वो दुनिया का सबसे कुख्यात आतंकी था.. उसका जन्म
1957 में सऊदी अरब के रियाद में हुआ था.. वो अपने
पिता की 52 संतानों में से सत्रहवीं संतान था.. उसके पिता
की 1968 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई
थी... वह शुरू से एक शर्मीला लड़का था और पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं था लेकिन, सऊदी अरब में सिविल इंज़ीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वो कट्टरपंथी इस्लामी
शिक्षकों और छात्रों के संपर्क में आया.. जिसके बाद उसने एक ऐसे संगठन का गठन किया
जिसका उद्देश्य सैन्य अभियान की जगह आतंकी हमले करना था. उसे इराक-कुवैत युद्ध के
दौरान अमेरिकी सेना की सऊदी अरब में मौजूदगी बर्दाश्त नहीं थी.. वह मानता था कि
मुस्लिम जगत अमेरिकी आतंकवाद का शिकार है.. उसने अमेरिका के खिलाफ जिहाद का एलान
करते हुए अपने लड़ाके तैयार किये और दुनियाभर में आतंकी हमले कराए... वो एक अमीर
बाप का बेटा था... वह दूसरे अमीर शहजादों की तरह यूरोप और अमरीका में जिंदगी के
मजे उड़ा सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.. उसने हथियार उठा
लिया और अफगानिस्तान की पहाड़ियों में भटकता रहा... उसने अपने एक बयान में कहा था मेरी
मौत के बाद भी अमरीका के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी... मैं अपनी बंदूक की आखिरी
गोली तक लड़ूंगा. मेरा सबसे बड़ा सपना शहादत है और मेरी शहादत कई ओसामा बिन लादेन
को पैदा करेगी... उसकी आंखे हमेशा अमेरिको को नेस्तनाबूत करने का ख्वाब
देखने लगा और वह एक दिन अमेरिका के वर्ल्ड
ट्रेड सेंटर पर 11 सितंबर 2001 के दिन दिल दहलाने वाला हमला कर दिया.. इस हमले
में हजारों अमेरिकी नागरिक बे-वक्त मौत की नींद सो गए थे और देखते ही देखते
अमेरिका की शान माना जाने वाला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर राख का ढेर बन कर रह गया.. इस
हमले को अंजाम देने के लिए करीब 19 आतंकवादियों ने चार प्लेन को हाईजैक किया था..
दो हवाई जहाजों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर और एक पेंटागन पर गिराया गया था, जबकि चौथा शेंकविले के खेत में गिरा दिया गया था... इस हमले में करीब 3000 लोगों की मौत हुई थी.. घटना को लेकर अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का कहना था कि
इस हमले का निशाना व्हाइट हाउस था.. इस हमले के बाद ही ओसामा बिन लादेन दुनिया का
सबसे खतरनाक आतंकी बन गया.. 9/11 के हमले के बाद से ओसामा बिन लादेन ने पूरी
दुनिया में दहशत फैला दी और खुद अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया... अमरीका में
9/11 के हमले के कुछ घंटे बाद ओसामा ने अपने दोस्तों
का एक मैसेज भेजा जिसमें ओसामा ने लिखा था.. उन लोगों के लिए दुआ, जिन्होंने इस
हमले को अंजाम दिया.. हलांकि ओसामा ने कभी भी 9/11 के उस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली.. अमेरिका उस
त्रासदी से रूबरू हुआ, जिसकी कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी.. इस
घटना से अमेरिका की अर्थ व्यवस्था को एक बड़ा झटका पहुंचा.. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज
और अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज 11 सितंबर 2001 से 17 सितंबर तक बंद रहे.. जब खुले तो बाजार बहुत
गिरा हुआ था.. यह अमेरिकी बाजारों की
सबसे बड़ी गिरावट थी..
