रविवार, 14 जनवरी 2018

मीनाक्षी मन्दिर


मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर…. दक्षिण भारत के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है…. इस मंदिर का वैभव ऐसा, कि देखने के बाद हर कोई आश्चर्य चकित रह जाता है…. प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल देवी मीनाक्षी का ये मंदिर न सिर्फ आस्था का महान केंद्र है बल्कि द्रविड़ कला का बेजोड़ नमूना भी है…. मंदिर की भव्यता को देखते हुए आधुनिक काल के दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल करने के लिए इस मंदिर को भी नामांकित किया गया था.. देवी पार्वती का यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है.. हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव अत्यन्त सुन्दर रूप में देवी मीनाक्षी से विवाह की इच्छा से पृथ्वीलोक पर आए थे.. और देवी मीनाक्षी पहले ही मदुरई के राजा मलयध्वज पांड्य की तपस्या से प्रसन्न होकर मदुराई में अवतार ले चुकीं थीं.. भगवान शिव वहाँ प्रकट होने के बाद उन्होंने देवी मीनाक्षी से विवाह करने का प्रस्ताव रखा जिसे राजा मलयध्वज ने स्वीकार कर लिया.. मीनाक्षी मन्दिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में द्रविड़ वास्तुकला में किया गया है.. मन्दिर के विशाल अन्तर्गृह में अनेक देवी देवताओं की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं.. मीनाक्षी मन्दिर के केन्द्र में मीनाक्षी की मूर्ति है और उससे थोड़ी ही दूर भगवान गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है जिसे एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है... मंदिर के विशाल प्रांगण में शिव मंदिर यानी भगवान सुंदरेश्वर का मंदिर है.. यहां भगवान शिव की नटराज मुद्रा में प्रतिमा है... इस प्रतिमा की विशेषता ये है कि इस मुद्रा में भगवान शिव का बायां की जगह दायां पैर उठा हुआ है.. कहा जाता है कि राजा राजशेखर पांड्य की विनती पर महादेव ने यहां अपनी मुद्रा बदल ली थी.. बायीं ओर मीनाक्षी देवी का मंदिर है.. यहां देवी की अत्यंत सुन्दर प्रतिमा है.. देवी की मूर्ति के सामने बुध ग्रह है.. इसलिए देवी के दर्शन के बाद उस दिशा में पीछे मुड़कर देखते हुए प्रणाम किया जाता है.. हरा पत्थर बुध का प्रतीक माना जाता है इसलिए देवी की प्रतिमा मरगत पत्थर से बनाई गई है.. कहते हैं यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मन्नतें पूरी होती है.. खासकर बुधवार को यहां पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है.. मंडप के पास में ही स्वर्ण पुष्करणी सरोवर है.. फरवरी माह में देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की प्रतिमाओं को सजाकर यहां नौका विहार कराया जाता है.. कहा जाता है कि यहीं उनका विवाह संपन्न हुआ था.. इसलिए इस मौके पर नवविवाहित युगल अपने दांपत्य जीवन की कामना करते हैं....
मीनाक्षी मन्दिर तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है और इस मंदिर को मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर या मीनाक्षी अम्मान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.. मदुरै शहर के हृदय में स्थित मीनाक्षी-सुंदरेश्वर का मंदिर भगवान शिव की पत्नी देवी मीनाक्षी यानी पार्वती को समर्पित है... वैगई नदी के किनारे स्थित यह शहर का़फी खूबसूरत है... मदुरई पहले दक्षिण पांड्य देश की राजधानी रहा है... इस शहर की प्रसिद्धि मीनाक्षी देवी मंदिर के कारण ही है... कहते हैं कि यहां शिवलिंग की पूजा सातवीं शताब्दी से होती आ रही है.... मदुरई स्थित मीनाक्षी मंदिर देश के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है... यहां देश भर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं... इस विशाल भव्य मंदिर का वास्तु कला काफी रोचक है.. मंदिर के इस इमारत में 12 भव्य गोपुरम है, जिन पर महीन चित्रकारी की गई है.. इस मंदिर का वर्णन तमिल साहित्य में प्रचीन काल से होता आया है.. वर्तमान में जो मंदिर है यह 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मंदिर में आठ खंभो पर आठ लक्ष्मीजी की मूर्तियां अंकित हैं.. इन पर भगवान शंकर की पौराणिक कथाएं उत्कीर्ण हैं.. यह मंदिर मीनाक्षी या मछली के आकार की आंख वाली देवी को समर्पित है.. मछली पांड्य राजाओं को राजचिह्न है.. मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 वर्ष से अधिक पुराना माना जाता है.. क़रीब 65 हज़ार वर्ग मीटर में फैले इस विशाल मंदिर के दक्षिण में स्थित इमारत सबसे ऊंची है, जिसकी ऊंचाई 170 फीट है.. कई एकड़ में फैला मंदिर बारह विशाल गोपुरमों से घिरा है…. इनमें से नौ मंजिलों वाला दक्षिणी गोपुरम सबसे बड़ा है जिसकी उंचाई 170 फीट है... वहीं उत्तर दिशा में बना गोपुरम की उंचाई सबसे कम 160 फीट है.. सभी गोपुरम में देवी-देवताओं, किन्नरों और गंधर्वों की आकर्षक आकृतियां बनी है मंदिर परिसर में बने एक हजार खम्भे वाला कमरा भी मुख्य आकर्षण का केन्द्र है.. मंदिर के प्रवेश-द्वार के सामने आठ स्तंभों पर खड़ा है मंडप... शिवजी के मंदिर में प्रवेश-द्वार पर बारह फुट ऊंची अगल-बग़ल द्वारपालों की मूर्तियां हैं... अगले द्वार में नटराज की विशाल मूर्ति है... मंदिर का निर्माण पांडियन राजा कुलशेखर ने कराया था... देवी मीनाक्षी का मंदिर बारहवीं शताब्दी में चट्यवर्मन सुंदर पांड्य के शासनकाल में बना... बाहर की मीनारें तेरहवीं से सोलहवीं शताब्दी के बीच बनीं... नायक वंश के राजाओं ने क़रीब दो सौ वर्ष शासन किया और इस दौरान इसके कई मंडप और हज़ार खंभों वाला सभा भवन बनवाया... मंदिर की चहारदीवारी में चार द्वारों पर चार ऊंची नौ मंज़िली कलात्मक मीनारें हैं... ये मीनारें देखने में का़फी खूबसूरत हैं. यहां के मोट्टेगोपुर मीनार की खासियत यह है कि मीनार से लगे पांच ऐसे शिला स्तंभ हैं, जिनको थपथपाने से मधुर ध्वनि सुनाई देती है...

