बुधवार, 19 जनवरी 2022

जानिए चुनाव आयोग के बारे में

 

                      

चुनाव आयोग के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा... लेकिन क्या आप जानते है चुनाव आयोग की नियुक्ति कौन करता.. चुनाव आयुक्त का कार्यकाल कितना होता है.. उन्हें वेतन और भत्ता कितना मिलता है.. पहले चुनाव आयोग में कितने सदस्य थे.. निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है भी या नहीं... जैसी बहुत सारी बातें हैं जो शायद आपको मालूम नहीं होगी... दरअसल भारत एक समाजवादी, धर्म निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के साथ साथ विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है... जिस दिन से देश आजाद हुआ तब से संविधान में प्रतिस्‍थापित सिद्धान्तों, निर्वाचन विधियों के मुताबिक नियमित अन्तराल पर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष निर्वाचनों का संचालन किया गया है... भारत के संविधान ने संसद और प्रत्येक राज्य के विधान मंडल के साथ साथ भारत के राष्‍ट्रपति और उप राष्‍ट्रपति के पदों के निर्वाचनों के संचालन की पूरी प्रक्रिया का अधीक्षण, निदेशन तथा नियंत्रण का उत्तरदायित्व भारत निर्वाचन आयोग को सौंपा है.... भारत निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है... संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी.. शुरुआती दौर में आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे.. वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त हैं 16 अक्तूबर, 1989 को पहली बार दो अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी परन्तु उनका कार्यकाल बहुत कम था जो 01 जनवरी, 1990 तक चला फिर उसके बाद 01 अक्तूबर, 1993 को दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी.. तब से आयोग की बहु-सदस्यीय अवधारणा प्रचलन में है, जिसमें निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जाता है... मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्‍ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष, या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। उनका दर्जा भारत के उच्चतम न्यायालय के न्‍यायाधीशों का होता है तथा उन्हें उनके समतुल्य ही वेतन और अनुलाभ मिलते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से केवल संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है.. आयोग के कार्यों में सहयोग देने के लिए सचिवालय के वरिष्‍ठतम अधिकारी के रूप में दो या तीन उप निर्वाचन आयुक्त और महानिदेशक होते हैं... वे सामान्यतः देश  की राष्‍ट्रीय सिविल सेवा से नियुक्त किए जाते हैं.. राज्य स्तर पर निर्वाचन कार्य का अधीक्षण राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा किया जाता है, और आयोग द्वारा इन मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति संबंधित राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित वरिष्ठ सिविल सेवकों में से की जाती है। अधिकतर राज्यों में वे पूर्णकालिक अधिकारी होते हैं और उनके पास सहायक स्टाफ की छोटी सी एक टीम होती है... जिला एवं निर्वाचन क्षेत्र स्तरों पर जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी होते हैं जिन्हें बड़ी संख्या में कनिष्‍ठ पदाधिकारियों का सहयोग मिलता है और वे निर्वाचन कार्य निष्‍पादित करते हैंआयोग के निर्णयों को भारत के उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में उचित याचिका द्वारा चुनौती दी जा सकती है... यदि एक बार निर्वाचनों की वास्तविक प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो न्यायपालिका मतदान के वास्तविक संचालन में हस्तक्षेप नहीं करती है

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