9/11 आतंकी हमले को अंजाम
देने वाला शख्स था अलकायदा का खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन.. अमेरिका में 9/11
आतंकी हमले से दुनिया भर में दहशत फैलाने वाले ओसामा बिन लादेन को इसकी प्रेरणा
एजिप्ट एयरलाइन के पायलट से मिली थी, जिसने विमान को अटलांटिक महासागर में जानबूझकर गिरा दिया
था.. 1999 में हुई इस दुर्घटना में 217 लोगों की जान गई थी.. जिसमें 100 अमेरिकी
शामिल थे.. जैसे ही इस कहानी को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन ने सुना वैसे ही
उसके मन में विचार आया कि क्यों न उसने इसे किसी इमारत पर गिरा दिया होता... 1999
में हुई इस दुर्घटना से प्रेरणा लेते हुए ओसामा ने 9/11 हमले का तानाबाना बुनना
शुरू कर दिया.. 9/11 आतंकी हमले में अमेरिकी एयरलाइन के चार विमानों को हाईजैक कर
दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत से टकरा दिया गया था, एक विमान पेंटागन से
टकराया था.. इस हमले में भारी जानमाल की क्षति हुई थी.... 11 सितंबर 2001 की सुबह
न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में काम करने वाले लोगों को शायद इसका अंदाज़ा
नहीं था कि इमारत पर एक बड़ा हमला होने जा रहा है... पहले अमरीकी एयरलाइंस का
विमान ट्रेड सेंटर के उत्तरी टॉवर से टकराया... फिर सत्रह मिनट बाद दक्षिणी टॉवर
से भी एक और विमान टकरा गया... एकाएक हुए इस हमले ने बिल्डिंग में काम कर रहे
लोगों को संभलने तक का वक़्त नहीं दिया.... पहले टॉवर से विमान के टकराने के बाद
दूसरे टॉवर में काम करने वालों में से कुछ ख़ुशनसीब थे, जो बच कर निकल गए..
अमरीका की शान इस ऊँची इमारत पर हुए हमले की निशानी दूर-दूर तक देखी जा सकती थी...
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टॉवर से विमानों से टकराने के बाद न्यूयॉर्क में
अफ़रा-तफ़री का माहौल बन गया था... अभी लोग कुछ समझ पाते तभी एक विमान अमरीकी
रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन से जा टकराया.. पेंटागन पर हुए हमले ने अमरीका
को झकझोर कर रख दिया... और चौथा विमान पेंसिलवेनिया के शांक्शविले में जाकर गिरा
जिसका मलबा दूर-दूर तक फैल गया... न्यूायॉर्क के मैनहट्टन स्थित वर्ल्ड ट्रेड
सेंटर में ज्यादातर ऑफिस और कॉमर्शियल प्रयोग के लिए जगह दी गई थी.. साल 1970 की शुरुआत में इस बिल्डिंग का काम पूरा हुआ और वर्ष 1973 में इसे खोला गया.. 1,300 फीट की ऊंचाई वाली ये
इमारतें अमेरिका की शान बन गई थीं.. उस समय इसे दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग माना
जाता था.. वर्ल्डा ट्रेड सेंटर को स्टील से तैयार किया गया था.. इसकी डिजाइन ऐसी
थी कि यह 200 मील प्रति घंटे से चलने
वाली हवाओं को भी झेल सकता थी और अगर कोई बड़ी आग लग जाती तो भी इस बिल्डिंग को
कुछ नहीं होता। लेकिन यह बिल्डिंग जेट फ्यूल की गर्मी को झेल नहीं पाई और राख हो
गई
हमले को लकेर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि
दुनिया की सबसे शक्तिशाली अमेरीकी वायुसेना चारों अपहृत विमानों में से किसी एक को
भी रोक पाने में क्यों विफल रही? दूसरा बड़ा सवाल यह बनता है कि अमरीका के उप
राष्ट्रपति डिक चेनी ने आदेश दिया था कि सेना इससे दूर रहे और विमानों को रोका न
जाए... जबकी आधिकारिक रिपोर्ट एक असाधारण स्थिति थी, जिसमें कई विमानों का एक
साथ अपहरण हुआ था और विमान में हिंसा भी हुई थी... विमानों की पहचान करने वाले
ट्रांसपॉन्डर्स या तो बंद कर दिए गए थे या बदल दिए गए थे... जिस वक्त ट्वीन टावर
पर हमला हुआ उस समय अमरीकी एयर डिफ़ेंस कमांड में एक नियमित सैन्य प्रशिक्षण
अभ्यास भी चल रहा था... एयर ट्रैफ़िक कंट्रोलर कॉलिन स्कॉगिंस सेना के साथ नियमित
रूप से संपर्क में थे और उन्हें प्रतिक्रिया में कोई कमी नज़र नहीं आई... लेकिन
नागरिक एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल और सेना के बीच संपर्क में कमी थी और भ्रम की भी
स्थिति थी... सैन्य उपकरण भी पुराने पड़ चुके थे और शीतयुद्ध के समय के ख़तरों से
निपटने के लिए ख़ास तौर से समुद्र के ऊपर नज़र रखते थे... हमले को लेकर एक और
गंभीर सवाल उठता है कि दोनों टॉवर्स इतनी जल्दी क्यों गिर गए? जबकि सिर्फ़ कुछ मंज़िलों पर ही एक-दो घंटे तक आग लगी रही... दोनों टॉवर्स को
नियंत्रित तरीक़े से नष्ट किया गया... टॉवर्स के गिरने से पहले धमाकों की आवाज़
सुनी गई. इस तर्क को इससे जोड़ा गया कि क़रीब 10 सेकेंड में इमारत ध्वस्त हो गई.