भारत मंदिरों का देश हैं यहां आपको कई ऐसे खूबसूरत मंदिरों के दर्शन हो जाएंगे जिनको देखने मात्र से ही आप उनकी वास्तुकला पर मोहित हो उठेंगे.. मदुरई दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा शहर है... वैगई नदी के किनारे स्थित मंदिरों का यह शहर सबसे पुराने बसे हुए शहरों में से एक है.. शहर के उत्तर में सिरुमलाई पहाड़ियां स्थित हैं जबकी दक्षिण में नागामलाई पहाड़ियां... मदुरई का नाम "मधुरा" शब्द से पड़ा है... मधुरा का अर्थ होता है मिठास.. कहा जाता है कि यह मिठास दिव्य अमृत से उत्पन्न हुई थी और भगवान शिव ने इस शहर पर अमृत की वर्षा की थी... इस शहर में हर रोज़ 15000 और हर शुक्रवार 25000 से ज्यादा पर्यटक दर्शन करने के लिए आते हैं.. यहां का मुख्य पर्व थिरुकल्याणम है जो अप्रैल से मई के बीच मनाया जाता है इस दौरान यहां 10 लाख से अधिक लोग आते हैं.. गोल्डन लोटस टैंक मदुरई का दूसरा आकर्षण का केन्द्र है.. बताया जाता है कि ये स्थान संगम कवियों का मिलन स्थल भी था.. यहां पर कवि मिला करते थे और एक दूसरे से अपनी कविताओं को साझा करते थे.. यहां आप भगवान शिव के नटराज रूप में नृत्य की मुद्रा में देख सकते हैं.. इस मूर्ति की ख़ास बात ये है कि यहां नटराज अपना दांया पैर उठाये हुए हैं जबकी बाकी दुनिया भर के मूर्तियों में नटराज बायां पैर उठाते हैं.. मदुरई की एक ख़ास बात और है कि यहां आपको जगह जगह दीवारों पर हिंदू धर्म से जुडी हुई कहानियां मिलेंगी जिन्हें खूबसूरत रंगों से बनाया गया है.. आप पूरे शहर में मिनाक्षी और सुंदरेशन के विवाह के चित्रों को भी देख सकते हैं.. हाथी से आशीर्वाद भी मदुरई के प्रमुख आकर्षणों में है.. आप हाथियों को केला देकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.. मदुरई को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है.. मदुरई को चार जंक्शनों का शहर, पूर्व का एथेंस, लोटस सिटी और स्लीपलेस ब्यूटी भी कहा जाता है.. ये सभी नाम शहर की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है.. मदुरई को "स्लीपलेस ब्यूटी" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस शहर में 24 बाई 7 काम करने की संस्कृति है.. इस शहर में कई रेस्टारेंट हैं जो लगभग 24 घंटे चलते हैं और यहाँ रात में भी आवागमन की सुविधा उपलब्ध रहती है..

