मंगलवार, 29 मार्च 2022

आर्किमिडीज के शोध एवं आविष्कार से जुड़ी रोचक कहानी

 

अक्सर छोटी-छोटी चीज़ें, छोटे-छोटे आइडिया जीवन में बहुत महत्व रखता है। इतिहास गवाह है कई बार छोटी सी सोच ने दुनिया को बदल दिया। दुनिया में एक से बढ़ कर एक वैज्ञानिकों ने जन्म लिया। आज हम एक ऐसे ही वैज्ञानिक के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने गणित और विज्ञान की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण नियम बनाये जिसे हम specific gravity के नाम से जानते है। जी हां हम उस शख्सियत की बात कर रहे हैं जिसका नाम इतिहास के पन्नों में दिग्गज वैज्ञानिकों कि सूची में गिना जाता है। विशिष्ट गुरुता का सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाले महानतम वैज्ञानिक आर्किमिडीज आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके थ्योरी आज भी जीवित और शाश्वत है।

आर्किमिडीज एक उत्कृष्ट प्राचीन यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे। इसिलिए उन्हें अपने समय के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में गिनती की जाती है। आर्कमिडीज ने गणित और भौतिकी विज्ञान में विशेष रूप से कार्य किया। अपने जीवन काल में कई अविश्वसनीय आविष्कार किए। उन्होंने स्क्रू पंप, कंपाउंड पुली जैसे मशीनों का डिजाइन किया। आर्कमिडीज ने ही सबसे पहले पता लगाया था की को कोई वस्तु पानी के सतह पर क्यों तैरती है और क्यों डूब जाती है। इसी तथ्य को सुलझाने के लिए उन्होंने जो सिद्धांत दिया वह आर्कमिडीज के सिद्धांत के रूप में प्रसिद्ध हुआ। आर्किमिडीज ने वस्तुओं के तैरने का सिद्धांत भी डिस्कवर किया। मैकेनिक्स मे उन्होंने लिवर का सिद्धांत भी दिया। लिवर और घिरनियों द्वारा वह पानी में डुबे जहाज को अकेले ही किनारे उठा लाये। इतना ही नहीं आर्किमिडिज ने गणित के क्षेत्र मे पाई का मान भी कैलकुलेशन किया था। साथ ही वृत्त की परिधि और क्षेत्रफल निकलने के सूत्र दिए थे। आर्किमिडिज़ ने युद्ध मे काम आने वाली मशीनो का भी अविष्कार किया। उन्होंने आइने को प्रयोग मे लाकर प्रकाश का अध्ययन किया। कहा जाता है की रोम के खिलाफ होने वाले युद्ध मे उन्होंने ऐसे विशाल आइने का प्रयोग किया था जिसके द्वारा उन्होंने सूर्य के प्रकाश को रिफ्लेक्ट करके दुश्मनों के कई जहाजों में आग लगा दी थी।

आर्कमिडीज के सिद्धांत ने किसी वस्तु का जल में डूबने, तैरने और जल के सतह पर चलने का कारण बताता है। आर्कमिडीज के दिमाग में एक बात आई की कोई बस्तु पानी में डूब क्यों जाती है। फिर कुछ बस्तु पानी में नहीं डूबती। बल्कि वह पानी की सतह पर क्यों तैरती है। तभी उन्होंने इसके कारण जानने की कोशिश करने लगे। अपने गहन अनुसंधान के बाद आर्कमिडीज ने इसके कारण का पता लगाने में सफलता हासिल की। उनका यह तैरने का सिद्धांत ही आर्कमिडीज का सिद्धांत कहलाया। जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से डुबाई जाती है, तो उसके भार में कमी का आभास होता है। भार में यह आभासी कमी वस्तु द्वारा विस्थापित किये गए द्रव्य के भार के समान होती है। आर्कमिडीज गणित और ज्यामिति के भी अच्छे जानकार थे। तभी तो उन्होंने विज्ञान के अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किए थे।

