रविवार, 14 जनवरी 2018

उड़न तश्तरी



यूएफओ.. यानी की अनयूनिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट जिसे उड़न तश्तरी भी कहा जाता है... आकाश में यह तश्तरी की तरह दिखाई देता है इसलिए इसे उड़न तश्तरी नाम दिया गया... वैसे आकाश में उड़ती किसी अज्ञात उड़ती वस्तु को देखकर भी लोग उसे उड़न तश्तरी का नाम दे देते हैं.. इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं का आकार किसी डिस्क या तश्तरी के समान होता है... और इन्हें धरती की आवश्यकता नहीं होती.. कई चश्मदीद गवाहों की माने तो इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं के बाहरी आवरण पर तेज़ प्रकाश होता है और ये अकेले घुमते हैं.. कई बार इसे झुंड में भी देखा गया है... ये उड़न तश्तरीयां बहुत छोटे आकार से लेकर विशाल आकार में होते हैं... मानव इतिहास में प्राचीन काल से ही उड़न तश्तरीयों का जिक्र होता रहा है.. लेकिन दुनिया भर के कई देशों में पिछले 50-60 साल से उड़न तश्तरीयों का जिक्र कुछ ज्यादा ही हो रहा है... वैज्ञानिकों भाषा में इन्हे यूफ़ोलॉजी कहा जाता है.. उड़न तश्तरीयों के अस्तित्व को आधिकारिक तौर पर दुनिया भर के लोगों में मतभेद है.. लेकिन कुछ देशों में लोग उड़न तश्तरीयों के देखे जाने का दावा करते रहे हैं... और इनके देखे जाने के बहुत सारे रिकॉर्ड भी दर्ज किए गए हैं.. ऐसा माना जाता है की इन उड़ती वस्तुओं का संबंध परग्रही दुनिया से है और जो बिल्कुल अलग दिखती है.. इनके संचालन की असाधारण और प्रभावशाली क्षमता मनुष्यों द्वारा यूज किये जेने वाले किसी भी उपकरण से बिल्कुल मेल नहीं खाती... चाहे वह सैन्य उपकरण हों या नागरिक.. एलियंस और उड़नतश्तरी को लेकर हमेशा लोगों में उत्सुकता रही है। क्या वाकई में इनका अस्तित्व है। क्या पृथ्वी के अलावा कोई ग्रह है जहां पर एक दूसरी दुनिया है जो हम लोगों से ज्यादा विकसित है। क्या भविष्य में इंसान और एलियंस के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा होंगे। या ये सब केवल एक भ्रम है। एलियंस के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए नासा यानी की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन जल्द ही एलियंस से जुड़ी बड़ी घोषणा कर सकता है। यह दावा किया है हैकिंग समूह एनॉनिमस ने। एनॉनिमस के अनुसार अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एलियंस के वजूद को लेकर बड़ा खुलासा करने वाला है... उड़न तश्तरी और एलियंस की मौजूदगी को लेकर अमेरिका के एरिया-51 में लंबे समय से शोध जारी है। एरिया 51 ऐसी जगह है, जिसके बारे में पूरी दुनिया को कुछ मालूम ही नहीं। इसके बारे में अमेरिकी सरकार ने भी अभी कुछ ही साल पहले कहा है कि वो जगह दुनिया में मौजूद है। पर इसके आगे अमेरिकी सरकार ने कुछ भी नहीं कहा। एरिया 51 एक सैन्य इलाका है जो लास वेगास से 80 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहां दूसरे ग्रहों से आए एलियनों के ऊपर शोध किया जाता है। कई लोगों ने तो यहां तक दावा किया है कि उन्होंने कई बार अनआडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को वहां उड़ते देखा है।