और इन टॉवर्स में बहुत देर तक आग भी नहीं लगी थी... टॉवर-2 में 56 मिनट तक आग लगी
रही, तो टॉवर-1 में 102 मिनट तक... आधिकारिक रिपोर्ट-
द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नॉलॉजी ने गहन जाँच के बाद ये
रिपोर्ट दी कि टॉवर्स से टकराने वाले विमानों ने आधार स्तंभों को तोड़ दिया और
काफ़ी नुक़सान पहुँचाया.... रिपोर्ट के मुताबिक हमले से कुछ ही दिन पहले फ़ायर
प्रूफ़िंग सिस्टम को भी हटा दिया गया था... एक अनुमान के मुताबिक विमानों से निकले
क़रीब 10 हज़ार गैलन तेल इमारतों में फैल गए होंगे जिसके बाद बिल्डींग में आग लगती
गई... एक हज़ार डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान पहुँच गया और इमारतों की कई मंज़िलें
दबनी शुरू हो गई... चारों ओर लगाई गई लोहे की छड़ें झुकने लगी... इन गिरती
मंज़िलों ने नीचे की मंज़िलों पर भारी दबाव बनाया और फिर ये इमारत इतना भार सहन
नहीं कर पाई.... गिरती इमारत के बीच नीचे के मंज़िलों की खिड़कियों से भारी मात्रा
में मलबे निकलने लगे.... हमले को लेकर एक और सवल उठता है कि कैसे एक शौकिया पायलट
एक व्यावसायिक विमान को चालाकी से उड़ाकर दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना के
मुख्यालय पर दुर्घटनाग्रस्त कर देगा, वो भी एक संभावित अपहरण की पहली रिपोर्ट के 78
मिनट बाद और बिना कोई निशान छोड़े... आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक हवाई जहाज़ का
मलबा और ब्लैक बॉक्स मौक़े से बरामद हुआ... हालांकि शुरुआती वीडियो में ज़्यादा
मलबा नहीं दिख रहा था. लेकिन बाद में आए वीडियो और तस्वीरों से विमान के मलबे और विमान
के आकर टकराने के रास्ते का अंदाज़ा मिला... विमान के चालकदल के सदस्यों और
यात्रियों के अवशेष भी पाए गए और डीएनए से इसकी पुष्टि भी हुई... हलांकि कुछ
प्रत्यक्षदर्शियों ने भी विमान को पेंटागन से टकराते देखा था.
महाशक्ति अमेरिका पर हुए
इस हमले से दहल उठा था हर देश.. दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी एक समय
ऐसा था जब आंतक की आग से बच नहीं सका.. 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुआ आतंकी हमला
अमेरिका के इतिहास का सबसे काला दिन था.. इस हमले से अमेरिका के साथ पूरा दुनिया
दहल उठा और सभी को अपनी सुरक्षा का भय सताने लगा.. ये लाजमी भी था क्योंकि दुनिया
की सबसे बड़ी महाशक्ति पर इस तरह का हमला होना विश्वशांति पर किसी तमाचे से कम
नहीं था.. इस घटना के बाद अमेरिका की आंखों में जैसे खून उतर आया और उसने आतंक के
खिलाफ बिगुल फूंक दिया.. तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को यह अंदाजा
लगाने में अधिक समय नहीं लगा कि यह हरकत ओसामा बिन लादेन और उसके आतंकी संगठन
अलकायदा की थी.. बुश ने अगले ही दिन मौके पर कहा कि दोषी लोगों को नहीं बख्शा
जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी.. दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश माने जाने वाले
अमेरिका पर 9 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी.
