जब भी हमारे देश में किसी दोषी
को फांसी दी जाती है, तो जल्लाद उसके कानों में कुछ बोलता है.. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिरी जल्लाद अपराधी के कान में क्या कहता होगा..
आज हम अपने इस वीडियो में बताने वाले हैं कि आखिर फांसी क्यों दिया
जाता है.. फांसी देने के नियम क्या हैं.. और फांसी किस जुर्म के अपराधी को दी जाती
है.. यानी की फांसी से जुड़ी हर जानकरी आपको देंगे लेकिन आप इस वीडियो को लाइक और
कॉमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखना मत भूलिएगा.. सदियों से ही देश और दुनिया में फांसी
देने की परंपरा चली आ रही है.. आज भी भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में फांसी की
सजा दी जाती है.. हमारे देश में भी जो बहुत बड़े स्तर की आपराधिक प्रवृति के
अपराधी होते हैं उनको अब भी फांसी की सजा दी जाती है.. हलांकि साल 1983 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए था कि भारत में ‘रेयरेस्ट ऑफ द
रेयर’ यानी सबसे संगीन और घिनौने मामले में ही फांसी की सजा होगी... फांसी की
तैयारी पहले से ही कर ली जाती है.. तय दिन और तय समय पर ही अपराधी को फांसी लगाई
जाती है, लेकिन फांसी लगाने के लिए भी कुछ नियम होते हैं,
जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है.. बिना नियमों
का पालन किए किसी भी अपराधी को फांसी नहीं दी जा सकती.. बता
दें कि फांसी की रस्सी के साथ फांसी का समय.. इसे देने की
प्रक्रिया पहले से ही तय होते है.. इन नियमों का पालन करना
बहुत जरूरी होता है.. किसी भी मुजरिम को फांसी पर लटकाने से
पहले जल्लाद कैदी के वजन का ही पुतला लटकाकर ट्रायल करता है और उसके बाद फांसी
देने वाली रस्सी का ऑर्डर दिया जाता है... दोषी के परिजनों को 15 दिन पहले ही सूचना दे दी जाती है कि वो आखिर बार कैदी से मिल सकें... फांसी
देने से पहले व्यक्ति की आखिरी इच्छा पूछी जाती है. परिवार वालों से मिलना,
अच्छा खान जैसी अन्य इच्छाओं के बारे में पूछा जाता है... जिस
अपराधी को फांसी दी जाती है, उसके आखिरी वक्त में जल्लाद ही
उसके साथ होता है... फांसी पर लटकाने से पहले फांसी देने वाला जल्लाद अपराधी के
कान में कुछ ऐसा कहता है कि आप भी आश्चर्य करेंगे... फिर फांसी के दौरान जल्लाद
चबूतरे से जुड़ा लीवर खींचता है.. इस लीवर को खींचने से पहले वह अपराधी के कान में
बोलता है ’मुझे माफ कर दो.. इसके अलावा
अगर अपराधी हिन्दू होता है तो जल्लाद उसे ’राम-राम’ बोला जाता है.. अगर अपराधी मुस्लिम है तो जल्लाद उसके कान में
’सलाम’ बोलता है... फांसी से पहले जल्लाद अपराधी के कान में और भी कुछ कहता है..
जल्लाद, अपराधी से आगे कहता है कि हम क्या कर सकते हैं,
हम हुकुम के गुलाम हैं.. इतना कहकर जल्लाद फांसी का फंदा खींच देता
है और उसे जब तक लटकाए रहता है जब तक की दोषी के प्राण नहीं निकल जाते. इसके बाद
डॉक्टर दोषी की नब्ज टटोलते हैं. मौत की पुष्टि होने पर जरूरी प्रक्रिया पूरी की
जाती है और बाद में शव परिजनों को सौंप दिया जाता है... फांसी के वक्त जेल अधीक्षक,
जल्लाद, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और डॉक्टर
मौजूद रहते है। अगर इन चारों में से अगर कोई एक नहीं रहता, तो
फांसी की सजा रोक दी जाती है।
Description- फांसी के फंदे पर लटकने
वाले के जो कान में शब्द जाते हैं वो उसके लिए आखिरी शब्द होते हैं और उसके बाद वह
फांसी के फंदे पर झूल जाता है। इसलिए वह इन शब्दों को बता नहीं सकता। फांसी के
फंदे पर टूटने से पहले कान में बोले शब्द सिर्फ जल्लाद ही जानता है, जो कि उसके बाद बता सकता है।
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