कभी न खत्म होने वाली आस्था…. भावों की पराकाष्ठा…. दर्शन की दिव्यता….और माता का वैभव जो लौकिक होते हुए भी अलौकिकता का एहसास कराता है……. अगर आप भी इसका साक्षात्कार करना चाहते हैं तो आपको एक बार मीनाक्षी अम्मा के दर्शन के लिए आना पड़ेगा... मदुरई दक्षिण भारत में सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है.. चेन्नई स्टेशन से सीधा यहां पहुंचा जा सकता है.. अगर आप दूसरे राज्यों से यहां आना चाहते हैं, तो पहले आपको चेन्नई जाना होगा... चेन्नई से मदुरई 495 किलोमीटर है... बंगलुरु, तिरुचिरापल्ली और कोयंबटूर से यहां के लिए हवाई सेवाएं भी उपलब्ध हैं... मदुरई हवाई अड्डा देश के बड़े शहर दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और बैंगलोर से सीधा जुड़ा हुआ है.. चेन्नई यहां से निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है.. मीनाक्षी मंदिर मदुरै रेलवे स्टेशन से महज आधा किलोमीटर है। अगर आप मदुरै में सिर्फ मीनाक्षी मंदिर देखना चाहते हैं तो अपना सामान क्लाक रुम में जमा करके मंदिर दर्शन के बाद अगले शहर को प्रस्थान कर सकते हैं। मंदिर में मोबाइल कैमरे ले जाना वर्जित हैं। कैमरे का इस्तेमाल शुल्क देकर किया जा सकता है। दक्षिण के अन्य मंदिरों की तरह यहां भी ड्रेस कोड है। पर पुरुषों के लिए बंदिश नहीं है पर महिलाएं शार्ट्स या स्कर्ट पहन कर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। मीनाक्षी मंदिर में सुबह और शाम दर्शन किए जा सकते हैं। मीनाक्षी मन्दिर में सुबह 5 बजे से दोपहर 12.30 बजे और शाम 4 बजे से रात 9.30 बजे तक आप दर्शन कर सकते हैं..  हर रोज शाम.. मंदिर में देवी की स्तुति में गायन और नृत्य के कार्यक्रम भी होते हैं.. मीनाक्षी मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु ये याद रखें कि उन्होंने कौन से द्वार से प्रवेश किया था.. फिर वापस भी उसी द्वार से निकलें.. वर्ना गलत द्वार से बाहर होने पर आप शहर के किसी और इलाके में पहुंच सकते हैं.. यहां आपको ठहरने के लिए हर रेंज के होटल मिल जाएंगे.. इसके अलावा यहां कई धर्मशालाओं का भी प्रबंध किया गया है.. आने वाले पर्यटक चाहें तो इन धर्मशालाओं में भी रह सकते हैं.. मदुरई मुख्यतः इडली का शहर है.. यहां आपको दिन में किसी भी वक़्त अच्छी क्वालिटी की इडली खाने को मिल सकती है.. इसके अलावा यहां कई रेस्टुरेंट हैं जहां आपको नॉर्थ और साउथ दोनों का खाना मिलेगा.. मदुरई शहर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों की उपस्थिति के लिए भी जाना जाता है.. विभिन्न धर्मों के अवशेष इसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान बनाते हैं। मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर, गोरिपलायम दरगाह और सेंट मेरीज़ कैथेड्रल यहाँ के प्रमुख प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है.. गाँधी म्यूज़ियम, कूडल अल्ज़गर मंदिर, कज़ीमार मस्जिद, तिरुमलाई नयक्कर पैलेस यहां के प्रमुख स्थान है..




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