मंगलवार, 15 मार्च 2022

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022

 

आज 8 मार्च है और पूरी दुनिया भर में आज महिला दिवस मनाया जा रहा है। महिला दिवस के बहाने आज हम देश-दुनिया की ऐसी महिलाओं को याद करते हैं जिन्होंने वैश्विक पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इस खास दिन को मनाने का मकसद उन महिलाओं की उपलब्धियों, उनके जज्बे, उनकी ऐतिहासिक यात्राओं और उनके जीवन को याद करना होता है। हर साल महिला दिवस किसी ना किसी थीम पर आधारित होता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’ यानी मजबूत भव‍िष्‍य के ल‍िए लैंग‍िक समानता जरूरी है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास एक सदी से भी पुराना है। पहली बार साल 1911 में महिला दिवस मनाया गया था। सबसे पहले साल 1909 में न्यूयॉर्क में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में महिला दिवस का आयोजन किया गया था। फिर 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिए दुनिया भर में इस दिन को मनाया जाता है। भारत में स्त्रियों की दर्जा सर्व श्रेष्ठ है। जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है।

कहा जाता है दुनिया की सबसे अबूझ पहेली कोई है तो वह है स्त्री! कहते है त्रिया चरित्रं पुरुष्यस्यभाग्यं दैवो न जानाति कुतो मनुष्यः। यानी की स्त्री का तत्कालीन चरित्र क्या है और पुरुष का भाग्य कैसा है, ये तो देवता भी नहीं बता सकते, मनुष्य की तो बात ही छोड़ दीजिए। पौराणिक ग्रंथों में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस पूरी सृष्टि को केवल एक ही दिन में बना दिया था। पर जब वह स्त्री की रचना कर रहे थे तो उन्हें 6 दिन से भी ज्यादा का समय लग गया। लेकिन फिर भी उनकी रचना अधूरी ही थी। थक-हार कर प्रतीक्षा में बैठे देवदूतों के सब्र का बांध टूट गया। फिर देवदूतों ने भगवान से पूछा कि है प्रभु आपने इस पूरे संसार को यहां तक कि ब्रह्मांड की असीमित रचना भी पलक झपकते कर दी थी लेकिन आपको स्त्री की रचना करने में इतना समय क्यों लग रहा है। तो भगवान ने कहा यह मेरी अब तक की सबसे अनूठी रचना है। जो बहुत ही अद्भुत है। यह मेरी वह रचना है जिसमें विकट से विकट परिस्थिति को संभालने की शक्ति होगी। यह सबको खुश रख सकती है। यह छोटी मोटी खर्चों से लेकर बड़े से बड़े घाव भी भर सकती है। थके होने पर भी यह लगातार काम कर सकती है और बीमार होने पर भी यह अपना स्वयं देखभाल रख सकती है। इतना सब सुनकर वहां मौजूद देवदूतों ने चकित होकर पूछा कि भगवान यह सब कुछ दो हाथों से कर पाना संभव है। तब भगवान कहते हैं कि इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री को छू कर देखा फिर बोले- प्रभु यह तो बहुत नाजुक है। तो जवाब में भगवान कहते हैं  आप सही कह रहे हो यह बाहर से बहुत ही नाजुक है, मगर इसे अंदर से बहुत मजबूत बनाया है। इसमें हर परिस्थितियों का संभालने की ताकत है। यह कोमल है पर कमजोर नहीं है। देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला- भगवान ये तो गीले हैं। लगता है इसमें से कुछ बह रहा है। भगवान बोले- यह इसके आंसू हैं। जो इसकी ताकत है। आंसू इसको फरियाद करने और प्यार जताने का तरीका है। इतना सुनकर देवदुत ने पूछा- भगवान आपकी रचना अदभुत है।  लेकिन क्या ये संपूर्ण है। भगवान बोले- नहीं, यह संपूर्ण नहीं है। इसमें एक त्रुटि है। इतने गुण धर्म होने के बावजूद भी यह स्वयं अपनी महत्ता से अनभिज्ञ अनजान रहेगी।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि नारी जाति ईश्वर की अब तक की सबसे सुंदर अद्भुत रचना है। दुनिया का प्रत्येक पुरुष किसी ना किसी रूप में नारी पर ही आश्रित है। चाहे वह मां हो, पत्नी हो, या मित्र हो। नारी का कोई भी रूप हो कैसा भी रूप हो, यदि पुरुष नारी का सम्मान करता है तो वह सदैव सुखी रहता है। जैसे साक्षात भगवान शिव शक्ति के बिना अधूरे हैं। ब्यूरो रिपोर्ट ओजांक टाइम्स

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