हीरा दुनिया के सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक है.. इसकी चमक ही इसे
दूसरे रत्नों से अलग बनाती है.. हीरे में इतनी चमक इसलिए होती है क्योंकि इसके
अणुओं से रोशनी टकराकर वापस लौटती है.. हीरा एक पारदर्शी रत्न होता है.. रासायनिक
रूप से यह कार्बन का शुद्धतम रूप है.. इसके अंदर कार्बन परमाणु बहुत ही शक्तिशाली तौर
से जुड़े होते हैं.. इसलिए हीरा सबसे कठोर धातु भी कहलाता है.. हीरा कई रंगों में
मिलता है.. लाल रंग के हीरे को ब्लड डायमंड कहते है.. इसकी प्राप्ति के पीछे होने
वाले खून-खराबे के कारण इसे ब्लड डायमंड भी कहा जाता है.. कई देशों में इसे
कन्फ्लिक्ट डायमंड या वॉर डायमंड भी कहा जाता है.. यह अफ्रीका में सिएरा लियोन और
लाइबेरिया में सबसे ज्यादा मिलता है.. ब्लड डायमंड को कन्फ्लिक्ट डायमंड कहे जाने
का बड़ा कारण है.. फैशन और ज्वैलरी दोनों ही हैं सौंदर्य के साथी कहलाते हैं.. जिस
तरह फैशन की दुनिया में हर वक्त नए स्टाइल दस्तक देता है.. उसी तरह ज्वैलरी में भी
हर दिन नई तलाश जारी रहती है.. आमतौर पर कम नजर आने वाला ब्लैक डायमंड क्लासी लुक
देता है.. इनकी उपलब्धता कम है, इस
वजह से ब्लैक डायमंड स्टेट्स ज्वैलरी हो जाती है और एक्सक्लूसिव भी.. साथ ही इसका
रहस्यमयी आकर्षण जगाता है स्टाइलिश और ग्लैमरस दिखने का आत्मविश्वास को.. दुनिया
भर के लोगों को गहरे रंग का यह बहुमूल्य रत्न हमेशा अपनी ओर आकर्षित करता है.. ज्यादातर
ब्लैक डायमंड आपको राउंड शेप में कटिंग एवं पॉलिशिंग के साथ निखरे हुए मिलेंगे.. इसमे
कोई दो राय नहीं की ब्लैक डायमंड्स गुजरे दौर की राजसी शानोशौकत का अहसास कराता है..
कुछ दशक पहले तक ब्लैक डायमंड्स की कीमत इतनी अधिक नहीं थी, क्योंकि
उनमें लोगों की इतनी रुचि नहीं थी.. ब्लैक डायमंड्स के प्रति क्रेज बढ़ाया है मार्केटिंग
ने और इसकी यूनीकनेस ने.. इसके साथ ही इनका मूल्य भी बढ़ गया.. 1989 से 2001 तक
इसके उत्पादक देश सिएरा लियोन और लाइबेरिया गृह युद्ध के शिकार थे.. ऐसी स्थिति
में लाइबेरियन राष्ट्रपति कारलोस जी. टॉयलर ने अमूल्य ब्लड डायमंड के बदले हथियार
खरीदने शुरू किए थे.. इस कारण दुनिया भर में टॉयलर की आलोचना हुई.. दरअसल, ब्लड डायमंड के खनन का काम मूल रूप से किसान और मजदूर करते थे.. हीरे की
तस्करी बढ़ने के कारण इन लोगों से कम वेतन पर दिन रात काम कराया जाने लगा, जिसका इन्होंने विरोध किया। इसके बाद, लाइबेरिया में
कानूनी रूप से डायमंड खनन उद्योग की स्थापना हुई.. 1998 में गलोबल विटनेस नाम की
एक संस्थान ने अफ्रीका में डायमंड और दंगों के बीच के संबंधों पर एक रिपोर्ट पेश
की थी.. जिसेक बाद दुनिया की नजरों में ब्लैक डायमंड खूनी हीरे में तब्दील हो
गया..
