पत्रकार की जुबान मिसाल-ए-हिनदुस्तान... धरा में जन्म लिया धरा पर ही कुर्बान... पत्रकारिता के रास्ते हक की पहचान.. पिछड़ों के मसीहा.... दबे कुचले लोगों का अभिमान... शान-ए-हिनदुस्तान... शान-ए-हिनदुस्तान.. कुशाग्र वुद्धि.. निर्भीक... निडर.. और विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी विनोद दुआ आज हमारे बीच नहीं हैं.. धरती मां के गोद में पलने.. बढ़ने वाले वो धरा पुत्र .. जो जिए तो बस गरीब मजदूर और पिछड़ों के खातिर... इनकी हर सांस में थी समाज के पिछरे वर्गों की आवाज.... हर धड़कन में अन्याय और शोषण के खिलाफ धड़कते शोले... साल 1954 में हिन्दुस्तान की क्षीतिज पर ऐसे सूरज का उदय हुआ जो 67 साल तक आसमान में कोहनूर बनकर चमकते रहे.. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का एक ऐसा निडर जर्नलिस्ट जो भोजन, राजनीति और संस्कृति के क्षेत्र में समान रूप से पकड़ रखते थे। ब्लैक एंड वॉइट युग में दूरदर्शन के साथ अपना करियर शुरू करने और बाद के दशकों में डिजिटल दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले जानेमाने पत्रकार विनोद दुआ कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया... पहली पीढ़ी के टीवी पत्रकारों में विनोद दुआ ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने टीवी पत्रकारिता का आइकॉन कहा जाता है उन्होंने रिपोर्टिंग से लेकर शो होस्ट करने में अपनी अलग छाप छोड़ी है परख, सुरभि और विनोद दुआ लाइव जैसी खबरों की बुलेटिन करने वाले विनोद दुआ का कार्यक्रम जायका इंडिया का उनकी विविधता का प्रमाण है.. विनोद दुआ को साल 1996 में रामनाथ गोयनका पत्रकारिता सम्मान पाने वाले पहले टीवी पत्रकार थे..... उन्हें केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार के वक्त 2008 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था... पत्रकारिता में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए मुंबई प्रैस क्लब ने जून 2017 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट रेड लिंक अवार्ड दिया था.... विनोद दुआ ने विजय नगर के सरकारी स्कूल से मिडिल तक पढ़ाई की थी। उसके बाद वे रूप नगर के धनपतराय स्कूल में चले गए थे और फिर वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में... कह सकते हैं कि विनोद दुआ का युववाणी के माध्यम से मीडिया की दुनिया से पहला साक्षात्कार हुआ था.. यह 1970 के दशक के मध्य की बातें हैं। वे डीयू में पढ़ते हुए युववाणी में कार्यक्रम पेश किया करते थे.... यहां से ही उनकी प्रतिभा को पहचाना शिव शर्मा ने, जो आगे चलकर दूरदर्शन के महानिदेशक बने... उन्होंने विनोद दुआ को 1984 के अंत में चालू हुए जनवाणी कार्यक्रम का एंकर बनाया... तब तक देश ने उन्हें 1984 के लोकसभा चुनावों को टीवी पर प्रणय राय़ के साथ पेश करते हुए देख लिया था... शास्त्रीय संगीत में गहरी रुचि लेने वाले खूबसूरत आवाज के धनी विनोद दुआ महफिलों की शान हुआ करते थे.. विनोद दुआ के आदर्श आज भी हमारे साथ है और हमेशा रहेंगे..
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