उड़न तस्तरी हमेशा से लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा है। कई स्तरों पर उड़न तस्तरी को लेकर शोध और खोज भी होती रही है। लेकिन अब तक इस सवाल का कोई विश्वसनीय जवाब नहीं मिल पाया है। अमेरिका के पेंसिलवेनिया राज्य में पीट्सबर्ग से 64 किमी दूर दक्षिण पूर्व में केक्सबर्ग के जंगलों के उपर एक अज्ञात वस्तु बहुत देर तक मंडराती रही। जिसने इसे देखा वो देखता ही रह गया। लेकिन देखते देखते ये अज्ञात वस्तु आग की लपटों से घिर गई। फिर इसमें एक भयंकर विस्फोट हुआ। इस घटना के तुरंत बाद इस इलाके को घेर लिया गया और किसी को भी वहीं जाने नहीं दिया गया.. बाद में उड़न तश्तरी की बात सामने आई.. हालांकि नासा ने इसे उल्का पिंड का नाम दिया.. रूस में भी साल 1989 में कई बार यूएफओ देखे जाने की खबर आई थी। सबसे पहले 14 अप्रैल 1989 के दिन चेरेपोवेस्क के इवान वेसेलोवा ने यूएफओ देखने का दावा किया था.. 11 जून 1989 के दिन रशिया के वोलागडा की रहने वाली एक महिला ने 17 मिनट तक उड़न तश्तरी देखने की बात कही.. सबसे ज्यादा रोमांचक किस्सा 17 सितंबर 1989 का है जब रूस में ही एक साथ करीब 500 लोगों ने उड़न तस्तरी को देखने का दावा किया था... दरअसल कुछ बच्चे एक पार्क में खेल रहे थे.. तभी वहां एक बहुत बड़ा लाल रंग का अंडाकार यान उतरा.. कुछ देर बाद यान से दो एलियन निकले.. एक करीब 12 से 14 फीट लंबा था और उसकी तीन आंखें थीं.. दूसरा रोबोट जैसा लग रहा था.. बच्चे उसे देखकर चीखने लगे तो उसने एक बच्चे पर लाइट की बीम छोड़ी और बच्चा लकवे जैसी स्थिति में पहुंच गया.. उस जगह की रिसर्च करने पर वहां मिट्टी में रेडिएशन के निशान मिले। वहां फॉस्फोरस की मात्रा ज्यादा पाई गई। वैज्ञानिकों के मुताबिक उस यूएफओ का वजन कई टन था.. रूस में ही तिकोने आकार की दूसरे ग्रह से आई एक उड़नतश्तरी के कारण रूसवासी हैरत में पड़ गए थे.. नार्वे के स्थानीय अखबार के मुताबिक दिसम्बर 2009 में आसमान में नीले रंग का वृत्ताकार प्रकाश देखा गया था लेकिन बाद में बताया गया कि यह रूस से प्रक्षेपित एक असफल रॉकेट था... इससे पहले कई बार यूएफओ यानी की Unidentified flying object मिलने के दावे किये जा चुके हैं. कुछ समय पहले सार्वजनिक की गई अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की रिपोर्ट में दावा किया था कि अप्रैल 1968 में लद्दाख, सिक्किम, भूटान और नेपाल में 6 बार यूएफओ दिखाई दे चुके हैं... रिपोर्ट्स के मुताबिक साउथ लद्दाख, नॉर्थ-ईस्ट नेपाल, नॉर्थ सिक्किम और वेस्टर्न भूटान के ऊपर 6 बार चमकदार ऑब्जेक्ट्स देखे गए थे, इनमें कुछ ऑब्जेक्ट दिखाई दिया जिसमें लाइट जलती और बुझती थी... इसका बेस 6 फीट और हाइट 4 फीट थी... हाल ही में राजस्थान के बॉर्डर पर देर रात उड़न-तश्तरी जैसी कोई चीज़ दिखने का दावा किया गया... तब वह उड़न तश्तरी राजस्थान के जैसलमेर में स्थित पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर इलाके के आस-पास दिखाई दी थी... स्थानीय लोगों के मुताबिक वह चीज़ करीब दो घंटे तक हवा में उड़ती रही, जिसमें से लगातार तेज रोशनी आ रही थी... 2014 में लखनऊ में उड़न-तश्‍तरी देखे जाने की अजीब घटना सामने आई थी. खगोलशास्त्री पहली नजर में इसे यूएफओ मान रहे थे... हालांकि सरकारी तौर पर ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई थी..