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन जैसी इमारतों के पल भर में ढह जाने से दुनिया को
समझ आ गया था कि आतंकवाद का राक्षस किसी भी बड़ी ताकत को निगल सकता है और इससे
निपटने के लिए एकजुट होने की जरूरत है... हमला करने वाले 19 आतंकियों में से 15 सऊदी अरब के थे और बाकी
यूनाईटेड अरब अमीरात, इजिप्ट और लेबनान के रहने
वाले थे. कुछ आतंकी तो यूरोप में रहे और बाद में अमेरिका में रहने में सफल हो गए. 9/11 एक ऐसी घटना है, जिसने दुनियाभर का
आतंकवाद को देखने का नजरिया बदल दिया. पूरी दुनिया अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
पर हमले के बाद हैरान थी. कई देशों ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर दोबारा बैठकर गौर
किया. इस हमले ने यह अहसास करा दिया कि खतरा सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों से आतंकवाद
के घुसपैठ का नहीं है, बल्कि आसमान से भी इस तरह
के खतरे कहर बरपा सकते हैं. अमेरिका की शान माने जाने वाला इस वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
को एक झटके में जिस तरह कुछ आतंकवादियों ने मिलकर बर्बाद कर दिया. इस घटना को पूरी
दुनिया में जिसने भी देखा वह हैरान रह गया.
ओसामा बिल लादेन और उसका संगठन अलकायदा बहुत पहले से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर
हमले की योजना बना रहा था. इस तरह के हमले की योजना ओसामा बिन लादेन ने अपने दिमाग
में बहुत पहले बना रखी थी. ओसामा इस प्लान को बड़ी गोपनीयता के साथ पूरा करना
चाहता था. इस हमले को पूरा करने के लिए ऐसे लोगों की तलाश की गयी जो विदेशों में
आसानी से प्रशिक्षण ले सकें... लादेन ने आतंकियों को इस कदर तैयार किया था कि उन्हें लगा
कि शहीद होंगे और मरने के बाद उन्हें जनंत नसीब होगी. इसके लिए आतंकवादियों को
हवाई जहाज चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. उनको जरूरी ट्रेनिंग मुहैया करायी गयी.
आतंकियों ने प्लेन की हर बारीकियां को समझा और फिर हमले के लिए तैयार हुए... 16
साल बीत जाने के बाद... पूरी दुनिया को दहला देने वाले, 11 सितंबर 2001 के भयावह आतंकी घटना का
डर आज भी करोड़ों लोगों के दिलो में कायम है... हलांकि हमले में ध्वस्त हुए वर्ल्ड
ट्रेड सेंटर की जगह न सिर्फ नई खूबसूरत इमारत तैयार हो गई बल्कि इसे कारोबार के
लिए खोल भी दिया गया।
लोगों को ये भरोसा नहीं
हो रहा था कि कैसे सिर्फ़ चाकू और बॉक्स कटर्स से लैस 19 युवकों ने हवाई अड्डे की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए चार
विमानों का अपहरण कर लिया और फिर 77 मिनट के अंतर पर अमरीकी
शक्ति के तीन बड़े प्रतीकों को नष्ट कर दिया... ये एक चकित करने वाली सोच है.
11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर आतंकवादी
संगठन अल-कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन ने दुनिया को दहला दिया था। जिस तरह विमानों
की मदद से इस हमले को अंजाम दिया गया था, उससे कई सवाल खड़े हुए
थे। लेकिन क्या आपको पता है कि ओसामा को इस तरह का हमला करने का आइडिया कहां से
मिला था?
अमेरिका पर हुए इस हमले
के पीछे अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का हाथ था.. अमेरिका पर हुए इस हमले का
दर्द न केवल अमेरिका में रहने वालों लोगों की आंखों में दिखा बल्कि जिसने भी इस
खतरनाक हमले की तस्वीरें देखी उसका दिल दहल गया।
इस हमले को 16 साल हो गए हैं. हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन
अल-कायदा के कमांडर ओसामा बिन लादेन को भी मार दिया गया है. लेकिन, आज भी इस आतंकी हमले की भयावहता कायम है.
