हाथों की चंद लकीरों का...... सब खेल है बस
तक़्दीरों का.. यह लाइन बयां कर रही है कि हाथों की लकीरों में Future लिखा
होता है.. लेकिन अगर किसी के हाथों में किसी कारण बस लकीरे ना हो तो Future तो छोड़िए उसका वर्तमान बचाना मुश्किल होने लगाता है.. पर
सवाल यहां यह उठता है कि अगर हाथ जल जाए या कोई घाव हो जाए या फिर इंसान के हाथों
में लकीर ही ना हो तो उनका आधार कार्ड कैसे बनेगा.. उनका बैंक में अकाउंट कैसे
खुलेगा.. यानी की फिंगर प्रिंट नही तो पहचान नहीं.... ऐसे में आज हम इस वीडियो में
जानते हैं कि आखिर फिंगरप्रिंट होता क्या है.. क्या फिंगरप्रिंट बदल जाता है...
क्या एक इंसान का फिंगरप्रिंट दूसरे इंसान से मैच
करता है.. और क्या ऐसे इंसान भी होते है जिनके हाथों में फिंगरप्रिंट ही नहीं
होते.. ऐसे तमाम सवाल है जिसके जवाब आज आपको इस वीडियो में मिलने वाला है... तो
चलिए बिना वक्त गवाएं आपको बतलाते हैं कि कैसे फिगरप्रिंट के बिना सामान्य जीवन
संभव है भी या नहीं.... इस दुनिया में करोड़ो लोग रहते हैं और हर इंसान एक दूसरे से
अलग होता है... सबके चेहरे भी अलग होते हैं और आदतें भी अलग-अलग होती हैं.. इसी के
साथ हर इंसान की उंगलियों के निशान भी अलग होते हैं.. और इसी निशान को
फिंगरप्रिंट्स कहा जाता है.. जानकार मानते हैं कि एक इंसान का फिंगरप्रिंट्स दूसरे
इंसान के फिंगरप्रिंट्स से कभी मैच नहीं हो सकता है.. और हर इंसान के हाथ की स्किन
दो लेयर की बनी होती है.. पहली पर्त को एपिडर्मिस और दूसरी पर्त को डर्मिस कहा
जाता है... जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे ये परतें भी एक साथ बढ़ती
हैं... इन्हीं दोनों परतों से मिलकर हाथों के स्किन पर फिंगरप्रिंट बनते हैं..
फिंगरप्रिंट इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि आजकल लोग अपने हर महत्वपूर्ण दस्तावेज को
अपने फ्रिंगरप्रिंट से लॉक करके रखते हैं.. स्कूल, कॉलेज, दफ्तर में भी हाजिरी के लिए फिंगरप्रिंट
का ही इस्तेमाल होता है.. महत्वपूर्ण दस्तावेजों को बनाने के लिए फिंगरप्रिंट की
जरुरत पड़ती है.. क्योंकि कोई अपना चेहरा तक बदलवा सकता है, लेकिन
अपने फिंगरप्रिंट को नहीं बदल सकता.. पर यहां सवाल यह उठता है कि अगर किसी
दुर्घटना के चलते उनके हाथ में चोट लग जाए या हाथ जल जाए या इस पर एसिड गिर जाए तब
उस व्यक्ति का कोई जरूरी डॉक्यूमेंट कैसे बनेगा.. या फिर ऐसा भी तो हो सकता है कि
किसी व्यक्ति के हाथ में फिंगरप्रिंट ही ना हो... फिंगरप्रिंट न होने के कारण बायोमैट्रिक आइडेंटिफिकेशन फिर कैसे होगा
ये भी अपने आप के एक बड़ा सवाल है.. हलांकि भारत सरकार ने एसी परिस्थितियों से
सामना करने के लिए कुछ प्रवधान बनाए हैं.. किसी किसी संस्थान में बायोमैट्रिक
आइडेंटिफिकेशन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में इंसान को फोटो के आधार पर भी पहचान कर ली जाती है.. साथ
ही ऐसे लोगों की पहचान फोटो और आंखों की रेटिना के आधार पर पहचान की पुष्टि कर दी
जाती है... रिसर्चर मानते है कि दुनिया में ऐसे कुछ लोग हैं भी जिनके हाथों में
फिंगरप्रिंट नहीं होते हैं.. हलांकि ये एक दुर्लभ स्थिति
है, जिसमें ऊंगलियों पर बारीक लकीरें नहीं होती हैं. इन लकीरों को
अंग्रेजी में डर्मैटोग्लिफ कहते हैं. इनके न होने की स्थिति एक बीमारी है, जिसे
एडर्मेटोग्लीफिया कहते हैं... इस
बीमारी में आदमी की दोनों हथेलियों पर एक मोती खुरदरी परत बन जाती है, जिससे
हाथ की लकीरें खत्म हो जाती हैं... इस वजह से उनके फिंगर प्रिंट स्कैन नहीं हो
पाते हैं... ये स्थिति एक जीन में म्यूटेशन के कारण पैदा होती
है... हलांकि ये बीमारी मां के गर्भ में ही इंसान को हो जाती है लेकिन अब तक यह
पता नहीं चला है कि ये बीमारी क्यों होती है... तो दोस्तों आपके जानकारी में भी कोई ऐसा व्यक्ति हो
जिसे फिंगरप्रिंट को लेकर कोई समस्या हो तो उनको भी इस वीडियों को देखने के लिए
सलाह जरूर दीजिएगा.. अगर आपको यह वीडियो अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर कीजिएगा और
इसी तरह के और भी जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारे YouTube Channel
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