14वीं शताब्दी में यूरोप पुनर्जागरण के काल से
गुजर रहा था। उस दौरान यूरोप में सांस्कृतिक,
राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक जैसे कई क्षेत्रों में
बदलाव हो रहे थे। यूरोप के इस पुनर्जागरण को रेनेसा काल के नाम से भी जाना जाता
है। यूरोपीय पृष्ठभूमि पर 14वीं-17वीं शताब्दी के बीच ऐसे कई लोगों का जन्म हुआ, जिन्होंने
समाज को एक नया मोड़ दिया उन्हीं में से एक थे लिओनार्डो दा विंची। एक साधारण
इंसान एक या दो चीजों में मास्टर हो सकता है, लेकिन
लियोनार्डो दा विंची एक ऐसे अद्भुत व्यक्ति थे जिन्हें महान चित्रकार, अविष्कारक, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, लेखक, इंजीनियर, भौतिक
शास्त्री और वैज्ञानिक जैसे महान व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता हैं। अनेक
विधाओं में माहिर होने के बावजूद इन्हें सबसे अधिक ख्याति महान कलाकार के रूप में
मिली जिसकी प्रमुख वजह विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग ‘मोनालिसा’ और ‘द लास्ट सपर’ है। तो
चलिए जानते हैं महान व्यक्ति लियोनार्डो द विंची से जुड़े रोचक तथ्य
लियोनार्डो दा विंची का जन्म 15 अप्रैल 1452
में इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम लियोनार्डो दी पीयरो दा विंची
था। दा विंची के पिता सर पीयरो एक मशहूर वकील थे जबकी उनकी मां कैटरीना डी मेओ
लिपि एक गरीब किसान की बेटी थी। लियोनार्डो अपनी माता के बजाए अपने पिता के ज्यादा
करीब थे। वह अपनी मां के साथ जीवन के शुरुआती 5 सालों तक रहें इसके बाद वह अपने
पिता के साथ रहने लगे। लियोनार्डो ने कभी किसी भी महिला के साथ किसी प्रकार का कोई
संबंध नहीं बनाया। उन्होंने कभी भी शादी नहीं की और उनके कोई बच्चे नहीं हुए।
लियोनार्डो के लिखने का तरीका अपने आप में अद्भुत था। वह अपना ज्यादातर लिखने का
काम दाएं से बाएं की ओर लिखकर करते थे। वो एक ही समय में एक हाथ से लिख सकते थे
और दूसरे हाथ से चित्रकारी कर सकते थे। लियोनार्डो दा विंची बहुत आसानी से शब्द को
उल्टे क्रम में लिख लेते थे, जैसा हमें शीशे में लिखा हुआ दिखाई
देता हैं। वो ऐसा तब लिखते थे जब कोई सीक्रेट बात लिखनी हो। जब लियोनार्डो अपने
गुरु से पेंटिंग की शिक्षा हासिल कर रहे थे तो एक बार उनके गुरु ने उनसे एक देवदूत
की पेंटिंग बनाने के लिए कहा। लियोनार्डो ने वह पेंटिंग इतनी अद्भुत बनाई कि जिसके
बाद उनके गुरु ने कभी भी पेंटिंग ना बनाने का फैसला किया।
लियोनार्डो की कई पेंटिंग्स में आपको
उड़नतश्तरियों के चित्र देखने को मिलेंगे। उस वक्त लियोनार्डो को कैसे पता था कि
ये मशीनें ऐसी दिखती हैं? जब उनका अविष्कार भी नहीं हुआ था। यही
नहीं लियोनार्डो दा विंची ने उस समय हेलीकॉप्टर का कॉन्सेप्ट सबके सामने अपनी
चित्रकारी के माध्यम से रखा था। इसके अलावा उनकी चित्रकारी में ऐसी कई मशीनें देखी
जा सकती हैं, जिनका उस समय अविष्कार भी नहीं हुआ था। उनकी इन