जब से उड़न तश्तरी शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ तब से आज तक इंसानों की दिलचस्पी उड़न तश्तरी में जरा भी कम नहीं हुई है। यही वजह है कि उन पर दुनियाभर में कई फिल्में बन चुकी हैं एवं सैकड़ों किताबें लिखी जा चुकी हैं.. दिलचस्प बात यह है कि पिछले 2 हजार साल में अज्ञात वस्तुओं को आकाश में उड़ता देखने का दावा करने वालों की संख्या सैकड़ों थी, लेकिन पिछले 200 सालों में यह संख्या बढ़कर हजारों में पहुंच गई है... उड़नतश्तरी सदियों से रहस्य और उत्सुकता का विषय है। लेकिन अभी तक इसके बारे में कुछ ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। फिलहाल अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा 1965 में हुए यूएफओ की घटना से जुड़े दस्तावेजों को अपने आर्काइव्ज में फिर से खंगालने को तैयार हो गया है.. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का मानना है कि हो सकता है कि इससे उड़नतश्तरी के बारे में भी कुछ जानकारी मिल पाए.. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के एलान ने हलचल मचा दी है. नासा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर कहा कि वह धरती के बाहर जीवन के बारे में कुछ खुलासे करने वाली है... अपनी वेबसाइट पर नासा ने कहा है की.. हम धरती से बाहर जीवन के बारे में मिली कुछ जानकारियों पर बात करना चाहते हैं. ये जानकारियां बाहरी अंतरिक्ष में जीवन के सबूतों को प्रभावित कर सकती हैं... एलियन हैं या नहीं, यह सवाल एक अरसे से पूछा जा रहा है और इसका कोई ठोस जवाब अब तक इंसान के पास नहीं है. लेकिन नासा के इस एलान ने जानकारों के बीच खासी हलचल मचा दी है.. हालांकि नासा ने अपने वेबसाइट पर यूएफओं के लिए ज्यादा कुछ नहीं लिखा है लेकिन लोग इस एलान के कई मायने निकाल रहे हैं...  लोगों का मानना है कि खगोलविदों ने पहली बार सौरमंडल के बाहर के कुछ ऐसे ग्रहों का पता लगाया है जिनका आकार पृथ्वी से बड़ा है... जिन्हें सुपर अर्थ कहा गया है और वैज्ञानिक उसके वातावरण का विश्लेषण करने में कामयाब हो गए हैं.. सौरमंडल के बाहर जीवन खोजने की दिशा में नासा की जानकारी बेहद अहम है... हार्वर्ड-स्मिथजोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स में पढ़ाने वाले जैकब बीन इस अध्ययन के प्रमुख हैं. बाहरी अंतरिक्ष में जीवन के बारे में जैकब बताते हैं, "हमने इन शब्दों को अमली जामा पहनाने की ओर बढ़ते हुए एक अहम मील का पत्थर पार कर लिया है." इस अध्ययन में जीजे 1214 बी नाम के ग्रह का जिक्र है... इसकी परिधि धरती से 2.6 गुना ज्यादा है. इसे पिछले साल खोजा गया था. इसके वातावरण के विश्लेषण के बाद वैज्ञानिक एक धुंधली तस्वीर बनाने में कामयाब हो गए हैं. बीन बताते हैं, "हालांकि हम अब भी निश्चित तौर पर नहीं बता सकते कि इसका वातावरण कैसा है लेकिन इतनी दूर स्थित एक संसार के बारे में जानने के हम बहुत करीब हैं." डॉक्टर बीन ने कहा कि यह ग्रह इतना गर्म है कि वहां जीवन का होना संभव नहीं है. लेकिन यह अन्य किसी भी ग्रह के मुकाबले धरती से बेहद मिलता जुलता है..

