ड्रोन का नाम आते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले एक बात यह उभर कर आती है कि यह कहीं न कहीं सुरक्षा से जुड़ी प्रणाली है या दुश्मनों से लड़ने के लिए इस्तेमाल की जाने वाला हथियार है। लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि ड्रोन जल्द ही आधुनिक कृषि प्रणाली की दिशा में एक नया अध्याय बनने जा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में कीटनाशकों और अन्य कृषि सामग्री के उपयोग के लिए 100 किसान ड्रोन को हरी झंडी दिखाकर देश में कृषि क्षेत्र के लिए एक नये युग की शुरुआत की है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि मैं विश्वास करता हूं कि ड्रोन के क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमता दुनिया को एक नया नेतृत्व देगी। तो आज इस वीडियो में हम बताने जा रहे हैं कि आखिर ड्रोन में ऐसा क्या है जिसकी वजह से एग्रीकल्चर सेक्टर में इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है।
साधारण शब्दों में बात करें तो, किसान ड्रोन कीटनाशकों और पोषक तत्त्वों से भरा एक मानवरहित टैंक है,
जिसकी लगभग 5 से 10 किलोग्राम की क्षमता होती है। किसान ड्रोन से सिर्फ 15 मिनट
में 1 एकड़ ज़मीन पर 5-10 किलोग्राम कीटनाशक का छिड़काव संभव है। इससे समय की बचत
होगी और कम मेहनत में छिड़काव समान रूप से किया जाएगा। कई कीटनाशक इंसानों के लिये
खतरनाक भी साबित होते हैं वहीं इंसानो के द्वारा इनका छिड़काव एक समान नहीं होता।
जबकी ड्रोन की मदद से सुरक्षित तरीके से फसलों पर एक समान कीटनाशक का छिड़काव किया
जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में ड्रोन का उपयोग खेतों से
सब्जियों, फल, मछली जैसे कच्चे मटिरियल
को बाज़ारों तक ले जाने में भी यूज किया जाएगा। मतलब साफ है कि जहां किसान को
मैन्युअल पहुंचा संभव नहीं होगा वहां ड्रोन आसानी से पहुंच कर काम कर लेगा।
भारत में फिलहाल ड्रोन सेक्टर अभी शुरुआती स्तर पर है। हलांकि पहले के
मुकाबले देश में ड्रोन के नियम सरल हुए हैं और ड्रोन को सरकार की नीतियों में
प्रमुखता दी गई है। तभी तो वित्तमंत्री ने इस साल अपने बजट में किसान ड्रोन का भी प्रस्ताव
रखा है। दरअसल दुनिया भर में ड्रोन का एग्रीकल्चर सेक्टर में इस्तेमाल बढ़ता जा
रहा है। इससे एक तरफ पैदावार को बेहतर करने में मदद मिल रही है तो दूसरी तरफ एक
पूरा नया सेक्टर उभर कर सामने आ रहा है जो रोजगार से लेकर आमदनी के लिए नये अवसर प्रदान
कर रहा है। इसका असल वजह यह है कि ड्रोन इंसानों के मुकाबले काफी तेजी के साथ काम
करता है।
आज दुनिया भर के देशों में ड्रोन के जरिये कृषि कार्य किया जा रहा है।
वहां फसलों पर नजर रखने के लिए किसान खेतों में नहीं जाते है। बल्कि खेतों से दूर
रहकर अपनी फसलों का निगरानी रखते हैं। विदेशों में इस्तेमाल हो रहे ड्रोन पर लगे
कैमरे इतने हाईटेक होते हैं कि ऊंचाई से ही प्रभावित फसलों पर करीब से नजर रख सकते
हैं और इनको रिकॉर्ड कर सकते हैं। ड्रोन से लिए गये लाइव तस्वीरों के बदौलत दूर
बैठे विशेषज्ञों का दिखकर पूछ सकेते हैं कि फसल पर कौन सी बीमारी या कीट लगे हैं
और उनसे बचने का उपाय क्या है।
आपको शायद याद होगा कि पिछले साल जब देश में टिड्डी दल ने हमला किया
था तो उन्हें भगाने के लिये ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। दरअसल ड्रोन के रोटर
ब्लेड से निकलने वाली आवाज का इस्तेमाल कर किसान जानवरों को बिना नुकसान पहुंचाये
फसलों को बचाते हैं। ग्रामीण इलाकों की मैपिंग हो या फसलों की बुआई के एरिया की
माप, ड्रोन कई तरह की
संभावनाएं लेकर आया है। सरकार गावों में रहने वाले लोगों की संपत्ति के दस्तावेज
बनाने के लिये ड्रोन का इस्तेमाल पहले से ही कर रही है। वहीं अब ड्रोन कंपनियां
ऐसी सुविधा दे रही हैं कि किसान अपने खेत की माप से लेकर फसल की बुआई का एरिया जान
सकता है।
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