मंगलवार, 15 मार्च 2022

मेटावर्स। सितारों के आगे जहां और भी है!

 आज लोग चांद पर जाने की सोच रहे हैं। पर ये सपना कब पूरा होगा फिलहाल कहा नहीं जा सकता। लेकिन इससे पहले एक दूसरी दुनिया में लोग प्रवेश कर लेंगे और वो दुनिया है मेटावर्स। नये जमाने का मेटावर्स अपने आप में एक दुनिया तो है पर ये असली नहीं है। इसे आप वर्चुअल दुनिया के नाम से जान सकते हैं। इस वर्चुअल दुनिया में भी आप जमीन खरीद कर वहां घर बना सकते हैं। बिजनेस कर सकते हैं और पैसा भी कमा सकते हैं। अगर आप म्यूजिशियन हैं तो मेटावर्स की दुनिया में कॉन्सर्ट कर सकते हैं। आर्ट गैलरी लगा सकते हैंया यूं कहें कि आप वहां वो सबकुछ कर सकते हैं जो असल दुनिया में करते हैं। आज हम अपने इस वीडियो में बताने वाले हैं कि आखिर मेटावर्स किस तकनिक का नाम है और ये कैसे काम करता है। मेटावर्स का भविष्य क्या है और ये आने वाले दिनों में कैसे लोगों को प्रभावित करेगा। क्या अगले कुछ सालों के अंदर मेटावर्स इंटरनेट को रिप्लेस कर देगा? जैसी कई बाते है जो आज हम डिटेल से बाता रहे हैं।

पिछले साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने अपने नाम बदलकर Meta कर लिया था। जिसके बाद लोग यह अंदाज लगाने लगे थे कि कंपनी अब अपना फोकस मेटावर्स टेक्नोलॉजी पर करेगी। इसके बाद से ही मेटावर्स नाम चर्चा में आया और अब धीरे-धीरे लोगों के बीच इसका उपयोग भी किया जा रहा है। आप में से भी कई लोगों ने मेटावर्स का नाम सुना होगा, लेकिन आपके बीच कुछ ऐसे भी लोग होंगे जिन्हें शायद मेटावर्स का नाम भी नहीं सुना होगा।

सबसे पहले मेटावर्स के बारे में जानते हैं कि आखिर यह कौन सी तकनीक है जो लोगों की बीच काफी चर्चा में है। दरअसल मेटावर्स एक काल्पनिक दुनिया है जहां आप वर्चुअली एंट्री करते हैं लेकिन आपको अहसास होगा कि आप फिजिकली उस जगह पर मौजूद हैं। साधारण शब्दों में कहें तो मेटावर्स एक आभासी दुनिया है जहां आपकी एक अलग पहचान होती है। इस वर्चुअल दुनिया में आप घूमने फिरने के अलावा दोस्तों के साथ पार्टी भी कर सकते हैं। यानी की मेटावर्स के बदौलत आप घर बैठे ही अपने अवतार के जरिए डिजिटल स्पेस में एक दूसरे से मिल सकेंगे, बातें कर सकेंगे और साथ में गेमिंग भी कर सकेंगे। यहां तक कि डिजिटल स्पेस में अपने अवतार के जरिए आप दुनिया भर की वर्चुअल ट्रिप्स भी कर सकते हैं। जैसे असली दुनिया में मकान बनाने या दुकान खोलने के लिए आपको लैंड की जरूरत होती है। ठीक इसी तरह मेटावर्स में रहने के लिए, दुकान खोलने के लिए, खेलने के लिए या कॉन्सर्ट आयोजित करने के लिए लोग वर्चुअल प्लॉट खरीद रहे हैं। इसलिए मेटावर्स में आए दिन जमीन खरीदने के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी की प्रशांत महासागर के पश्चिमी हिस्से में कैरेबियन द्वीप स्थित एक देश बारबाडोस ऐसा पहला देश बन गया है जिसने मेटावर्स में अपनी एंबेसी खोलने का ऐलान किया है। बारबाडोस मेटावर्स के डिसेंट्रालैंड में अपना डिप्लोमैटिक कंपाउंड तैयार कर रहा है। आने वाले समय में कई देश बारबाडोस की तरह अपना एंबेसी खोलेंगे। ऐसे में हम कह सकते है कि धीरे-धीरे ट्रेंड बदलेगा और वो दिन दूर नहीं जब लोग स्मार्टफोन से ज्यादा मेटावर्स में समय बिताने लगेंगे।

       ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य की दुनिया जिसमें लोगों की पलक झपकते ही हर प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध हो सकेगी। और यह भी बताया जा रहा है कि जिस प्रकार से वर्तमान की जिंदगी लोगों की निकल रही है, उसी प्रकार से वर्चुअल लाइफ में भी लोग आसानी से जी पाएंगे। एक वेबसाइट है https://decentraland.org/ ये वर्चुअल वर्ल्ड का बेहतरीन उदाहरण है। इस वेबसाइट पर आपको अलग वर्चुअल वर्ल्ड मिलेगा, जिसकी अपनी करंसी, इकोनॉमी और जमीन भी है। आप यहां क्रिप्टोकरंसी से जमीन खरीद सकते हैं, उस पर अपने हिसाब से घर बना सकते हैं। इस वर्चुअल वर्ल्ड में आपको नौकरी भी मिल सकती है।

सपोज कीजिए आप वर्चुअल वर्ल्ड में किसी सड़क किनारे टहल रहे हैं। एक दुकान पर आपने एक फ्रिज देखा, जो आपको पसंद आ गया। आप उस दुकान पर गए और डिजिटल करंसी से उस फ्रीज को खरीद लिया। अब वो फ्रिज आपके रेसिडेंशियल एड्रेस जहां आप रहते होंगे पर डिलिवर हो जाएगा, यानी आपको वर्चुअल शॉपिंग एक्सपीरिएंस मिलेगा, लेकिन ये शॉपिंग रियल होगी।

अगर आप भी मेटावर्स की दुनिया में जाना चाहते हैं तो इसके लिए आप कुछ बेसिक चीजों की जरूरत होगी. इसके लिए सबसे पहले आपको लैपटॉप, हाई स्पीड इंटरनेट और वीआर हेडसेट की जरूरत होगी। आने वाले समय में मेटावर्स में आपको हेंडसेट गियर की भी जरूरत होगी। फेसबुक ने पहले ही मेटा नाम से एक मीटिंग सॉफ्टवेयर लॉन्च कर दिया है। हॉरिज़न वर्करूम्स नाम का ये सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए है। इसे ऑक्युलस वीआर हैडसेट्स के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। ये मीटिंग के लिए ऐसा एन्वायरमेंट बनाता है, कि पहली बार में यकीन कर पाना मुश्किल होता है.

पहले सिर्फ फोन पर ही बातें की जाती थी। पर इंटरनेट आने से वीडियो कॉल होने लगी। अब आमने सामने बैठ कर लोग आराम से बात कर रहे होते है। ऐसे ही जब मेटावर्से आएगा, उसके द्वारा हम एक रियल वर्ल्ड की तरह जी पाएंगे। हम दूर होकर भी एक दूसरे के आमने सामने बैठ कर बात कर पाएंगे। एक दूसरे को छू पाएंगे। हाथ मिला पाएंगे। इसी के साथ गले भी लग पाएंगे। यह सब वर्चुअल वर्ल्ड के द्वारा संभव है।

20 से 30 साल पहले शायद ही किसी ने ये सोचा होगा कि दुनिया इंटरनेट पर डिपेंडेंट हो जाएगी। इसी तरह अगर किसी को लगता होगा कि मेटावर्स फ्लॉप हो जाएगा तो आप गलत हैं। क्योंकि Web 3.0 के तौर पर मेटावर्स एक सॉलिड फ्यूचर की तरह दिख रहा है। जानकार मानते हैं कि मेटा वर्स अपने शुरुआती समय में बहुत ही महंगे होंगे और यह हर कोई उपलब्ध नहीं करवा पाएगा। जैसे-जैसे इसकी जगह से ज्यादा डेवलपमेंट होगी, उसी के हिसाब से यह सस्ता होता जाएगा और सभी लोगों तक पहुंच भी पाएगा।

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