बुधवार, 19 जनवरी 2022

कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज

 


वो कथक के महराज थे औऱ क्लासिकल डांस के सम्राट कहलाते थे.....वो भारत के प्रसिद्द शास्त्रीय नृत्य कलाकारों में से एक थे.. तभी तो वो अद्भुत प्रतिभा के धनी कहलाते थे.. नृत्य के अलावा हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन पर भी उनकी जबरदस्त पकड़ थी... उन्होंने बहुत कम उम्र से नृत्य का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था.. जी हां हम बात कर रहे हैं अनगिनत सम्मान से सम्मानित पद्म विभूषण बिरजू महराज की जिनके नहीं रहने से आज लखनऊ की ड्योढ़ी सूनी हो गई.. भारतीय संगीत की लय थम गई... सुर मौन हो गए और भाव शून्य हो गए हैं... दिग्गज कथक डांसर पंडित बिरजू महाराज उर्फ ब्रिज मोहन मिश्रा का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है... पंडित बिरजू महाराज के निधन की जानकारी उनके परिवार द्वारा एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दी गई है... पोस्ट में लिखा है... अत्यंत दुख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे परिवार के सबसे प्रिय सदस्य पंडित बिरजू महाराज जी का असामयिक निधन हो गया है... बिरजू महाराज के निधन की खबर आने के बाद से बॉलीवुड और तमाम राजनेता सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बिरजू महाराज के निधन पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने तस्वीर शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, 'भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है... शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति!... पंडित बिरजू महाराज का जाना केवल नृत्य प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी एक अपूर्ण छति है... बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ के 'कालका-बिन्दादीन घराने' में हुआ था... बिरजू महाराज का नाम पहले दुखहरण रखा गया था... जिसे बाद में बदल कर बृजमोहन नाथ मिश्रा कर दिया गया जो आगे चलकर 'बिरजू' और फिर 'बिरजू महाराज' हो गया..... इनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज था, जो 'लखनऊ घराने से थे और वे अच्छन महाराज के नाम से जाने जाते थे... पिता अच्छन महाराज को अपनी गोद में महज तीन साल की उम्र में ही बिरजू की प्रतिभा दिखने लगी थी... किंतु इनके पिता की शीघ्र ही मृत्यु हो जाने के बाद उनके चाचा सुप्रसिद्ध आचार्य शंभू और लच्छू महाराज ने उन्हें प्रशिक्षित किया.. बचपन से मिली संगीत और नृत्य की घुट्टी के दम पर बिरजू महाराज ने अलग अलग प्रकार की नृत्य शैली की रचना की... बिरजू महाराज ने मात्र 13 साल की उम्र में ही दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य की शिक्षा देना आरम्भ कर दिया था... बिरजू महाराज को कई सम्मान मिले.. 1986 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया.. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कालिदास सम्मान भी मिला.. इसके अलावा उन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मानद मिली... 2016 में हिन्दी फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में 'मोहे रंग दो लाल' गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला... 2002 में उन्हें लता मंगेश्कर पुरस्कार से नवाजा गया... 2012 में 'विश्वरूपम' के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का और 2016 में 'बाजीराव मस्तानी' के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला... पंडित बिरजू महाराज के नक्शे-कदम पर कई कोरियोग्राफर्स ने सिनेमा में अपनी पहचान बनाई... जिनमें से एक सरोज खान भी रहीं... पंडित बिरजू महाराज के लिए एक बात कही जाती थी कि वह कथक के साथ रोमांस करते थे. यही चीज भारतीय फिल्मों के लिए की गई उनकी कोरियोग्राफी में भी झलकती है.... पंडित बिरजू महाराज ने खुद भी भारतीय सिनेमा के कई गीतों को कोरियोग्राफ किया और अपनी बेहतरीन कोरियोग्राफी के लिए उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया... बिरजू महाराज का भरापूरा परिवार है... उनके पांच बच्चे हैं.. इनमें तीन बेटियां और दो बेटे हैं... उनके तीन बच्चे ममता महाराज, दीपक महाराज और जय किशन महाराज भी कथक की दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं.. पंडित बिरजू महाराज तो आज हमारे बीच नहीं हैं पर वो अपने नृत्य से वह हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों में जीवित रहेंगे...

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