एक ऐसा कलाकार जिसने बिना एक शब्द बोले सारी
दुनिया को हंसाया...जिसके पीछे पड़ी थीं...दो देशों की खुफिया एजेंसियां...जिस पर
संदेह करते थे...अमेरिका और ब्रिटेन...और कराते थे....एफबीआई और एमआई5 से उसकी जासूसी...जिसने
की थी हिटलर का मजाक बनाने की हिमाकत...जिसे दी थी महारानी एलिजाबेथ ने नाइट की
उपाधि...गरिबी में बीता जिसका बचपन...जिसका बाप था शराबी और मां पागल...उसने एक
आश्रम में काटा अपना बचपन...5 साल की उम्र में किया पहला शो... जिसका मरने के बाद
भी हो गया अपहरण...और अपहरणकर्ताओं ने मांगी थी 6 लाख फ्रेंक्स की भारी रकम...वो
नहीं करता था औरतों पर यकीन...जिसके थे 2000 से अधिक महिलाओं से संबंध...जिसका
जीवन हमें आसुंओं औऱ दुख दर्द के बीच भी हंसना सिखाता है....अपनी कम लम्बाई और वजन
के कारण वो नहीं हो पाया था सेना में शामिल...जो गांधी को मानता था अपना आदर्श...उसका
दीवाना था आइंस्टिन...वो था मूक फिल्मों का बादशाह...जिसे कहते थे मुस्कान का
बादशाह...एक बेहद ग़रीब और असहाय सा बच्चा...जिसके मन में कभी अपनी माँ के उदास
चेहरे पर ख़ुशी की एक झलक देखना ही मकसद बन गया था...और वो बन बैठा आज विश्व के
करोड़ो लोगों की मुस्कान का मालिक...जी हां हम बात कर रहे है...चार्ली चैंपियन की....पैरो
में चमड़े के बड़े बड़े काले जूते....ढीली सी पतलून....एक काला कोट....सर पर टोपी और
हाथ में छड़ी के साथ...चार्ली चैंपियन की ये आकृति हमारे दिलों में ज्यो की त्यों
बरकरार हैं...चार्ली चैपलिन किसी एक देश की परिधि में आने वाली शख्सियत
नहीं...चार्ली वो इंसान है जिसने बिना एक शब्द बोले ही...सारी दुनिया को हंसने पर
मजबुर कर दिया...वर्तमान समय के फूहड़ हास्य में दर्शकों को हँसाने की इतनी ताकत
नहीं है...जितनी चार्ली की मूक फिल्मो में आज भी मौजूद है....नई पीढ़ी भी चार्ली के
अभिनय को एकबारगी देख लेने के बाद तुलनात्मक दृष्टि से दुसरो से बेहतर ही मानती
है....हास्य के माध्यम से करोडों लोगों का चहेता बन जाना कोई साधारण बात नहीं है....लेकिन
चार्ली चैपलिन ने यह कारनामा कर दिखाया... चार्ली विश्व सिनेमा
के आज तक के सबसे बड़े मसखरे माने जाते है...हालांकि उनका शुरूआती जीवन बड़ी ही
कठिनाइयों और अभावों में बिता था...लेकिन उन्होंने परदे पर सदैव हास्य भूमिका ही
अदा की...और लोगो को भरपूर हंसाया और देखते ही देखते बन गए कॉमेडी को एक ऐसा
बादशाह जिसका लोहा हॉलीवुड ही नहीं पूरा विश्व मानता है...चार्ली के जीवन पर एक
शेर बहुत ही सटिक बैठता है...
