्कि दिल से युवा भी रहे... इसी तरह अभिमान का हिट गीत, ‘मीत ना मिला रे मन का’
बनाते वक़्त बर्मन
साहब की उम्र 67 साल थी...1971 में जब आरडी बर्मन ‘रैना बीती जाए’ के साथ सफलता की सीढियां चढ़ रहे थे, तो इसी साल एसडी बर्मन ‘मेघा छाये आधी रात’ जैसे गीत की रचना कर रहे थे... एसडी बर्मन की म्यूज़िकल
जर्नी की शुरुआत फिल्म बाज़ी से की जानी चाहिए... हालांकि इसके पहले भी वे सफल
संगीत की रचना कर चुके थे...लेकिन बाज़ी में गीता दत्त का गाया हुआ, ‘तदबीर से बिगड़ी हुयी तक़दीर’ और ‘सुनो गज़र क्या गाए’ ने न सिर्फ एसडी बर्मन को
ऊंचाइयां दीं बल्कि गीता दत्त को भी एक नयी और ‘मॉर्डन’ गायिका रूप में पहचान दिलाई... वहीं लता मंगेशकर के साथ आया
गाना ‘झन झन झन झन पायल बाजे’ खूब चर्चित हुआ...1955 में उन्होंने किशोर
कुमार से ‘जीवन के सफ़र में राही’ गवाया तो इसी फिल्म में हेमंतकुमार और गीता दत्त से युगल
गीत ‘दिल की उमंगें हैं जवां’ गवाया...इसी साल आई फिल्म देवदास में उन्होंने तलत महमूद से
‘मितवा लागी रे ये कैसी’
गाने को आवाज़
दिलवाई... फिल्म प्यासा में ओपी नैय्यर और एसडी बर्मन की जोड़ी ने शानदार संगीत
दिया...वही सुजाता में अपने संगीत से एक अछूत कन्या के दर्द को आवाज़ दी...1960 में आई कागज़ के फूल में ‘वक़्त ने किया
क्या हंसी सितम’ और ‘देखी ज़माने की यारी’
जैसे गीतों को
अपना संगीत दिया...लता मंगेशकर और बर्मन दा की जोड़ी बेमिसाल रही...फिल्म बंदिनी
में दोनों ने कमाल कर दिया...‘मोरा गोरा अंग लै ले’ और ‘जोगी जब से तू आया मेरे
द्वार’ जैसे गीत हर जुबान पर छा
गए... इसी फिल्म में बर्मन दा का खुद का गाया ‘मोरे साजन हैं उस पार’ भी था... एस डी बर्मन औऱ देवआनंद का साथ भी खूब रहा...फिल्म
गाइड तक बर्मन दा देव आनंनद की 12 फिल्मों में म्यूज़िक दे
चुके थे...और फिल्म गाइड के गाने सुपर हिट रहे...इसके बाद कुछ दिन वो संगीत से दूर
रहे और जल्द ही तलाश ,गैम्बलर और शर्मीली के
संगीत के साथ बर्मन दा फिर खूंटा गाड़ चुके थे...इसके बाद 1973 में आई अभिमान के सभी सात गाने सुपर हिट हुए...‘मीत ना मिला रे मन का’
से लेकर ‘पिया बिना पिया बिना’
तक इसमें संगीत
के सभी रंग थे...इसके साथ ही उन्हें 20 साल बाद फिल्मफेयर
अवार्ड भी मिला... 1975 में फिल्म मिली के एक
गाने की रिहर्सल चल रही थी... इसी दौरान एसडी बर्मन की तबीयत बिगड़नी शुरू हुई
जिसके बाद वे कोमा में चले गए और फिर कभी होश में नहीं लौटे.... यह गाना था - ‘बड़ी सूनी-सूनी है जिंदगी ये जिंदगी’.... किशोर कुमार के गाए इस गीत में आज भी संगीत प्रेमी बर्मन दा
के बिछड़ने का दर्द महसूस कर सकते हैं...
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