अंतरिक्ष रहस्यों से भरा है... किस्से, कहानियों में भी उड़नतश्तरियों का जिक्र होता रहा है... लेकिन उड़न तश्तरी को लेकर विज्ञान अभी तक किसी ठोस नताजे तक नहीं पहुंच पाया है.. विज्ञान अलग अलग ग्रहों में जाकर जीवन टटोलता है. आखिर इंसान के लिए अंतरिक्ष इतना अहम क्यों है... क्या वाक़ई दूसरे ग्रहों पर प्राणी हैं.. इंसान के लिए अंतरिक्ष रहस्यों का खजाना है... कहानियों, फिल्मों में दूसरे ग्रह से आए जीवों से लेकर उड़नतश्तरियों का जिक्र होता है लेकिन इनके साक्ष्य हासिल करने के लिए वैज्ञानिक तमाम परीक्षण और गणनाएं करते हैं.. ब्रह्मांड में करीब 100 अरब गैलेक्सियों का अनुमान है... हर गैलेक्सी में लाखों तारे होते हैं... ऐसे में यह मानना तो नासमझी ही होगी कि इतनी बड़ी जगह में केवल एक धरती पर ही जीवन हो... यूनिवर्स की रचना के बिग बैंग सिद्धांत के मुताबिक एक विशाल विस्फोट के बाद सौर मंडल के तमाम ग्रह अस्तित्व में आए.. दक्षिण अफ्रीका में लगे दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप स्क्वेयर किलोमीटर ऐरे की मदद से हजारों मील दूर तारों को करीब से देखा जा सकता है. इसके अलावा प्रोजेक्ट वैज्ञनिकों का मानना है कि अगर अंतरिक्ष में कहीं कोई जीव हैं और वे अपने संकेत छोड़ रहे हैं तो उसकी पहचान ऐरे के शक्तिशाली एंटीने कर लेंगे... वैज्ञानिकों को भरोसा है कि उनके शक्तिशाली एंटीने अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाएं भी खोज रहे हैं... प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष में कहीं जीवन है और वह अपने संकेत छोड़ रहा है तो उसकी पहचान अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला कर लेगी... अमेरिका के चंद्रयात्री एडगर मिचेल का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि "हम अकेले नहीं हैं." उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि ET, यानी मनुष्यों जैसे इतरलोकीय प्राणियों का भी अस्तित्व है. अमेरिका की सरकार उनके अस्तित्व के बारे में जानती है, लेकिन जनता को जानबूझ कर अंधेरे में रख रही है... विज्ञान के छात्र रहे और एरोनॉटिक्स में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त मिचेल अब 78 वर्ष के हो चले हैं. जुलाई 2008 में भी उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा था कि वे जानते हैं कि इतरलोकीय प्राणी उड़न तश्तरी जैसी चीज़ों में कई बार पृथ्वी पर आ चुके हैं, हम मनुष्यों से संपर्क करने के प्रयास भी कर चुके हैं... रेडियो इंटरव्यू में मिचेल ने कहा था कि "यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं इस तथ्य को जानता हूँ कि इतरलोकीय प्राणी हमारे ग्रह पर आते रहे हैं और UFO के आने जैसी बातें सच हैं... मिचेल जब अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा के लिए काम कर रहे थे, तब इस तरह के "एलियन" के संपर्क में रह चुके "जानकार सूत्र" उन्हें बताया करते थे कि वे "छोटे कद वाले अजीब-से लोग" होते हैं. मिचेल का समझना है कि किसी दूसरी दुनिया से आने वाले ये प्राणी इस पारंपरिक मान्यता से बहुत अलग नहीं हैं कि उनका कद छोटा, आंखें बड़ी-बड़ी और सिर भी काफ़ी बड़ा होता है... कुल मिलाकर उड़न तश्तरी का रहस्य अभी परदे के पीछे ही है। लेकिन जितनी तेजी से दुनियाभर के साइंटिस्ट खोज में लगे हैं, वह दिन दूर नहीं जब इनपर से परदा उठ जाएगा।








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