रविवार, 14 जनवरी 2018

गोमुख का रहस्य


गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है.. ये देश के लिए पूजा है.. भक्ति है, आस्था है.. लाखों-करोड़ों जिंदगियों को आस्तित्व देती है.. लेकिन क्या आने वाले समय में गंगा विलुप्त हो जाएयी..  ये एक बडा रहस्य है... जी हां ये रहस्य है गंगागोमुख का... हर साल पीछे खिसक रहा गोमुख का रहस्य.. गोमुख के गुफाओं पर ग्रहण लगने का रहस्य.. रहस्य गोमुख से साधुओं के गायब हो जाने का.. ये रहस्य सृष्टी का विनाश या फिर कोई श्राप कहना थोड़ा मुश्किल है.. वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक गोमुख लगातार अपनी जगह पीछे की ओर जा रहा है.. वो अब तक 18 किलोमीटर पीछे जा चुका है.. हो सकता है ये सब आपको पहले पता हो.. लेकिन हर कोई इसके पीछे हाने का अलग अलग कहानी बताता है.. और यही कहानियां इसे रहस्य बताती है.. गोमुख का अपने जगह से पीछे की ओर जाना आज भी करोड़ो लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है.. कुछ लोग इसे धर्म से जोड़ते हैं तो कुछ लोग इसे पर्यावरण से.. गोमुख के पीछे जाने का रहस्य बताएं उससे पहले आप इस गोमुख का दर्शन कर लीजिए.. गोमुख के पीछे ना कोई नदी है.. ना कोई सागर है.. ना कोई दूर दूर पानी की बूंदे.. लेकिन गंगा सदियों से इसी तरह से गलेशियर से बाहर निकलती चली आ रही है जिसका नाम है गोमुख.. गोमुख अब गोमुख नहीं रहा.. जी हां हम सच कह रहे हैं.. तस्वीरों में दिख रहा ये गलेशियर इस बात का जीता जागता सबूत है.. गोमुख के लिए कहा जाता था कि ये गाय के मुंह के आकार का एक गलेश्यिर है जिसे गंगा की धारा निकलती है.. लेकिन हर साल हो रहे कुदरत के कहर की वजह से अब ये गलेश्यिर गाय के मुंह जैसा नहीं दिखता.. गोमुख में गलेश्यिर लगातार टूट रहे हैं.. गोमुख के आकार की वो गुफा अब नहीं दिखती.. पहाड़ों के टूटने की वजह से ये जगह बिल्कुल बदल गई है.. गोमुख का आकार बदलने के पीछे कई कहानियां बताई जाती है.. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 साल में ग्लेशियर 850 मीटर पीछे खिसक चुका है.. यानी हर 34 मीटर के हिसाब से ये ग्लेशियर पिघलकर खत्म हो रहा है.. अगर यही सिलसिला रहा तो शायद एक दिन यही जगह गंगा के अस्तित्व को खत्म करने के लिए पहचानी जाएगी.. गोमुख का आकार बदला.. गोमुख अपनी जगह से ना सिर्फ पीछे हुआ बल्कि उसकी धारा भी बदलती जा रही है... वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगर ग्लेशियर इसी तरह पिघलता रहा और पानी का बहाव जारी रहा तो गोमुख का अस्तित्व खत्म हो सकता है.. वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्लेशियर स्थायी नहीं होते और उनमें भ्रंश होते रहते हैं.. ग्लेशियर में बर्फ से ढंके क्षेत्र के अंदर भी गति होती रहती है जिससे वो आगे की तरफ बढ़ता है.. बर्फबारी कम होने से ग्लेशियर पिघलने लगते हैं.. हिमालय में सैलानियों के छोड़े कचड़े और अन्य तरह के मलबे पिछले कुछ समय से पर्यावरणविदों के लिए चिंता का विषय रहे हैं.. गंगोत्री धाम के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु गोमुख जरूर आना चाहते हैं गोमुख दर्शन के लिए बरसात से पहले तक यहां लोगों की भीड़ होती है लेकिन अब शायद लोगों को गोमुख के दर्शन उस तरीके से न हो पाए जैसा अब तक होता आया है...

पतितपावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है क्योंक‌ि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई है.. मान्यता है कि गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली है और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी है... श्री हरि और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने पर गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है.. मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है.. आज भी बहुत से ऐसे लोग जो अपने पाप धोने गंगा नदी में जाते है और इतना ही नहीं गंगा नदी का जल इतना पवित्र है कि लोग इसे अपने घरो में संभल कर रखते हैं... वैसे इसका प्रयोग घर को शुद्ध रखने में भी किया जाता है.. गंगा को स्वर्ग की नदी के समान समझ जाता है.. शायद इसलिए इसे गंगा माता भी कह कर पुकारा जाता है... ये अकेली ऐसी नदी है जिसे भगवान की तरह पूजा जाता है.. गांगा नदी जितनी गहरी है इसके उत्पन्न होने का रहस्य भी उतना ही गहरा है.. पौरानिक कथाओं के मुताबिक गंगा नदी हमेशा से पृथ्वी पर नहीं थी बल्कि उन्हें पृथ्वी पर लाया गया था क्योंकि उनका जन्म तो स्वर्गलोक में हुआ था... कहा जाता है राजा भागीरथ की तपस्या से खुश होकर भगवान् विष्णु ने राजा भागीरथ को अपने दर्शन दिए.. भागीरथ ने गंगा नदी को धरती पर लाने की प्रार्थना की थी.. दरअसल राजा भागीरथ के पूर्वजो की आत्मा को शांति तभी मिल सकती थी जब उनकी अस्थियां गंगा नदी में बहाई जाये.. इसलिए राजा भागीरथ ने भगवान विष्णु से ये वरदान माँगा था.. पर भगवान विष्णु ने कहा कि गंगा बहुत ही क्रूर स्वाभाव की है पर फिर भी वो बहुत मुश्किल से धरती पर आने के राज़ी हो गयी.. पर मुश्किल ये थी कि गंगा नदी का प्रवाह इतना ज्यादा था कि यदि वो धरती पर आती तो सारी धरती सुनामी की तरह बह जाती और नष्ट हो जाती.. ऐसे में भगवान विष्णु ने शिव जी से प्रार्थना की कि वो गंगा को अपनी जटाओं में बांध कर काबू करे ताकि धरती को कोई नुकसान न हो जब गंगा बहुत तीर्व गति से धरती पर उतरी तब चारो तरफ धरती पर तूफान सा छा गया.. ऐसे में भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समा कर एक पतली धार के समान धरती पर उतारा.. इस तरह गंगा का धरती पर प्रवेश हुआ..
वह जगह जहां से मां गंगा का उद्गम शुरू होता है.. यह उत्तराखंड के उत्तर काशी में स्थित है.. अद्भुत सौंदर्य प्राकृतिक सुन्दरता का नाजारा मन ही मन में जयकार करवाता है.. गंगा गौमुख रूपी एक गुफा से ग्लेशियर से निकलती है.. इस जगह तो इसे भगीरथी भी कहा जाता है.. यहां से निकलकर गंगा जब अलकनंदा से मिलती है तो वह गंगा कहलाती है... उत्तराखंड के उत्तर काशी जिला में हिमालय के शिखरों से निकलने वाली गंगा की उद्गम स्थल गौमुख से गंगोत्री की दुरी १८ किलोमीटर है.. गंगोत्री स्थित गौड़ी कुण्ड को देखने से लगता है की शिव जी ने सचमुच अपनी विशाल जटाओं में गंगा को बांध लिया है.. गौड़ी कुण्ड के इस दिव्य दृश्य को देख कर दर्शक आनंद विभोर हो जाता है..  गौमुख को देखने से ऐसा लगता है जैसे देवाधिदेव महादेव ने अपनी स्वर्णिम जटा को गोल में घुमाकर इस गौड़ी कुण्ड में एक लट से गंगा को इस कुण्ड में निचोड़ दिया है.. यहाँ से पहाड़ों के सीना को चिड़ती हुई आगे की ओर भागती है और यहाँ इसे भागीरथी के नाम से पुकारा जाता है.. वैसे देवप्रयाग में सात नदियों की धारा मिलकर गंगा बनती है.. इन सब श्रेष्ठ जीवन दायनी देव नदियों के नाम कमशःभागीरथी, जाह्नवी, भीलगंगा, मंदाकिनी, ऋषि गंगा, सरस्वती और अलकनंदा है.. ये सभी देव नदियां देव प्रयाग में आकर मिलती हैं और ये सप्त धाराएं एक होकर गंगा के रूप में सदियों से बहती आ रही है.. करोड़ों लोगो के लिए जीवनदायिनी गंगा पर एक नया कुदरती संकट खड़ा हो गया है. गंगा की