मंगलवार, 15 मार्च 2022

जब अंडा पूरी तरह से पैक होता है तो चूजे को ऑक्सीजन कहां से मिलती है?

 धरती पर जितने भी जीव जन्तु हैं यानी की जितने भी लिविंग थिंग्स है सभी के लिए ऑक्‍सीजन की जरूरत होती है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो इंसान से लेकर पशु पक्षी यहां तक की पेड़-पौधे को भी ऑक्‍सीजन ना मिले तो उन्हें जिंदा रहना संभव नहीं है। लेकिन एक और बात यहां हम आपको बताना चाहेंगे की जन्म लेने के पहले जीव कैसे सांस लेते होंगे। ये सोचने का विषय है। वैसे इंसानी बच्चे तो मां के गर्भ में पलते हैं, लेकिन पक्षियों को लेकर सोचें तो थोड़ा दिमाग पर बल जरूर पड़ने लगता है। क्यों कि किसी भी पक्षी के अंडे पूरी तरह से बंद होते हैं। सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में उसके अंदर मौजूद चूजा यानी भ्रूण जीवित कैसे रहता है। उन्हें ऑक्सिजन कहां से मिलती है ये सचमूच आश्चर्य की बात है। आप भी सोच रहे होंगे कि पूरी तरह से बंद अंडे में मौजूद चूजा आखिर जिंदा कैसे रहता है। और उसे ऑक्‍सीजन कहां से मिलती होगी! आइए, इसका जवाब ढूंढते हैं इस वीडियो में।

                 आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस सवाल तक पहुंचने में इंसान को कई साल लग गए उसका जवाब भगवान ने पक्षियों की जन्म की प्रक्रिया निर्धारित करते समय ही दे दिया था। दरअसल अंडा तो आप खाते ही होंगे। नहीं भी खाते होंगे तो देखा तो जरूर होगा। आप जब भी अंडा देखते होंगे तो गौर करते होंगे कि यह एक कठोर शेल की तरह होता है। बाहर से देखने पर हमें मालूम चल जाता है कि यह पूरी तरह से पैक है। लेकिन क्या सच में ऐसा है? जी हां ये जैसा दिखता है वैसा कतई नहीं है। दरअसल अपनी बनावट के चलते आपको ऐसा लगता है अंडा पूरी तरह से पैक है पर ऐसा है नहीं। दरअसल, अंडे के नीचे एक तरह की झिल्लियां होती हैं जो सामान्य तौर पर हमें नजर नहीं आती है। और इन्हीं झिल्लियों के बीच छोटी वायु कोशिकाएं होती है जिसके अंदर ऑक्सीजन भरी होती है। हर पक्षी के अंडे के साथ यही विज्ञान होता है।

दरअसल, वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि अंडे के सख्त कवच के अंदर सटी हुई एक सफेद रंग की झिल्ली होती है। पहली नज़र में यह झिल्ली एक ही लगती है लेकिन थोड़ा गौर से देखने पर समझ में आता है कि यहां दो झिल्लियां आपस में चिपकी हुई होती है। और इन्हीं दोनों झिल्लियों के बीच में हवा की थैली होती है। इसी थैली के माध्यम से अंडे के भीतर विकसित हो रहे भ्रूण को श्वसन के लिए ऑक्सीजन मिलती है। यदि हम मुर्गी के द्वारा सेए जा रहे अंडे को फोड़कर देखें तो चौड़े सिरे पर इस हवा की थैली की झिल्ली पर काफी सारी खून की नलियां फैली दिखती हैं। जाहिर है कि भूण इन नलियों के माध्यम से श्वसन के लिए ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ता है। लेकिन यहां एक और सवाल खड़ा होता है कि आखिर हवा इन छेदों में से अंदर कैसे जाती है? विज्ञान के मुताबिक जैसा कि हम जानते हैं कि कोई भी गैस अधिक concentration से निम्न concentration की ओर diffused होती है। मतलब यह कि अंडे के भीतर ऑक्सीजन की concentration कम होगी तभी इन छिद्रों के माध्यम से ऑक्सीजन अंदर जा सकती है। यानी जब चूजा ऑक्सीजन ग्रहण करती है तो बाहर से हवा अंदर जाती है। और इस प्रकार खून की नलियों में बह रहा खून ऑक्सीजन ग्रहण कर लेता है, और कार्बन डाइऑक्साइड त्याग देता है।

रिसर्चर के मुताबिक अंडे में करीब सात हजार छेद होते हैं। यदि मैग्निफायिंग ग्लास से अंडे को देखा जाए तो उसके अंदर छोटे-छोटे छिद्र आपको भी दिख जाएंगे। इन छिद्रों से ऑक्सीजन तो अंदर जाती ही है, कॉर्बन डाई ऑक्साइड बाहर भी आती है। यही नहीं इन छिद्रों से ही चूजे को हवा-पानी मिलता रहता है। जब अंडे के अंदर भ्रूण विकसित हो जाता है और वह चूजे में तब्दील होता है, तब वह अंडे से बाहर आने के लिए चोंच से प्रहार करता है। इससे अंडे के बीचों-बीच या बड़े हिस्से में दरार आ जाती है, जिसे तोड़कर चूजा बाहर निकल आता है। हालांकि, जब वो बाहर आता है, तो अंडे के भीतर वाले तरल पदार्थ से उसका शरीर गीला रहता है, मगर बाहर आने पर हवा के संपर्क से वह सूख जाता है। 

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