हीरा प्रेम की निशानी है.. हीरा हर तरह के रिश्ते को एक नई उर्जा
प्रदान करता है.. लेकिन इसके पीछे की जो कहानी है वो काफी भयावह है.. कंधे पर टंगी
एके 47.. माथे पर पसीना और निगाहों में चौकसी.. सेंट्रल
अफ्रीकन रिपब्लिक की इस हीरे की खदान के पास ये लड़के ऐसे ही खड़े रह कर पहरा देते
रहते हैं... ये लड़के कभी विद्रोही हुआ करते थे लेकिन आजकल ये इस खदान के
कर्ता-धर्ता हैं.. ये नडासिमा की हीरे की खदान जंगलों के घिरे पहाड़ की चोटी पर है...
खदान की असली मालिक एक्समिन नाम की कनाडियाई कंपनी है, जिसे
सेलेका विद्रोही साल भर पहले यहां से खदेड़ चुके हैं... खदान के आस पास आए दिन
गोलियों की आवाज भी गूंजती है... गोलियों की आवाज की गूंज का मतलब है कि
विद्रोहियों ने किसी को मार दिया है. 2012 के आखिर में
विद्रोहियों ने एक्समिन कंपनी के कैंप को कब्जे में ले लिया था... कंपनी को अब भी
उम्मीद है कि एक दिन वो वहां फिर से हीरा खोदेगी लेकिन यहां के निवासी ऐसा नहीं
चाहते.. हीरो का कारोबार करने वाले मुस्लिम कारोबारी शरीफ दाहिरो के शोरूम पर अब
भी ईसाई उग्रपंथियों का कब्जा है... शरीफ को लगता है कि दोनों समुदायों में कुछ
लोग जनता को भड़का रहे हैं ताकि हीरे पर उनका नियंत्रण बना रहे... हीरा पाने के
लिए इस खूनी खेल में सूडान, दक्षिण सूडान, कैमरून, चाड, और डेमोक्रेटिक
रिपब्लिक ऑफ कांगो का दबदबा हमेशा से बना हुआ है.... वहीं दूसरी तरफ सेंट्रल
अफ्रीकन रिपब्लिक 1960 में फ्रांस से आजाद हुआ.. तब से आए
दिन वहां तख्ता पलट, विद्रोह और सत्ता संघर्ष लगा रहता है...
असल में संघर्ष की मूल वजह हीरा ही हैं... खून बहाकर हासिल किए गए हीरा यानी की
ब्लड डायमंड को लेकर.. 81 देश ऐसे हीरों को न खरीदने का
समझौता कर चुके हैं, लेकिन तस्करों पर नियंत्रण पाना आसान
नहीं, आम तौर पर उनकी कड़ियां आगे बढ़ते बढ़ते ताकतवर देशों
की प्रभावशाली हस्तियों तक जुड़ी रहती है... उल्टा हीरा कारोबार के लिये कड़े नियम
बनते ही अफ्रीका में गैरकानूनी तस्करी फैल गई.... 2003 में डायमंड इंडस्ट्री ने
अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण के सिस्टम किम्बरले प्रक्रिया की शुरुआत कंज्यूमर को यह
आश्वस्त करने के लिए किया कि वे जो हीरे खरीद रहे हैं, वे
युद्ध से मुक्त हैं.. लेकिन, दस वर्ष बाद भी युद्ध ग्रस्त
क्षेत्रों में हीरों का अवैध खनन नहीं रोका जा सका है.. हालांकि किम्बरले
प्रक्रिया के कारण युद्ध प्रभावित इलाकों से आने वाले हीरों की संख्या घटी है.. अंगोला
और सिएरा लिओन के खूनी गृह युद्ध कच्चे और बगैर तराशे गए हीरों से मिले धन के बूते
चल रहे थे.. 2003 में 52 देशों की सरकारों ने किम्बरले प्रक्रिया को स्वीकार किया..
डायमंड के बूते चलने वाले संघर्षों को रोकने में किम्बरले प्रक्रिया को महत्वपूर्ण
कदम माना गया। लेकिन, कई आलोचक कहते हैं, किम्बरले प्रक्रिया बहुत असरदायक नहीं है.. इससे पहले 2008 में जिम्बाबवे की सेना ने पूर्वी
क्षेत्र में हीरों का बड़ा भंडार बरामद कर 200 से अधिक खनन मजदूरों को मार डाला था..