धारा जिस गंगोत्री के गोमुख से निकलती है, वो बंद हो गया है... हालांकि पानी की धारा अविरल गंगा में आ रही है लेकिन इस घटना ने जानकारों को भी हैरत में डाल दिया है... गोमुख ही वह जगह है जहां से गंगा निकलती है और हजारों किलोमीटर में फैली धरती की प्यास बुझाती है... दरअसल गंगोत्री एक ग्लेशियर है और गोमुख इसी का एक हिस्‍सा है. जहां से बर्फ पिघलकर गंगा बनने के लिए आगे बढ़ती है... गोमुख पर लगातार रिसर्च करने वालों के मुताबिक इस बार ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूटने की वजह से गोमुख बंद हो गया है... वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा भी नहीं है कि गोमुख के बंद हो जाने से गंगा में पानी का आना बंद हो गया हो. दरअसल गोमुख का क्षेत्रफल 28 किलोमीटर में फैला हुआ है. ये समुद्रतल से 4000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसमें गंगोत्री के अलावा नन्दनवन, सतरंगी और बामक जैसे कई छोटे-छोटे ग्लेशियर मौजूद हैं... इस बार गंगा की मुख्य धारा नन्दन वन वाले ग्लेशियर से निकल रही है. गोमुख का बंद होना सबको हैरान कर रहा है और गंगोत्री पर शोध करने वाले वैज्ञानिक इसकी पड़ताल करने में जुटे हैं

देश दुनिया में रहस्य बिखरे हुए हैं। ऐसे रहस्य जिन्हें जानकर हम चौंक जाते हैं और एकाएक विश्वास भी नहीं होता है कि ऐसा भी हो सकता है.. राजा भगीरथ के कारण गंगा नदी धरती पर आयी इसलिए उसे भागीरथी भी कहा जाता है.. गंगा नदी  पवित्रता आत्मा को भी शुद्ध कर देती है.. इसलिए गंगा नदी को हमेशा पवित्र रहने दे तभी वो धरती पर आकर समृद्ध रह पायेगी.. गोमुख के आसपास पत्थरों के बीच गुजरती छोटी-छोटी धाराएं बन जाती है चौड़े पाट वाली ऐसी गंगा, जिसकी लहरों से लिखी गई है हमारी सभ्यता और संस्कृति की कहानी... जैसा की नाम से ही प्रतित होता है जहाँ पर गंगा उतरी उस स्थान का नाम है गंगोत्री। ग्लेसियर से गंगा गौमुख में प्रकट होती है.. पानी की बहती तेज धार के पीछे गुफा नुमा जो पहाड़ है उसे ही गोमुख कहा जाता है गोमुख से निकलने वाली पानी की पतली धारा धरती पर आने के बाद गंगा का रूप ले लेती है लेकिन तेज बारिश की वजह से गोमुख के आगे का हिस्सा बिल्कुल बदल गया है या फिर यूं कहें कि भारी बारिश की वजह से गोमुख के द्वार पर पहाड़ और पत्थरों ने जगह बना ली है... 2013 में जब केदारनाथ में तबाही हुई उस वक्त गोमुख में दरारें आ गई थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय के क्षेत्र में हो रही तेज बारिश की वजह से गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख का मुख बह गया है... कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यहां बर्फबारी कम हुई और तापमान में उतार-चढ़ाव अधिक रहा... एक ताजा रिपोर्ट में गंगा के प्रदूषण का जो हाल बताया गया है उससे किसी के भी रोंगटे सिहर सकते हैं.. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के कारण गंगा के उद्गम स्थल गोमुख को गंभीर खतरा पहुंच सकता है.. समुद्र तल से 13,200 फीट ऊंचाई पर स्थित गोमुख से ही भागीरथी नदी निकलती है.. वैज्ञानिकों ने पाया है कि गोमुख से निकलने वाली नदी की धारा की दिशा बदल रही है.. गोमुख एक ग्लेशियर है और पहले इससे सीधे-सीधे भागीरथी निकलती थीं लेकिन अब इसके बाएं तरफ से निकल रही हैं.. गोमुख में एक झील बन गयी है जिसकी वजह से ये परिवर्तन आया है.. इस झील के कारण गंगा लगातार बदली हुई दिशा में बह रही हैं और इसका अंतिम परिणाम गोमुख के नष्ट होने के रूप में हो सकता है.. वैज्ञानिकों के अनुसार गोमुख से निकलने वाली एक धारा भारी बारिश के कारण संभवतः अवरुद्ध हो गयी है.. वहीं गोमुख में मौजूद भारी कचरे के धारा के प्रवाह में बहने का भी खतरा है..
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