चार्ली चैपलिन कॉमेडी की दुनिया का एक ऐसा
नाम...जिसे हर कोई जानता है...एक वक्त था कि...जब लोगों के चेहरे पर हंसी बिखेरने
के लिए चार्ली चैपलिन का नाम ही काफी था...बिना कुछ बोले करोड़ों लोगों को चार्ली
ने खुशियां बांटी...ये वो शख्स था जो रोते हुए आदमी को भी हंसने पर मजबूर कर देता
था...लेकिन उनकी खुद की जिंदगी बेहद दुख और गरीबी में गुजरी...बहुत कम ही लोग जानते
हैं...कि चार्ली के मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे छिपे हुए संघर्षपूर्ण जीवन के
बारे में...चार्ली गरीबी और बदहाली की भट्टी में पक कर ऐसा सोना बने...जिसकी चमक
ने करोड़ों लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी...चार्ली चैप्लिन का जन्म एडोल्फ हिटलर के जन्म 4 दिन पहले 16 अप्रैल 1889 को लंदन शहर में हुआ…इनके पिता Charles Chaplin और मां Hannah Chaplin थी...उनके पिता एक गायक और अभिनेता थे… माँ एक गायिका और अभिनेत्री थी...एक बार
चार्ली की माँ स्टेज पर गाना गा रही थी...तभी उनकी आवाज बंद हो गई और...वो आगे
गाना ना गा सकीं...वहां मौजुद ऑडियंस हंगामा करने लगी और...जूते चप्पल स्टेज पर
फेंकने लगी...ऐसे में अपनी मां को बचाने के लिए लगभग 5 साल के चार्ली स्टेज पर आ
गए और...उन्होंने अपनी भोली आवाज में मां के गाने की नकल करने लगे जो...ऑडियंस
उसको काफी फनी लगी और...ऑडियंस ने उन्हें काफी सराहा...स्टेज पर सिक्को की बारिश
होने लगी और...5 साल की उम्र में ये थी...चार्ली चैप्लिन की पहली कमाई...इसके कुछ
दिन बाद चार्ली के माता-पिता तलाक लेकर अलग हो गए...चार्ली को अपने मां साथ एक
अनाथ आश्रम में रहना पड़ा...क्योंकि उनकी मां के पास कोई रोजगार नहीं था...तो
अनाथालय में उनकी मां एक मानसिक रोगी बनकर पागल हो गई...पिता ने दूसरी शादी कर ली
थी और...सौतेली मां ने चार्ली और उनके भाई पर अनेकों अत्याचार किए...चार्ली स्कूल
तो जाते...लेकिन उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता...वो एक एक्टर ही बनना चाहते थे...पैसे
कमाने के लिए चार्ली स्टेज शो करते...और रोजमर्रा की जरुरतों के लिए बहुत से छोटे
मोटे काम किया करते थे...उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य एक्टर बनना ही था...इसलिए
चार्ली नियमित रुप से ब्लैकमोर थिएटर जाते थे...एक बार वो एक स्टेज शो कर रहे थे
तभी...उन पर डायरेक्टर की नजर पड़ी उन्होंने चार्ली की अभूतपूर्व क्षमता को उसी
वक्त पहचान लिया...उस डायरेक्टर के माध्यम से चार्ली की मुलाकात E हैमिल्टन से हुई...हेमिल्टन ने चार्ली को शरलॉक
होम्स नाटक में रोल ऑफर किया था...चार्ली को पढ़ना नहीं आता था...तो इसलिए
डायलॉगों को उन्होंने रटना शुरू किया...शरलौक होम्स सीरीज में एक्टिंग करके
उन्होंने खूब शौहरत कमाई.....हालांकि इसके बाद भी कुछ समय तक चार्ली का जीवन
गर्दिशों के दौर में गुजरा...