सब खोज और समय से भी आगे की चित्रकारी को देखने के बाद कई लोगों का कहना है कि हो
ना हो लियोनार्डो दा विंची का संबंध किसी एलियन लाइफ से था। लियोनार्डो दा विंची
पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने आकाश का रंग नीला होने का सही कारण बताया था। लियोनार्डो
ने अस्पतालों में मौजूद मानव लाशों के जरिये शरीर की संरचना का अध्ययन किया और
उनके 240 चित्र बनाए। उनके 240 चित्रों और 13000 शब्दों में लिखी मानव शरीर की
संरचना पर आधारित दस्तावेजों के जरिये मानव शरीर के बारे में काफी कुछ जानकारी
मिलती है। दुनिया के प्रसिद्ध अरबपति बिल गेट्स ने लियोनार्डो दा विंची की 72 पेज
की सचित्र पांडुलिपि पुस्तक कोडेक्स सिलेस्टर को साल 1990 में 40 मिलियन डॉलर में
खरीदा।
साल 1472 में 20 वर्ष की उम्र में लियोनार्डो
खुद एक अच्छे आर्टिस्ट बन गये थे और उनके पिता ने उनके लिए एक वर्कशॉप भी बनवा
दिया था। लियोनार्डो की पहली ड्राइंग 5 अगस्त 1473 को पेन और इंक से बनाई गई ‘आरनो वैली’ की
ड्राइंग है। 1478 में लियोनार्डो ने अपना स्टूडियो शुरू किया था और लियोनार्डो को
1481 में चैपल ऑफ़ सेंट बर्नार्ड और 1481 में सेन डोनाटो अ स्कोपेटो के
लिए दी एडोरेशन ऑफ़ दी मेगी पेंट करने का मौका भी मिला था। इस दौरना उन्होंने अपने
उत्कृष्ट योगदान देने की कोशिश की हलांकि की बाद में चित्रकारी से उब कर दा विंची
ने बीच में ही उसे अधूरा छोड़ दिया क्योंकि इस पर काम करते हुए बहुत लंबा समय
बिताने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वह इस चित्र को वो पूरी तरह नहीं बना सकते। इस अधूरी पेंटिंग ने लियोनार्डो की
नई सोच को विकसित किया था।
लियोनार्डो ने साल 1482 में फ्लोरेंस छोड़ दिया
था और कोर्ट में आर्टिस्ट के पद पर काम करना शुरू कर दिया था। डयूक ने लियोनार्डो
को अपने यहां सेना मे इंजिनियर के पद पर नियुक्त किया था। बतौर सेना इंजिनियर लियोनार्डो
दा विंची ने अनेक नये सुझाव दिए। जिसमे रासायनिक धुएं से लेकर अस्त्र-सस्त्र से
युक्त वाहनों और शक्तिशाली हथियारों तक के प्रस्ताव थे। उन्होंने एक ऐसे हथियार का
डिजाइन भी तैयार किया जो शत्रुओं पर गोलियों की बौछार कर सकता था। मिलान मे रहकर दा
विंची ने भवन निर्माण का भी काम किया। इस दौरान उन्होंने अनेक सड़को, नहरों, गिरजाघरों
का डिजाइन भी किये। लियोनार्डो ने काले घोड़े का एक बड़ा मॉडल बनाया था जिसे ग्रान
केवलो के नाम से जाना जाता हैं। इसमें 70 टन का कांसा लगा था, ये मोन्यूमेंट कुछ वर्षों तक अधूरा रहा और 1492
में जाकर पूरा हुआ। 1499 में दूसरे इटालियन युद्ध की शुरुआत में फ्रेंच सेना ने
इसे ध्वस्त कर दिया। और उसी साल फ्रांस ने ड्यूक ऑफ़ मिलान पर कब्जा कर लिया तो
लियोनार्डो ने मिलान छोड़ दिया और फिर वेनिस और उसके बाद मानटुआ चले गए। सन 1495 मे
इन्होने अपनी प्रसिद्ध पेंटिंग ‘लास्ट सपर’ बनानी आरम्भ की, जो सन
1497 मे पूरी हुई। सन 1499 मे लियोनार्डो दा विंची वेनिस आ गए। उस समय तुर्की के
साथ युद्ध चल रहा था।