आर्किमिडीज की कहानी आज से करीब 2000 साल पहले की है जब राजा हीएरो द्वितीय ने एक सुनार को कुछ सोना दिया और एक सुंदर सोने का मुकुट बनाने के लिए कहा। जब मुकुट बनकर तैयार हुआ तो राजा को उसकी शुद्धता पर सन्देह हुआ। हांलाकि सुनार ने मुकुट बहुत सुंदर बनया था इसलिए राजा उसे तोड़े बिना ही उसकी शुद्धता की परख करना चाहते थे। उन दिनों ऐसा कोई उपाय किसी को पता नहीं था कि बिना मुकुट को तोड़े ही उसकी शुद्धता परखी जा सके। आखिरकार राजा ने अपने राज्य के वैज्ञानिक आर्किमिडीज को बुलवा कर अपनी समस्या का समाधान बताने को कहा। उस वक्त आर्किमिडीज के पास कोई समाधान नहीं था फिर भी राजा के आदेश को स्वीकर कर थोड़े दिन का वक्त ले लिया। आर्किमीडीस ने इस पर काफ़ी सोच विचार किया, लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था। एक दिन वह पानी से भरे टब में नहा रहे थे, तभी अचानक उन्होनें देखा कि जैसे ही वो पानी के टब में घुसे बहुत सारा पानी टब से बाहर निकल गया। तभी अचानक उनके दिमाग ने काम किया और राजा की समस्या का हल निकाल लिया। वो अपनी इस नयी खोज से इतना एक्साइटेड हुए कि वह टब से बाहर निकले और यूरेका… यूरेका चिल्लाने लगे। उनकी समझ में आ गई कि किसी चीज को पानी में डुबोते हैं तो वह अपने आयतन के बराबर पानी को हटाती है। अब उन्होंने राजा से पानी से भरा टब लाने को कहा। आर्किमिडीज ने मुकुट को पानी के टब में डुबोया। मुकुट के अंदर जाते ही कुछ पानी टब के बाहर गिरा। बाहर गिरे पानी को सावधानी पूर्वक नापा गया। अब उतना ही सोना डुबोया गया और फिर उससे बाहर गिरे पानी को नापा गया। सोने से पानी ज्यादा बाहर गिरा, जबकि मुकुट से कम पानी गिरा। आर्किमिडीज ने कहा, ‘सोने और मुकुट का वजन बराबर है। अगर मुकुट शुद्ध सोने का होता, तो एकदम बराबर पानी गिरता। इससे सिद्ध होता है कि सुनार ने धोखा दिया। बाद में यही सिद्धांत आर्किमिडीज थ्योरी के रूप में दुनिया भर में विख्यात हुआ। आज भी बगैर इस थ्योरी को प्रूव किए रेखागणित की पढ़ाई पूरी नहीं मानी जाती।

आर्किमिडीज का जन्म 287 ईसा पूर्व सिरेक्यूज में हुआ था। वे एक महान वैज्ञानिक और विचारक के साथ-साथ एक महान गणितज्ञ भी कहलाते थे। अपने काम की बदौलत उन्होंने जो ख्याति मिली उसकी चमक आज तक फीकी नहीं पड़ी है। विज्ञान और गणित के इतिहासकार आर्किमिडीज़ को कई सारी वैज्ञानिक खोजों का श्रेय देते हैं। जैसे कि वृत का क्षेत्रफल और पाई का मान ज्ञात करना। उन्होंने पाई का मान, उस समय तक किए गए सभी प्रयासों से अधिक सटीकता से ज्ञात किया था। वे डिफ्रेंशियल केल्क्युलस विकसित करने के काफी करीब पहुंच चुके थे। और उन्होंने लगभग उन्हीं तरीकों का इस्तेमाल किया जो आज इंटिगरल केल्क्युलस में अपनाए जाते हैं। यानी पैराबोला और दीर्घवृतों जैसी ज्यामितीय आकृतियों का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए आर्किमिडीज़ उन्हें छोटे-छोटे अनंत आयतों में बांटकर, उन आयतों के क्षेत्रफल का योग कर लेते थे। सर्किल की सतह का क्षेत्रफल और उसका आयतन ज्ञात करना। इस समस्या के उनके हैरतअंगेज़ हल का विवरण उनकी पुस्तक ‘ऑन द स्फीयर एण्ड द सिलेंडर' में मिलता है।

कहा जाता है की रोम के द्वारा यूनान को अपने कब्जे में लेने के बाद आर्किमिडीज बहुत दुखी हुए। एक दिन वे बालू के टीले पर बैठकर कुछ सोच रहे थे। तभी रोम के एक सिपाही उनके पास आया और अपने साथ ले जाने लगे। लेकिन आर्कमिडीज ने जाने से मना कर दिया। जिसके बाद रोम के सिपाही ने उनकी हत्या कर दी। इस प्रकार महान वैज्ञानिक आर्कमिडीज का निधन ईसा पूर्व 212 ईस्वी में हो गई।

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