इसे किम्बरले प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं माना गया.. किम्बरले प्रक्रिया लागू होने
के बावजूद मध्य अफ्रीकी गणतंत्र में 2013 के बाद संघर्षों में हजारों लोग मारे गए
हैं.. यह संघर्ष भी हीरों से मिले धन के सहारे अब भी चल रहा है..
प्रकृति का सबसे कीमती उपहार हीरा जब अंतहीन प्यार का प्रतीक बन जाता
है तो और अनमोल हो जाता है... खासकर जब यह मिलन और बंधन की खुबसूरत निशानी माना
जाने लगा तो यह प्रेमियों के दिलों की धड़कन बन गया... लेकिन हीरे के खदान में काम
करने वाले मजदूरों के लिए ऐसा नहीं हैं.. यहां खदानों में काम करने वाले मजदूरों की
हालत खराब है... हीरे की खोज में यह गरीब मजदूर खदानों में बेलचों और हाथों से
जमीन खोदने में व्यस्त रहते हैं... बेलचों से मिट्टी खोद रहे इन मजदूरों को हमेशा
यह उम्मीद रहती है कि कोई एक हीरा उन्हें गरीबी के दलदल से निकाल देगा. लेकिन इस
काम में मुनाफा वही लोग कमाते हैं जिनके पास हथियार और ताकत है.. यहां ज्यादातर
मजदूरों को अवैध तरीके से काम करना पड़ता है.. हीरा के खोज में मजदूरों को 45
डिग्री से भी अधीक तापमान में काम करना पड़ता है... नदी की रेत में हीरे ढूंढने के
लिए काफी पानी की जरूरत पड़ता है. इस दौरान पहले खदान से खोद कर मिट्टी निकाला
जाता हैं... इसके बाद इसे यहां खड्डे में डाला जाता है. फिर इसे पानी से भर दिया
जाता है. फिर दो लोग मिट्टी को छानने का कम करते ताकि मिट्टी कंकड़ से अलग हो जाए...
कंकड़ और हीरे भारी होने के कारण नीचे बैठ जाते हैं. फिर मिट्टी को पानी के साथ
बाहर फेंक दिया जाता है... कंकर और हीरे को बाहर निकाल लिया जाता है. अगर पत्थरों
में हीरा है तो उसे ज्यादा ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि सूरज की रोशनी में हीरा चमकने लगता हैं... भरी
गर्मी में हीरे खोजना आसान काम नहीं है... वो भी 45 डिग्री तापमान में.. पानी के
बीच खड़े रहकर मिट्टी से कंकर पत्थर छानना कोई मामूली बात नहीं हैं.. लेकिन ये
मजदूर बिना बिना किसी परवाह के घंटो अपने कार्यों को अंजम तक पहुंचाने में जुटे
रहते हैं... यहां के मजदूरों में कम उम्र के भी लोग हैं जो मिट्टी और पानी में काम
करते हैं.. देर तक मिट्टी में काम करने से इन मजदूरों को सिलिकोसिस की बीमारी हो
जाती है... इनके लिए सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं होता फिर भी ये मजदूर अनावरत
कार्य में जुटे रहते हैं... असल में, ब्लड डायमंड के खनन का
काम मूल रूप से किसान और मजदूर करते हैं.. हीरे की तस्करी बढ़ने के कारण इन लोगों
से कम वेतन पर दिन रात काम कराया जाता है जिसका इन्होंने विरोध किया.. इसके बाद,
लाइबेरिया में कानूनी रूप से डायमंड खनन उद्योग की स्थापना हुई.. 1998
में गलोबल विटनेस नाम की एक संस्थान ने अफ्रीका में डायमंड और दंगों के बीच के
संबंधों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.. संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के एक पैनल का
कहना है,2013 के बाद देश से एक लाख 40000 कैरेट हीरों की तस्करी
हो चुकी है.. अफ्रीका में हिंसा के खिलाफ सक्रिय एक संगठन द इनफ प्रोजेक्ट की
रिपोर्ट के अनुसार सशस्त्र गुट हीरों के अवैध कारोबार पर टैक्स के जरिये एक वर्ष
में 38 लाख से 58 लाख डॉलर कमाते हैं..
