बुधवार, 19 जनवरी 2022

क्या पृथ्वी की तरह चाँद पर भी भूकंप आते हैं?

                                      

 धरती पर रात के अंधकार में रोशनी देने वाला हमारा चांद बेहद ही खूबसूरत दिखाई देता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धरती की तरह चांद पर भी भूकंप आ सकता हैतो चलिए आज इस सवाल का जवाब इस वीडियो में ढूंढ़ते हैं... दरअसल चंद्रमा शुरू से ही इंसान के लिए कौतूहल का विषय रहा है... हाल में चांद को लेकर हो रहे शोधों में तेजी से इजाफा भी हुआ है... जिसके बाद अब चांद के बारे में हमारी कुछ पुरानी धारणाएं भी बदल गई है... चांद पर हो रहे नये नये रिसर्च में वैज्ञानिकों ने चांद पर चौंकाने वाली गतिविधि का होना पाया है. वैज्ञानिकों को चांद की सतह पर टेक्टोनिक गतिविधि के प्रमाण मिले हैं… वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद पर भी टैक्टोनिक प्लेट खिसकती है, जिससे भूकंप आता है... इस बात का खुलासा एक भारतीय शोध दल के अध्ययन से हुआ है.. अभी तक लंबे समय से यही माना जाता रहा है कि चांद एक मृत खगोलीय पिंड है और उसमें कोई भूगर्भीय गतिविधि नहीं होती... इन सवालों का जवाब मिलता है भारत के चंद्रयान-1 से प्राप्त हुए डाटा से और इस डाटा की व्याख्या की है जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भूविज्ञान, सुदूर संवेदन एवं अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के संयोजक प्रोफेसर सौमित्र मुखर्जी ने प्रोफेसर सौमित्र मुखर्जी ने चंद्रयान के नैरो एंगल कैमरा और लूनार रिकॉनिएसेंस ऑर्बिटर कैमरा से चंद्रमा की सतह की ली गई तस्वीरों का विश्लेषण किया और पाया कि चंद्रमा की सतह के भीतर भी गतिमान टेक्टोनिक प्लेट्स हैं जिनके आपस में टकराने से भूकंप जैसी आपदाएं आती हैं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त इस डाटा के अध्ययन के दौरान उन्होंने चंद्रमा की सतह पर कई ऐसे चिन्ह देखे जो इस बात को स्थापित करते हैं कि चंद्रमा पर भी धरती की तरह टेक्टॉनिक प्लेट्स में हलचल पायी जाती है.. इससे पहले नासा ने 19 नवंबर 1969 को इंट्रेपिड नामक लैंडर से अंतरिक्ष यात्री चार्ल्स पीट कॉनरैड और एलेन बीन को चांद की सतह पर उतारा था... जिसमें से एक तीसरे साथी रिचर्ड गॉर्डन चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर उड़ा रहे थे... ये लोग जिस जगह उतरे थे उसे 'ओशन ऑफ स्टॉर्म' कहते हैं. जहां पर इन अंतरिक्ष यात्रियों ने पहली बार चांद पर भूकंप को रिकॉर्ड किया था... आने वाले दिनों में चंद्रमा को लेकर जिस तरह से अभियान तैयार हो रहे है. हमें चांद के बारे में ज्यादा ठोस जानकारी मिलने की उम्मीद है और हो सकता है हमें अपने उपग्रह को लेकर और भी धारणाएं बदलनी पड़ें.

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