मंगलवार, 29 मार्च 2022

आधुनिक स्टीम इंजन के आविष्कारक जेम्स वाट

 जेम्स वाट एक स्कॉटिक्स खोजकर्ता, मैकेनिक, इंजीनियर थे जिन्होंने भाफ इंजन की खोज कर दुनिया में क्रांति ला दी थी। जेम्स वाट की भाफ इंजन की खोज ने संसार को उर्जा और उष्मा की क्षमता से परिचय कराया। औद्योगिक क्रांति लाने में  वाट की ये महान खोज बहुत ही उपयोगी साबित हुई। जेम्स वाट का जन्म स्कॉटलैंड के ग्रीनॉक नामक स्थान पर 19 जनवरी 1736 ई को हुआ था। उनके पिता एक बढ़ई होने के साथ-साथ नगर के प्रतिष्ठित व्यक्ति भी थे। वाट के पिता जहाजों को सुसज्जित करने और उनके नेविगेशन उपकरणों को सुधारने का काम करते थे। जेम्स वाट रोजाना स्कूल भी नहीं जाते थे, शुरू में उनकी मां ही उन्हें घर पर पढ़ाती थी लेकिन बाद में उनके पिता ने उन्हें ग्रीनॉक ग्रामर स्कूल भेजना शुरू किया। स्कूल के दिनों से ही वाट को मैकेनिकल चीजों में ज्यादा रूचि होती थी लेकिन लैटिन और ग्रीक भाषा की पढाई करने से कतराते थे। जेम्स वाट जब 18 साल के थे तभी उनकी मां की अचानक मृत्यु हो गयी। मां की मृत्यु के बात वाट ने पिता के साथ वर्कशॉप में जाकर मशीनरी सम्बन्धी कार्यो में दिलचस्पी लेने लगे। उस वक्त वाट के पिता की माली हालात भी खराब थे। माता की अचानक मृत्यु और पिता के व्यापार में घाटे ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उन्हें अपरेंटिस का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अपरेंटिस के साथ-साथ पेट भरने के लिए जेम्स वाट को कई छोटे-मोटे कार्य भी करने पड़े।

 

1754 में जेम्स वाट ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर गए जहां एक रिश्तेदार ने वॉट को ग्लासगो विश्वविद्यालय के मशहूर वैज्ञानिक रॉबर्ट डिक से मिलवाया। धीरे-धीरे रॉबर्ट डिक जेम्स वाट की बुनियादी कौशल से प्रभावित हो गये। प्रो. डिक ने वाट को प्रशिक्षण के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया। डिक के सुझाव पर अपरेंटिसशिप करने के लिए वाट लंदन पहुंचे जहां उनकी मुलाकात जॉन मॉर्गन से हुई। प्रो. डिक के कहने पर जॉन मॉर्गन जेम्स वाट को सब कुछ सिखाने के लिए राजी हो गए, जो वे सिखना चाहते थे। इस दौरान वाट को उनके लिए मुफ्त में काम करना था। वाट सात साल का काम एक साल में पूरा करने को तैयार हो गये थे। सप्ताह के पांच दिन वे दस-दस घंटे तक काम करते रहे। वाट हर उपकरण को बनाने का गुर सिखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने हर वर्क-स्टेशन और हर वर्कमैंन के साथ काम किया। बहरहाल कुछ ही दिनों में उन्होंने दो साल से अप्रेंटिसशिप कर रहे साथियों को पीछे छोड़ दिया। नौ महीने में ही वाट पूरी तरह अपने काम में दक्ष हो चुके थे। इस दौरान एक ओर वाट जहां कड़ी मेहनत कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ उन्हें पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पा रहा था। साल खत्म होते होते वाट का शरीर भी जवाब देना शुरू कर दिया जिसके बाद उन्हें रुमेटिज्म के भयानक दौरे पड़ने लगे थे। फिर बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्होंने लदन छोड़कर वापस ग्रीनॉक आ गये। ग्रीननॉक में रहने के दौरान उनकी हिम्मत भी बढ़ी और स्वास्थ्य भी ठीक हुआ। उसके बाद वो ग्लासगो पहुंचे जहां उनके साथ लंदन में खरीदा गया उपकरणों का ढांचा भी मौजूद था। अब वो दुनिया को अपने हाल में सीखे गए हुनर से परिचित कराने को तैयार थे।

ग्लासगो वापस आने के बाद भी वाट की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही थी। वाट चाह रहे थे वो खुद का वर्कशॉप शुरू करें लेकिन उन दिनों ग्लासगो शहर में बिना अनुमति के कोई अपना कारोबार नहीं कर सकता था। इसी दौरान वाट को एक जबरदस्त मौका मिला जो वाट की जीवन को हमेशा हमेशा के लिए बदल डाला। दरअसल ग्लासगो विश्वविद्यालय में एक खगोलीय उपकरण खराब हो गया था जिसे ठीक करने के लिए कुशल मैकेनिक की जरूरत थी। और यह कार्य वाट के जानकार डॉ डिक के पास ही था। डॉ डिक ने वाट को उपकरण ठीक करने के लिए बोला। जिसके बाद वाट अपने कौशल को साबित करते हुए उपकरण को उसी दिन सही कर दिया। इसके एवज में युनिवर्सिटी ने उन्हें पांच पाउंड दिया। इतना ही नहीं वाट के कार्य से खुश होकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें कॉलेज कंपाउंड के भीतर ही एक कमरा दे दिया जो वाट की जिंदगी का एक अहम मोड़ साबित हुआ।