हर सुबह की तरह
अमेरिकियों के लिए भी 11 सितंबर 2001 की तरह आम सी सुबह थी. ऑफिस जाने का वक्त होने लगा था. तभी
सुबह करीब 8.46 मिनट से अमेरिका के सबसे
ऊचे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के एक टावर से धुएं का गुबार नजर आने लगा. जबतक वहां मौजूद
लोग कुछ समझते इससे पहले ही 9:03 मीनट पर एक दूसरा विमान
दूसरे टावर से टकराया. अब सबकी समझ में आने लगा था कि यह कोई बड़ा आतंकी हमला है.
इन दोनों विमान के टकराने के बाद टावर में भंयकर आग लग गयी. टावर में फंसे लोग
बाहर निकलने लगे. कई लोग अपनी जान के साथ दूसरों को बचाने की कोशिश करने लगे. इसी
बीच टीवी में खबर आयी की 9:47 मिनट पर वाशिंगटन स्थित
रक्षा विभाग के मुख्यालय पर भी हमले की कोशिश की गयी है... अमेरिकियों के लिए एक
आम सी सुबह अब बेहद तकलीफ देह और हैरान करने वाली थी. इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बलरुस्कोनी 9/11 के आतंकवादी हमले का मंजर देखने के बाद खुद को रोक नहीं
पाए थे और बिलख पड़े थे।हादसे के बाद कैमरे में कैद
की गई ये तस्वीरें आज भी आपकी आंखों में आंसू छोड़ जाएंगी। यह तस्वीर तब ली गई थी
जब आतंकियों के दो विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जुड़वा इमारतों में टकराए ही थे।9/11 हमलों से पहले की कुछ
घटनाओं पर एक नज़र डालें तो हमलों के महेज़ ६ हफ़्तों पहले 24 जुलाई 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
एक यहूदी रियल स्टेट बिजनेस मैन लैरी सिल्वरस्टीन को 3.2 बिलियन डॉलर में 99 साल की लीज पर दे दिया
गया जिसमें आतंकवादी हमलों को कवर करने वाली 3.5 बिलयन डॉलर की बीमा
पॉलिसी भी शामिल थी इसके अलावा ६, ७ और १० सितम्बर यानि
हमले से महज़ चंद दिन पहले यूनाइटेड एयरलाइंस,बोइंग और अमरीकन एयरलाइंस
के स्टॉक पर ५ से ११ गुना ज़यादा पुट आप्शन रखे गए साथ ही वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से
बम सूंघने वाले कुत्तों को हटा लिया गया और सुरक्षा गाड्र्स की दो हफ्ते से चल रही
बारह घंटे की शिफ्ट को भी खत्म कर दिया गया।हमलों के बाद 9/11 ट्रुथ मुवेमेंट की तरफ से पेश की गयी एक अलग रिपोर्ट में
सन 2005 में मैडरिड के विंडसर
टावर की आग का हवाला दिया गया जोकि 20 घंटों की आग के बाद भी
अपनी जगह खड़ा रहा. इसके अलावा इटालियन सेंटर फॉर मटेरियल डेवलप्मेंट के पोलो मरिनी
ने कहा की ट्विन टावर जिस तरह से ज़मिदोज़ हुए वो पूरी तरह से कंट्रोल्ड डेमोलिशन
था और प्रत्यक्षदर्शियों ने भी बताया की टावर्स के गिरने से पहले उन्हें लगातार कई
धमाकों की आवाज़े सुनाई दी थी जोकि इस बात का प्रमाण है की टावर में जहाज़ के अलावा
कई तरह के धमाके हुए थे साथ ही मलबे में थेरामईट मेटल के अंश मिलने से भी यह साबित
होता है की विमान की टक्कर के बाद लगी आग के तापमान को बढ़ाने के लिए दूसरे संसाधन
इस्तेमाल किये गए थे.9
/11 हमलों के बारे
में अमरीकी सरकार की सभी बातों को सही मान भी लिया जाये तो जो एक यक्ष प्रश्न
सामने आता है वो यह की दुनिया की सबसे ज़यादा सुरक्षित ईमारत जिसकी निगरानी 86 क्लोज़ सर्किट कैमरे और कई एंटी एयर क्राफ्ट मिसाइल करती
हैं उस तक भला एक सिविलियन प्लेन कैसे पहुँच सकता है और यदि यह मुमकिन हुआ भी तो
क्यों आज तक इसका कोई भी विडियो एविडेंस प्रस्तुत नहीं किया गया. सन 2001 में हमलों के कुछ महीनों बाद अमरीकी सरकार ने सन 2002 में हमलों की जांच के लिए न्यू जर्सी के भूतपूर्व गवर्नर
थामस कीन की अध्यक्षता में 9/11 कमीशन बनाया जिसने सन 2004 में हमलों के बारे में
पेश अपनी रिपोर्ट में कहा की इस हमले में शामिल सभी 19 आतंकवादी अल कायदा के थे और हमलों को रोकने में सीआईए और
ऍफ़ बी आई जैसी जासूसी एजेंसियों का खुफिया तंत्र विफल रहा था.
