मंगलवार, 15 मार्च 2022

जानिए पानी में तैरते बर्फ के पीछे का साइंस

 विज्ञान के कई सवाल हमें अक्सर चौंकाते हैं तो कई इतने सामन्य से लगते हैं कि हम इस बात पर हैरान हो जाते हैं कि यह कैसा सवाल है। रोजमर्रा के जीवन में भी हम ऐसी कई घटनाएं देखते हैं जो आमतौर पर मामूली सी लगती है। लेकिन इनके पीछे की वजह कभी बहुत बड़ी तो कभी जटिल भी होती है। आज हम अपने इस वीडियो में एक अनोखे सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेगें की आखिर बर्फ पानी में कैसे तैरता है जबकी अन्य ठोस पदार्थ तरल पदार्थ में डूब जाता है।आपने देखा होगा कि जब भी आप अपने गिलास के पानी में बर्फ के टुकड़े डालते हैं तो वह गिलास के नीचे डूबने के बजाय तैरता रहता है। यह केवल छोटे बर्फ के टुकड़ों के साथ नहीं होता है बल्कि आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बड़े आइसबर्ग महासागरों और झीलों के ऊपर तैरते हैं। आइए जानते हैं कि पानी का सॉलिड रूप यानी की बर्फ पानी में क्यों तैरने लगता है।

दुनिया का कोई भी वस्तु पानी में तैरेगी या नहीं यह उसके घनत्व पर निर्भर करता है। और यह एक वैज्ञानिक कारण है जिसे आर्कीमिडिज ने अपने सिद्धांत में बताया है। आर्कीमिडिज का सिद्धांत कहता है कि जब भी कोई ठोस वस्तु पानी में डाली जाती है तो उस पर गुरुत्वाकर्षण के कारण उपर से एक बल लगता है। जिसके कारण वह पानी की निचली सतह तक जाने की कोशिश करता है। अगर वस्तु का वजन उसके द्वारा हटाए गये पानी के वजन से ज्यादा है तो वह वस्तु डूब जाएगी। नहीं तो तैरती रहेगी।

आमतौर पर हम पानी में बहुत सारी चीजें तैरते देखते हैं। जैसे की लकड़ी, कागज, पत्ते, इसके अलवा बर्फ भी ऐसी चीज है जो पानी में डूबती नहीं है। नियम के मुताबिक भारी चीजें पानी में डूब जाती है, लेकिन हल्की चीजें पानी में तैरने लगती है। लेकिन बर्फ के पानी में न डूब पाने में कुछ खास है। क्योंकि ठोस लोहा पिघले हुए लोहे में डूब जाएगा। ठोस एल्यूमीनियम तरल एल्यूमीनियम में डूबेगा। लेकिन पानी या बर्फ इकलौती ऐसी वस्तु है जिसकी ठोस रूप उसके तरल रूप में तैरता है। यही वजह है कि बर्फ का पानी तैरना एक अनोखी बात है। जबकि सामान्य विज्ञान के नियमों के तहत बर्फ को पानी में डूब जाना चाहिए।

इस थ्यौरी को समझने से पहले यहां हम भारी और हल्की चीज का अंतर समझते हैं पहले। दरअसल जब भी कोई ठोस वस्तु किसी तरल पदार्थ में डाली जाती है, तो ठोस वस्तु गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे जाने की कोशिश करती है। इस कोशिश में वह जितना हिस्सा घेरती है उतने हिस्से का पानी हटाने की कोशिश करती है। यहां अगर हटाए गए पानी का वजन डूबती वस्तु के वजन से कम है तो वह वस्तु डूब जाएगी। अगर हम साधारण भाषा में बात करें तो यह हम सभी जानते हैं कि सॉलिड वस्तुएं डेंस यानी घनी होती हैं और लिक्विड पदार्थों की तुलना में उनका वजन अधिक होता है। इसी क्रम में बर्फ भी एक सॉलिड पदार्थ है ऐसे में इसे डूब जाना चाहिए लोकिन ऐसा नहीं होता और बर्फ पानी की सतह पर तैरती है। दरअसल बर्फ वास्तव में पानी से लगभग 9% कम घना है और क्योंकि पानी का भार अधिक होता है, इसीलिए पानी हल्की बर्फ को डिसप्लेस कर देता है, जिससे बर्फ ऊपर की ओर तैरने लगती है।

लेकिन सवाल अब यहां यह उठता है कि आखिर बर्फ का घनत्व कम क्यों होता है जबकि ठोस का धनत्व तो तरल से कम होना चाहिए। तो इस अवस्था में यहां बर्फ की संरचना की भूमिका का महत्व है। जब कोई वस्तु तरल से ठोस अवस्था में बदलती है तो उसके अणु बहुत पास आते हैं और उसका घनत्व बढ़ जाता है। इसीलिए हर ठोस वस्तु अपनी तरल वस्तु में डूब जाती है। लेकिन बर्फ का धनत्व पानी से अधिक हो जाता है। और जब पानी ठंडा होकर ठोस होना शुरू होता है, तो उसमें हाइड्रोजन आयन और ऑक्सीजन आयन को दूर रखने के लिए अपनी खास स्थिति बना लेते हैं जिससे अणु ज्यादा पास नहीं आ पाते और ठोस होने से पहले ही घनत्व कम होना बंद हो जाता है। ऐसा केवल पानी के साथ ही होता है। तो उम्मीद है विज्ञान के इस रोचक तथ्य को जानकर आपको परीक्षा के लिए मदद मिलेगी और साथ ही आपके ज्ञान का लेवल भी बढ़ेगा। 

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