मंगलवार, 15 मार्च 2022

देश में नए नोट कब और किस आधार पर छापे जाते है?

 जब आपके पास पैसे नहीं होते हैं या पैसे की जरूरत होती है तो आपका भी मन करता होगा कि एक पैसे छापने वाली मशीन आ जाए तो सारी परेशानी खत्म हो जाए… पर में यहां आपको पहले बतादूं की ऐसा तो वो लोग भी नहीं कर सकते, जिनके पास नोट छापने की मशीन है... यानी खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या फिर भारत सरकार भी ऐसा नहीं कर सकते... उन्हें भी कई नियमों को ध्यान में रखते हुए नोट की छपाई करनी होती है... लेकिन इन चर्चाओं से दूर अगर नोटों की छपाई की बात करें तो अक्सर लोग पूछते हैं कि क्या सरकार अपनी मन मर्जी के मुताबिक नोट छाप सकती है. यहीं सवाल गूगल पर भी काफी ढूढ़ा जाता है. इसी सवाल का जवाब आज हम अपने इस वीडियो में दे रहे हैं... तो दोस्तो आज का ये वीडियो इनफॉर्मेटिक्स के साथ साथ रोमांचकारी भी होने वाला है.. तो चलिए बिना देर किये जानते हैं कि आखिर नोट किस आधार पर छापे जाते हैं और कब यह पता चलता है कि अब नोट छापने की जरूरत है. साथ ही जानते हैं नोट छपने से जुड़ी खास बातें, जो बहुत कम लोग जानते होंगे…

ऐसा नहीं है कि जब भी जरूरत पड़े नए नोट छाप लो... भले ही सरकार के पास नोट छापने का अधिकार होता है.... ऐसा करने से अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाएगी. इससे वहां की करेंसी की कीमत काफी ज्यादा कम हो जाती है और महंगाई दर भी काफी बढ़ जाती है... इसलिए पहले आरबीआई कई मानकों को ध्यान में रखते हुए यह पता करता है कि कितने नोट छापने की जरूरत है और फिर इसके लिए सरकार से स्वीकृति ली जाती है... सरकार भी आदेश देने से पहले आरबीआई से इजाजत लेती है और फिर उसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाता है. वैसे आखिरी फैसला सरकार का ही होता है... सरकार और आरबीआई जीडीपी, विकास दर, राजकोषीय घाटा के आधार पर तय करती हैं कि आखिर कितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए. रिजर्व बैंक साल 1956 से करेंसी नोट छापने के लिए ‘मिनिमम रिजर्व सिस्टम’ के तहत करेंसी की छपाई करता है. इस नियम के मुताबिक, करेंसी नोट प्रिंटिंग के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपये का रिजर्व हमेशा रखना जरूरी है. इसके बाद ही रिजर्व बैंक करेंसी नोट प्रिंट कर सकता है.

भारत में नोटों की छपाई चार प्रेस में होती है... महाराष्ट्र के नासिक और मध्य प्रदेश के देवास प्रेस में नोट छापे जाते हैं... सुरक्षा प्रिंटिंग और मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की देखरेख में यहां नोट छपाई का काम किया जाता है. इनके अलावा दो अन्य प्रेस कर्नाटक के मैसूर में और पश्चिम बंगाल के सल्बोनी में स्थित हैं. RBI नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में यहां नोट छपाई का काम होता है. इसके अलावा मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में सिक्के ढालने का काम किया जाता है… मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में सरकार द्वारा संचालित एक सुरक्षा पेपर मिल है. यहीं से भारत की सभी 4 प्रेसों के लिए नोट बनने में इस्तेमाल होने वाले विशेष मुद्रा कागज की आपूर्ति की जाती है. इसके अलावा काफी मात्रा में इन कागजों का दूसरे देश से आयात भी किया जाता है. नोट छापने के लिए ऑफसेट स्याही का निर्माण मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंकनोट प्रेस में होता है. जबकि नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है, उसकी स्याही सिक्किम में स्थित स्विस फर्म की यूनिट सिक्पा  में बनाई जाती है... और आखिर आप ये भी जान लीजिए की रिजर्व बैंक कब से अस्तित्व आया और कब से नोट छापने की अपनी दायित्व निभा रहा है.. दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी. मतलब आजादी से पहले देश में रिजर्व बैंक की नींव पड़ चुकी थी. अपनी स्थापना के तीन साल बाद साल 1938 की जनवरी में आरबीआई ने पहली बार 5 रुपये का करेंसी नोट जारी किया था. इस नोट पर ‘किंग जॉर्ज VI’ की तस्वीर प्रिंट हुई थी. मतलब आजादी से 9 साल पहले रिजर्व बैंक ने अपनी पहली करेंसी जारी की थी. इसके बाद 10 रुपये के नोट, मार्च में 100 रुपये के नोट और जून में 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के करेंसी नोट जारी किए थे

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