पूरी दुनिया को दहला देने
वाले, 11 सितंबर 2001 के भयावह आतंकी हमले में ध्वस्त हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के
दो टावरों की जगह न सिर्फ एक नई खूबसूरत इमारत तैयार हो गई बल्कि इसे कारोबार के
लिए खोल भी दिया गया। पहले दिन, प्रकाशन जगत की दिग्गज
कंपनी ‘कोन्डे नास्ट’ के 175 कर्मचारियों ने यहां काम
किया।13 साल पहले आतंकवादी हमले
में ध्वस्त हुए दो टॉवरों की जगह तैयार की गई चमकीले रंग की यह गगनचुंबी इमारत ‘वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’
इस बात का प्रतीक
है कि अब यहां सब कुछ सामान्य है।पोर्ट अथॉरिटी ऑफ न्यू यॉर्क एंड न्यू जर्सी के
कार्यकारी निदेशक पैट्रिक फोये ने कहा, न्यूयॉर्क सिटी की रौनक
कायम है। अमेरिका की सबसे उंची इस इमारत का और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थल का
स्वामित्व पोर्ट अथॉरिटी ऑफ न्यूयॉर्क एंड न्यूजर्सी के पास ही है।कुल 1,776 फुट (541 मीटर) उंचे नए टावर से
थोड़ी ही दूर दो स्मारक फव्वारे तैयार किए गए हैं। ध्वस्त हुए टॉवरों की जगह पर
तैयार ये फव्वारे उन 2,700 से ज्यादा लोगों की याद
में बनाए गए हैं जो 11 सितंबर 2001 को किए गए भयावह आतंकवादी हमले में मारे गए थे।कारोबार के
लिए इस इमारत के खोले जाने के पहले दिन, प्रकाशन जगत की दिग्गज
कंपनी ‘कोन्डे नास्ट’ के 175 कर्मचारियों ने यहां काम
किया। समझा जाता है कि वोग, द न्यू यॉर्कर और वैनिटी
फेयर जैसी पत्रिकाओं का प्रकाशन करने वाली यह कंपनी अगले साल के शुरू तक 3,000 और कर्मियों को यहां ले आएगी। कुल 104 मंजिला इस टावर में ‘कोन्डे नास्ट’ ने 25 मंजिलें ले रखी हैं।
निजी तौर पर कंपनी के कुछ कर्मियों ने माना कि वह इस इमारत में काम को लेकर कुछ
परेशान हैं क्योंकि आतंकवादी फिर से इसे निशाना बना सकते हैं। फोये इसका प्रतिवाद
करते हुए इसे अमेरिका में कार्यालयों की सर्वाधिक सुरक्षित इमारत बताते हैं।इस इमारत
के वास्तुविद टी जे गोट्टाडाइनर ने कहा कि स्टील की मदद से कंक्रीट को मजबूती देते
हुए तैयार की गई यह इमारत किसी भी तरह के आतंकवादी हमले से पूरी तरह सुरक्षित है
और अपहृत विमानों के टकराने से ध्वस्त हुए मूल टॉवरों से कहीं ज्यादा मजबूत है।
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