हीरा कई रंगों में मिलता है जिनमें लाल रंग के हीरे को ब्लड डायमंड
कहा जाता है.. इसकी प्राप्ति के पीछे होने वाले खून-खराबे के कारण ही इसे ब्लड
डायमंड यानि खूनी हीरा कहा जाता है.. इन्हीं कारणों से इसे भिड़न्त यानि
कन्फ्लिक्ट डायमंड या वॉर डायमंड भी कहते हैं. यह अफ्रीका में सिएरा, लियोन और
लाइबेरिया में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं.. जांचकर्ताओं ने पूरी दुनिया में बैन
ब्लड डायमंड की परतें खोलनी शुरू की तो पता चला कि अफ्रीका के अंगोला, सियरा लिओन और कांगो में कई गुट हैं जो लड़ाई के बीचों
बीच हीरे की खुदाई भी करवाते हैं.. इन इलाकों में जमीन के नीचे हीरे की सैकड़ों
खदानें हैं और उसके ऊपर एक दूसरे का गला काटते इंसान भी है... हीरों से मालामाल
सिएरा लियोन की गिनती दुनिया के सबसे गरीब देशों में होती है. हीरे का अवैध
व्यापार इस देश में गृहयुद्ध की वजह बना और इस दौरान हजारों लोग मौत के मुंह में
चले गए... सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक की भी यही दास्तान है... साढ़े चार करोड़ की
आबादी वाला सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक बेहद गरीब देश है और अफ्रीकी महाद्वीप के
सबसे अशांत इलाकों में से एक है... हजारों फ्रांसीसी सैनिकों और संयुक्त राष्ट्र
के शांति सैनिकों की तैनाती के बावजूद यहां के हालात नहीं सुधर रहे हैं... उत्तरी
इलाके पर मुस्लिम सेलेका विद्रोहियों का नियंत्रण है.. पिछले कुछ दिन पहले राष्ट्रपति
फ्रांकोइस बोजिजे के हटने के बाद से यहां बड़ी संख्या में विदेशी लड़ाके मारे गए थे..
इनमें से ज्यादातर लड़ाके पड़ोसी देश चाड और सूडान से आए थे... यहां बीते कई सालों
से हीरा को लेकर ईसाई उग्रपंथियों ने भी जम कर लूट मचई है... एंटी-बालाका के नाम
से पुकारे जाने वाले इन उग्रपंथियों ने मुस्लिम विद्रोहियों को उत्तर की तरफ खदेड़
दिया था... जिसके बाद से इन इलाको में एंटी-बालाका के लड़ाकों का बोल बाला है..
पहले दर्जनों बार दोनों तरफ के उग्रपंथियों के बीच ऐसी हिंसा हुई कि अब देश का
उत्तरी हिस्सा मुस्लिम और दक्षिणी हिस्सा ईसाई में बंट गया... टकराव को रोकने के
लिए फ्रांस ने अपने पूर्व उपनिवेश में 2000 सैनिक तैनात किए थे...
लेकिन दोनों तरफ के उग्रपंथियों के हाथ लगे हीरे की खदान शांति के लिए खतरा बन रही
है... यहां से हर महीने करोड़ों का हीरा निकाला जा रहा है... जो सूडान और चाड के
डीलरों को बेचे जाते हैं... इसके बाद तस्करी के सहारे ये दुबई इंडिया और एंटवर्प
तक पहुंचते हैं... हीरे के बदले में जो पैसा मिल रहा है उससे दोनों पक्ष हथियार
खरीद रहे हैं और लड़ाई के लिए अपनी सेना लड़ाकों की भर्ती कर रहे हैं... सेंट्रल
अफ्रीकन रिपब्लिक में फील्ड रिसर्च कर रहे लोगों का मानना है कि विवाद से दोनों
तरफ के कंमाडरों को फायदा हो रहा है. एंटी बालाका और सलेका, दोनों
ही हीरे के कारोबार में शामिल हैं. अगर यहां शांति बहाल करनी है तो लोगों को
आर्थिक विकल्प मुहैया कराने होंगे...
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