वैसे तो चार्ली की जिंदगी बड़ी ही प्रेणादायक
थी...और उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से औऱ भी ज्यादा रोमांचक...आइए आपको ऐसे ही एक
वाक्ये से रूबरू कराते हैं...चार्ली की एक बीवी लिटा ग्रे ने बताया था कि चैपलिन
ने 15 साल की उम्र में उन्हें सिड्यूस किया था...हालांकि चार्ली ने ग्रे से 16 साल
की उम्र में शादी कर ली थी...हालांकि उनकी शादी एक विपदा थी...एक वेबसाइट ने यहां
तक दावा किया कि चैपलिन के तलाक के पेपरों से पता चला कि उन्हें लिटा से शादी करनी
पड़ी थी क्योंकि वो प्रेग्नेंट हो गई थीं....ऐसा ही एक और दिलचस्प और रोमांचक
किस्सा है...चार्ली की जीन्दगी का... एक दिन चार्ली चैपलिन के
एक दोस्त अलेक्जेन्डर कोरदा ने....ये गौर किया कि चार्ली चैपलिन और हिटलर के चेहरे
में काफी समानताएं हैं...बाद में चार्ली को भी ये बात पता चला कि...उसके और हिटलर
के जन्म में एक हफ्ते का ही अंतर था...दोनों ही घोर गरीबी का ताप झेलते शिखरों पर
बैठे हैं...लेकिन इतनी समानता होने के बावजूद चार्ली ने हिटलर के अमानवीय क्रत्यो
को...अपने हास्य नाटको में प्रदशित करने का मन बना लिया....चार्ली ने वर्ष 1937
में 'द ग्रेट डिक्टेटर' फिल्म तैयार कर डाली....जिसमे हूबहु हिटलर के
चेहरे की नक़ल उतारते हुए...वह स्वयं एक यहूदी नाई भी बना और तोमनिया राज्य का
क्रूर तानाशाह एडीनॉड हेंकल भी...इस फिल्म में जर्मनी में हिटलर द्वारा यहूदियो पर
जिए जा रहे अत्याचारो की कहानी बयां की गयी....हालाँकि यह फिल्म वर्ष 1937 में
तैयार हो चुकी थी...लेकिन हिटलर के यूरोप में मचाये हाहाकार के कारण वर्ष 1940 तक
रिलीज़ नहीं हो सकी....यह फिल्म हिटलर और मुसोलिन के बढ़ते अत्याचारो पर सीधा कटाक्ष
थी...स्पेन में तो यह फिल्म वर्ष 1975 तक फ्रांसिसको फ्रांसो की मृत्यु तक थिएटर
पर भी नहीं आ सकी....फिल्म में चार्ली ने एक बड़े से ग्लोब के गिर्द नाचते
हुए....विश्व शांति का सन्देश दिया था 'द ग्रेट डिक्टटर' का अंत यहूदी नाई के रूप में चार्ली के 6 मिनट लंबे भाषण
से होता हैं...जिसमे वह विश्व के अत्याचारो से मुक्त होने के और...एक सुन्दर
भविष्य होने की कामना करता है...चैप्लिन की प्रसिद्धि का आलम ये था कि...1981 में
सोवियत यूनियन के खगोल विज्ञानी ल्यूडमिला जोर्गिएवना कराच्किना द्वारा खोजे
गए...एक छोटे ग्रह 3623 चैप्लिन का नाम भी...चार्ली के नाम पर रखा गया है... चैप्लिन ने दर्जनों फीचर फिल्म और छोटे विषयों पर लिखा...और
उनका निर्देशन और अभिनय किया था...जिनमें विशेष रूप से द इमिग्रंट (1917)... द
गोल्ड रश (1925)...सिटी लाइट्स (1925).... मौडर्न टाइम्स (1936) और...द ग्रेट
डिक्टेटर (1940) शामिल हैं....जो सभी राष्ट्रीय फिल्म रजिस्ट्री में शामिल होने के
लिए चुनी गई हैं....
चार्ली 5 फुट 5 इंच की छोटी हाइट वाले एक दुबले पतले इंसान थे...जो
लोगों को अपनी एक्टिंग से गरीबी और बेकारी में भी...खुश मिजाजी भरा जीवन जीने की
प्रेरणा देते थे...इतिहास गवाह है कि उस दौर में जब पूरी दुनिया विश्वयुद्ध और
आर्थिक मंदी की तबाही से गुजर रही थी...चारों तरफ तानाशाहों का आतंक था...हर तरफ
मौत युद्ध और आतंक का खौफ पसरा था....उस दौर में चार्ली हास्य खुशी और राहत का
उपहार लाए जब अमेरिका प्रथम युद्ध के बाद बिखर रहा था...ऐसे मैं उनसे लड़ने के लिए
चार्ली ने कॉमेडी का सहारा लिया...चार्ली के जीवन में एक दौर ऐसा भी आया....जब वो
अपने इंटरव्यू में वामपंथियों का पक्ष लेते हुए दिखे...जिसके बाद मीडिया ने चार्ली