बहरहाल यूनिवर्सिटी में मैथेमिटिकल इंस्ट्रूमेंट मेकर के तौर पर 1757 में वाट को दाखिला मिल गया। यूनिवर्सिटी में जेम्स वाट के कई अच्छे मित्र भी बने। उन मित्रों में जोसेफ ब्लैक और जॉन रॉबिसन ने वाट को बहुत ज्यादा प्रभावित किया। इस बीच वाट का करोबार भी बढ़ने लगा था। जब यूनिवर्सिटी ने उन्हें रहने के लिए मकान दिया था तो शर्तों में यह नहीं था कि उन्हें सिर्फ उनके लिए ही काम करने होगा। इसके उलट उन्हें ठीक गली के सामने एक कमरा दिया गया, जहां वे अपने वर्कशॉप में तैयार उपकरणों को लोगों को बेच सकते थे। इसी दौरान कारोबार को बढ़ाने के लिए वाट ने 1759 में मिस्टर क्रेग के साथ साझेदारी की। क्रेग की साझेदारी ने वाट को बड़ी सफलता दिलाई। कुछ ही दिनों बाद दोनों की सालाना बिक्री बढ़ कर 600 पौंड की हो गई। धीरे-धीरे पूरे ग्लासगो शहर में वाट की पहचान एक ब्रांड के तौर पर होने लगी।

वाट को बचपन से हमेशा वाष्प की क्षमता जानने की उत्सुकता रहती थी। वह अक्सर वाष्प के ऊपर प्रयोग करता रहता था लेकिन कोई बड़ी कामयाबी अब तक नहीं मिली थी। साल 1764 कि बात है न्यूकोमेन जो कि वाष्प के इंजन के पहले अविष्कारक थे उन्होंने वाट को अपने इंजन का नमूना मरम्मत करने के लिए दिया। उस इंजन की मरम्मत करते समय वाट के दिमाग यह बात आई कि इस इंजन में वाष्प आवश्यकता से अधिक खर्च होती है। उसने यह भी विचार किया कि वाष्प की इस बर्बादी का कारण इंजन के बॉयलर का अपेक्षाकृत छोटा होना है। अब जेम्स वाट ऐसे इंजन के निर्माण में लग गया जिसमे वाष्प कि खपत कम से कम हो और वाष्प बर्बाद न हो। वाष्प इंजन के इस समाधान के लिए वह 1 साल तक जूझता रहा। और आखिरकार 1765 में इस समस्या का समाधान उसके हाथ में लग गया। इस समस्या का हल था कि एक अलग कंडेसर का निर्माण करना। वाट ने विचार किया कि बॉयलर से एक अलग कंडेसर हो और उसको बॉयलर के साथ भी जुड़ा होना चाहिए। इस तरह न्यूकेमोन के वाष्प इंजन में सुधार करके नए वाष्प इंजन का निर्माण जेम्स वाट का प्रथम और महानतम आविष्कार था।

भाप में कैसी ताकत होती है और उस ताकत को दूसरी चीज़ों को चलाने और घुमाने में कैसे लगाया जाए इसके बारे में जेम्स वाट कई दिनों तक सोचता रहा। चाय की केतली की नली के आगे तरह-तरह की चरखियां बनाकर उसने उन्हें घुमाया और थोड़ा बड़ा होने पर उनसे छोटे-छोटे यंत्र भी चलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे        कठोर परिश्रम और लगन के बाद जेम्स वाट ने अपना पहला स्टीम इंजन बना लिया।

साल 1782 में वाट ने दोहरा कार्य करने वाले इंजन का आविष्कार किया। इस इंजन का पिस्टन दोनों कार्य करता था- आगे की और धकेलता था और पीछें की और खींचता था। उस इंजन से काम लेने के लिए यह आवश्यक था कि पिस्टन को बीम के साथ जोड़ा जाए ताकि बीम हिल न सके। फिर वाट को गुप्त ताप की खोज की घटना के बाद भाप सम्बन्धी शक्ति पर गया। उन्हीं दिनों विश्वविद्यालय में एक धीरे-धीरे काम करने वाला अधिक ईधन खपत करने वाला एक इंजन मरम्मत के लिए आया। जेम्स ने इसे सुधारने का बीड़ा उठाया और उन्होंने उसमें लगे भाप के इंजन में एक कण्डेन्सर लगा दिया, जो शून्य दबाव वाला था, जिसके कारण पिस्टन सिलेण्डर के ऊपर नीचे जाने लगा। पानी डालने की जरूरत उसमें नहीं थी। शून्य की स्थिति बनाये रखने के लिए जेम्स ने उसमें एक वायु पम्प लगाकर पिस्टन की पैकिंग मजबूत बना दी। घर्षण रोकने के लिए तेल डाला और एक स्टीम टाइट बॉक्स लगाया, जिससे ऊर्जा की क्षति रुक गयी। इस तरह वाष्प इंजन का निर्माण करने वाले जेम्स वाट पहले आविष्कारक बने।

दुनिया में औद्योगिक क्रांति लाने वाले जेम्स वाट ने बचपन में ही भाप की शक्ति को भांप लिया था और अपनी इसी विश्लेषण शक्ति के बल पर वह आगे चलकर भाप का इंजन बनाने में सफल हुए। जेम्स वाट के अविष्कार से जहां रेल इंजन बनाने में सफलता मिली वहीं इससे पूरी दुनिया में औद्योगिक क्रांति आ गई। जेम्स वाट की कार्य कुशलता के चलते साल 1800 में ग्लास्को विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर और लौज की मानद उपाधि से सम्मानित किया। साल 1814 में विज्ञान अकादमी द्वारा जेम्स वाट को सम्मानित किया गया। वृद्धावस्था में उन्हें राजनीतिक विरोधो के साथ-साथ पारिवारिक दुखों का भी सामना करना पड़ा। और अंतत: 25 अगस्त 1819 को 83 साल की उम्र में दुनिया को महान खोज देने वाले इस अविष्कारक का निधन हो गया।

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