मंगलवार, 15 मार्च 2022

क्या हैक हो सकती है EVM, हर चुनाव में क्यों उठते हैं सवाल?

 क्या आप जानते हैं जिस EVM से आप वोट डालते हैं, वो कितने रुपये की आती है? क्या आप जानते हैं जिस ईवीएम से वोटिंग करते हैं क्या उसको हैक किया जा सकता..  उस मशीन की कीमत कितनी होती है… ईवीएम कैसे काम करती है.. क्या होती है ईवीएम?..  पहली बार ईवीएमका इस्तेमाल कब हुआ था.. क्या ईवीएम चलाने के लिए बिजली का उपयोग किया जाता है.. एक ईवीएम में कैंडिडेट की संख्या कितनी हो सकती है? और कौन बनाता है ईवीएम? जैसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब काफी दिलसच्प हैं... आप भी इन सवालों का जवाब जानना चाहते हैं तो हमारे इस वीडियो को अंत तक देखिएगा.. और इस चैनल को सबसक्राइव करना मत भूलिएगा ताकी इस तरह इनफॉर्मेटिक्स वीडियो आप तक पहुंचता रहे.. तो चलिए जानते हैं

आखिर किस तरह से एक ईवीएम जनप्रतिधि चुनने में मदद करती है.. चुनाव आते ही ईवीएम पर चर्चा शुरू हो जाती है, क्योंकि कई बार ईवीएम हैक करने के आरोप भी लगाए जा चुके हैं. जब हर तरह चुनाव और ईवीएम पर बात हो रही है तो इसी बीच हम आपको बताते हैं कि ईवीएम से जुड़ी वो बातें, जो बहुत कम लोग जानते हैं... ईवीएम का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो यूनिट से बनी होती हैं, जिसमें एक तो कंट्रोल यूनिट होता है और एक बैलेटिंग यूनिट... इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या ईवीएम कई बैठक, प्रोटोटाइप की परीक्षण-जांच एवं व्यापक फील्ड ट्रायल के बाद दो सरकारी कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलूर एवं इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, हैदराबाद के सहयोग से निर्वाचन आयोग की तरफ से तैयार और डिजाइन की गई है... भारत में पहली बार नवंबर 1998 में आयोजित 16 विधानसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 5, राजस्थान की 5, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की 6 सीटों पर चुनाव कराये गए थे... ईवीएम 6 वोल्ट की एल्कलाइन बैटरी से चलती है. इस वजह से ईवीएम का इस्तेमाल ऐसे इलाके में भी किया जा सकता है जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है... एक ईवीएम में अधिकतम 3840 वोट दर्ज किए जा सकते हैं. आम तौर पर भारत में एक मतदान केंद्र पर 1500 मतदाता वोट देते हैं. इस हिसाब से एक ईवीएम में पर्याप्त संख्या में वोटर वोट डाल सकते हैं... जब आप वोट डालने जाते हैं तो आपको ईवीएम पर चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न के साथ उनकी फोटो भी दिखती है. इसके साथ ही आपको ईवीएम के साथ वीवीपैट लगी दिखेगी... जब आप वोट डालेंगे तो आपको एक पर्ची मिलेगी जिसमें आपके वोट की जानकारी होगी... ईवीएम ले जा रहे वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम भी लगा होता है, जिससे ईवीएम की लोकेशन का पता चल सके... इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या ईवीएम करीब पांच-मीटर केबल से जुड़ी दो यूनिट-एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट होती है. ईवीएम की कंट्रोल यूनिट मतदान अधिकारी के पास होती है. इसकी बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है. वोटिंग कम्पार्टमेंट के जरिये ही आम मतदाता वोट डालता है... एक ईवीएम में 64 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए जा सकते हैं. एक वोटिंग मशीन में 16 नाम होते हैं और अगर किसी इलाके में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा है तो वहां ईवीएम की संख्या बढ़ा दी जाती है. अगर किसी इलाके में उम्मीदवारों की संख्या 64 से अधिक हो जाए तो वहां मत पत्र का इस्तेमाल करना होगा... अब बात करते हैं ये EVM कितने रुपये की आती है.. चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार.. एम3 ईवीएम की लागत लगभग 17,000 रुपये प्रति यूनिट है.. आपको लग रहा होगा कि यह लागत बहुत ज्यादा है, लेकिन सही मायनों में बेलेट पेपर के मुकाबले ईवीएम से खर्च कम होता है. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, हर निर्वाचन के लिए लाखों की संख्‍या में मतपत्रों की प्रिंटिंग, उनके ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज के अलावा, वोट काउंटिंग स्‍टाफ में होने वाले खर्च की भरपाई ईवीएम से हो जाती है

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