पर रूसी एजेंट होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया...10 साल तक अमेरिकी सरकार और मीडिया चार्ली के लिए आफत बनी
रही...अमेरिका को लगता था कि चार्ली कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रेरित हैं...और वे
समाज में लोगों को इससे जोड़ने की कोशिश करते हैं....यह बात अमेरिका को खटक रही
थी....इसलिए उसने अपने देश की खुफिया एजेंसी एफबीआई को चार्ली चैपलिन की निजी
जिंदगी से जुड़ी जानकारी जुटाने को कहा....दरअसल चार्ली चैपलिन ज्यादातर लंदन में
ही रहा करते थे...इसलिए एफबीआई ने उनसे जुड़ी जानकारी जुटाने का जिम्मा 'एमआई 5' को सौंप दिया...चार्ली की फिल्म लाइमलाइट 1952 में रिलीज हुई लेकिन
अमेरिका में उस फिल्म को बैन कर दिया गया...चार्ली को अमेरिका से बहुत लगाव
था...उन्होंने यहीं पर अपनी पहली शादी की थी...लेकिन अमेरिका की बेरुखी से वह अंदर
तक टूट चुके थे...उनकी पत्नी और वह अमेरिका की नागरिकता वापस लौटा कर लंदन आ
गए...लेकिन यहां पर सही घर नहीं मिलने की वजह से वो स्विट्जरलैंड जाकर बस
गए...यहीं पर चार्ली की मुलाकात जवाहरलाल नेहरू और...उनकी बेटी इंदिरा से हुई
चार्ली ने अपनी आत्मकथा में लिखा वह महात्मा गांधी के विचारधारा से प्रेरित
हुए....एक बार चार्ली कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल से मुलाकात के
दौरान उन्होंने गांधी से मिलने की इच्छा जाहिर की...संयोग से उस समय गांधीजी
गोलमेज सम्मेलन के लिए लंदन आए हुए थे....जहां चार्ली की गांधी जी से मुलाकात बहुत
ही रोमांचक ढंग से हुई...गांधी जी एक झुग्गियों वाले इलाकों में डेरा डाले हुए
थे...जहां चार्ली चैप्लिन खुद जाकर उनसे मिलने पहुंच गए....जहां चार्ली ने भारत की
आजादी पर हो रहे आंदोलनों पर अपना नैतिक समर्थन दिया...चार्ली को अपने अभिनय और
कॉमेडी के लिए अनेक अवार्ड मिले....1940 में द ग्रेट डिटेक्टर के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर....1952 में उनकी फिल्म लाइमलाइट
ने म्यूजिक के लिए ऑस्कर अवार्ड जीता...चार्ली की प्रसिद्धि इतनी है कि...1995 में ऑस्कर अवॉर्ड के दौरान
द गार्जियन न्यूज़ पेपर ने एक सर्वे किया....जो यह जानना चाहता था कि दर्शकों का
पसंदीदा एक्टर कौन है...सर्वे रिपोर्ट को देखते हुए किसी को आश्चर्य नहीं हुआ
कि...चार्ली अधिकतर लोगों की पसंद है....आज भी वह लगभग सभी के दिलों में बसते
हैं....उनकी एक्टिंग से आज की पीढ़ी भी सीख ले रही है....और आज भी कई एक्टर उनके
एक्टिंग की नकल करते हैं....माइकल जैक्सन ने चार्ली चैप्लिन के लिए कहा था कि वह
उनके जैसा बनना चाहते हैं....उनका जीवन एक ऐसा कहानी है जो दुख दर्द और आंसुओं के
साए में भी खुशियों से हंसना सिखाती है....1977 में जब दुनिया 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के दिन जीसस क्राइस्ट का जन्म दिन
मना रही थी....उसी दिन कॉमेडी के महानायक चार्ली चैप्लिन इस दुनिया को अलविदा कह
गए...चार्ली की मुफलिसी का दौर उनकी मौत के बाद भी नहीं थमा...चैपलिन की मौत के
लगभग दो महीने बाद अचानक एक दिन उनकी कब्र खाली मिली....जांच में पता चला कि
चैपलिन के कॉफिन को चुरा लिया गया है...और चोरों ने कॉफिन लौटाने के लिए 600,000 स्विस फ्रैंक्स की मांग
रखी...चैपलिन की पत्नी ऊना चैपलिन ने यह पैसे देने से यह कहकर मना कर दिया कि
चैपलिन मेरे दिल में...और स्वर्ग में हैं...आज भले ही चार्ली चैप्लिन इस दुनिया
में ना हो पर उनका अभिनय आज भी उदास चेहरों पर मुस्कान ला रहा है....
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