सन् 1500 में लियोनार्डो फिर एक बार फ्लोरेंस
लौट आए। फ्लोरेंस लौट कर वे सेंटीसीमा एन्युंजीआटा की मोनेस्ट्री में एक संत के
यहां रुके और यहां उन्होंने एक वर्कशॉप की जिसमें उन्होंने वर्जिन एंड चाइल्ड विथ
सेंट एन और सेन जॉन बापटिस्ट के कार्टून बनाये। फिर 1502 में लियोनार्डो ने
मिलट्री आर्किटेकट के तौर पर पॉप एलेक्जेंडर सिक्स्थ के बेटे सेजर बोर्गिया के पास
काम शुरू किया और अपने पेट्रोन के साथ पूरी इटली की यात्रा की। इटली से फ्लोरेंस
लौटकर 18 अक्टूबर 1503 को वो गिल्ड ऑफ़ सेंट ल्युक में शामिल हो गए जहां उन्होंने 2
साल तक द बेटल ऑफ अंघियारी को डिजाइन करते हुए बिताया।
1505 से लेकर 1507 तक विंची ने अपने निजी कार्य
किये।
इसी दौरान उन्होंने विश्व प्रसिद्द कृति
बनाई जिसका नाम मोनालिसा था। कहा जाता हैं ये फ्लोरेंस के नागरिक की तीसरी पत्नी
की पोट्रेट थी। इस पेंटिंग की मुस्कान काफी रहस्यमयी हैं। वैसे इस रचना के पीछे
बहुत सी थ्योरी और कहानियां हैं, जिसमें कुछ का मत हैं कि उस लड़की को
पीलिया था वही कुछ उसे गर्भवती मानते हैं तो कुछ का दावा था कि ये महिला ही नहीं
हैं बल्कि पुरुष पर बनाई गयी कृति हैं। हालांकि मोनालिसा एक ऐसी रचना थी जिसे
लियोनार्डो ने कभी खत्म नही किया था वो इसे हमेशा बेहतर बनाने की कोशीश करते रहते
थे। कहा जाता हैं कि अपनी मृत्यु तक लियोनार्डो ने इस पेंटिंग को बेचा नहीं था। मोनालिसा
की ये पेंटिंग पेरिस में हैं और इसे ना केवल राष्ट्रीय कृति का सम्मान मिला हैं
बल्कि आर्ट के क्षेत्र में आज तक की सबसे सुंदर कृति भी माना जाता हैं।
साल 1506 में एक बार फिर लोयोनार्डो मिलान लौट
आये लेकिन वो मिलान में ज्यादा नहीं रुके क्योंकि उनके पिता का देहांत हो गया और
1507 में अपने भाई के साथ पिता की सम्पति का मामला सुलझाने के लिए वो वापिस
फ्लोरेंस आ गये। 1508 में वो वापिस मिलान लौट गये जहां उनका खुद का घर था। 1513
में लियोनार्डो रोम चले गये और वहां पर 1516 तक रहे। वहां उन्हें काफी सम्मान और
ख्याति मिली लेकिन विंची इन सबसे अप्रभावित थे वो ज्यादा से ज्यादा विज्ञान में
अध्ययन करते और अपने नोटबुक में आर्टिस्टिक काम करते। 1513 से 1516 तक लियोनार्डो
ने अपना ज्यादातर समय रोम के वेटिकन सिटी में बेलवेडेरे में बिताया। अक्टूबर 1515
में फ्रांस के फ्रांकोइस प्रथम ने मिलान पर कब्जा कर लिया। 19 दिसम्बर को
लियोनार्डो फ़्रन्कोइस प्रथम और पॉप लियो दशम की मीटिंग में बोलोगना गया।
लियोनार्डो ने अपने जीवन के अंतिम 3 साल अपने मित्र काउंट फ्रेंसेसो मेल्ज़ी के साथ
बिताये।
लियोनार्डो दा विंची का 2 मई 1519 फ्रांस के क्लोस
ल्यूस में निधन हो गया। 'लाइफ फ्रॉम बिगिनिंग' के मुताबिक, उनके
अंतिम शब्द थे,
'मैं ईश्वर और समस्त मानवजाति का
गुनहगार हूं। मेरा काम गुणवत्ता के उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया जहां उसे पहुंचना
चाहिए था।
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