भक्तों को भगवान के चमत्कार देखने में बहुत मजा आता है... भगवान अगर चमत्कार
ना दिखायें तो भक्तों को लगने लगता है कि वह भगवान है ही नहीं...और हनुमान जी अपने
भक्तों को कभी भी अपने चमत्कारों से वंचित नहीं रखते...भगवान हनुमान जिन्हे स्वयं
कलयुग का साक्षात देव बताया गया है...वही हनुमान लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में
पिछले 45 सालों से लगातार अपना चमत्कार दिखा रहे हैं... हनुमान सेतु नाम के इस
मंदिर में भक्त अपनी परेशानी एक पर्ची पर लिखकर लाते हैं और हनुमान को दे जाते हैं...भगवान
हनुमान सभी अर्जियों को पढ़ते हैं और कुछ ही समय में भक्तों की समस्याओं का निदान
करते हैं...यही कारण है कि लखनऊ के हनुमान सेतु नाम के इस मंदिर को अर्जी वाले
हनुमान का मंदिर भी बोलते हैं...ये मन्दिर अपने आप में इकलौता ऐसा मंदिर है...जहां
बाबा हनुमान भक्तों की समस्याएं इस प्रकार से लिखित में स्वीकार करते हैं... और
उनका निदान करते हैं...तो आइये आज हम आपको हनुमान के इस अनोखे और अद्भुत मंदिर की पुरी
जानकारी देते हैं...हनुमान सेतु मंदिर, लखनऊ में गोमती नदी के किनारे बना एक हनुमान मंदिर है...यह मंदिर नदी
पर बने एक पुल के किनारे बना है...इस कारण इस पुल को हनुमान सेतु और मंदिर हनुमान
सेतु मंदिर कहा जाता है...यह मंदिर नीम करौरी बाबा के द्वारा बनवाया गया है...जिन्हे
स्वयं हनुमान जी का अवतार माना जाता है...मंदिर के निर्माण के समय ही नीम करोरी
बाबा ने बोल दिया था कि...आने वाले समय में जो भक्त यहाँ आ नहीं सकते वह अपनी समस्या
चिठ्ठी के जरिये भेजा करेंगे और...हनुमान जी सभी की समस्याओं का निदान किया करेंगे...इस
मंदिर से लगा बाबा का भी एक मंदिर बना है... हनुमान सेतु की गणना लखनऊ के
प्रसिद्ध् मंदिरों में होती है... जिस सेतु के किनारे यह मंदिर बना है वह सेतु
लखनऊ विश्वविद्यालय से हज़रतगंज को जोड़ता है...पहले इस स्थान पर मंकी ब्रिज हुआ
करता था... जो 1962 में आई गोमती नदी की बाढ़ में बह गया था...उस ही स्थान पर नया
सेतु बनाया गया...सेतु के किनारे ही लखनऊ विश्वविद्यालय का यूनियन भवन और
केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआराई) की आवासीय कालोनी है....दूसरी ओर सेतु
से उतरते ही परिवर्तन चौक है...जिसके दायीं ओर होटल क्लार्क्स अवध एवं छतर मंजिल
है...1970 के दशक में मंदिर के पुनः निर्माण के समय बाबा ने इस मूर्ति का मुंह
सड़क की ओर करवाया ताकि आने-जाने वालों को पवनसुत हनुमान के दर्शन
आसानी से हो सकें...
हनुमान सेतु की गणना लखनऊ के प्रसिद्ध् मंदिरों में होती है...हनुमान
सेतु मंदिर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है...मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जब 70
के दशक में लखनऊ में बड़ी भयंकर बाढ़ आई थी.... मन्दिर के बड़े पुजारी भगवान सिंह
बिष्ट ने बताया कि गोमती पुल बनने और हनुमान सेतु मन्दिर की स्थापना से कुछ वर्ष
पूर्व गोमती का जल स्तर बढ़ने से हर साल खतरा बना रहता था...1962 में बाढ़ के बाद
बाबा की तपोस्थली व पुराने मन्दिर के पास रहने वालों से स्थान छोड़ने को कहा गया...खतरे
को देखते हुए सभी ने जमीन खाली कर दी, लेकिन बाबा नीब करौरी नहीं गए...तब गोमती नदी में इतना सैलाब था कि...वह
सब कुछ अपने साथ बहा ले गयी थी....किन्तु तब के इस मंदिर में हनुमान की प्रतिमा को
वह जल हिला नहीं पाया था....बाबा नीव करौरी ने यहाँ आकर बाढ़ को अपने आशीर्वाद से
शांत कराया थाकुछ समय बाद सरकार ने पुल का निर्माण शुरू करा दिया...यह कार्य
कोलकाता के एक बिल्डर को मिला था...बाढ़ जब चली गयी तो प्रशासन ने गोमती मंदिर पर
पुल बनाने के कई असफल प्रयास किये थे...जब भी नदी पर पुल बनाया जाता था तो वह किसी
ना किसी कारण से गिर जाता था....अंत में हारकर पुल बनाने वाले कुछ अधिकारी नीम
करौरी बाबा के पास गये थे और तब बाबा ने अधिकारीयों को बोला...कि हनुमान ने तो राम
कृपा से समुद्र पुल का भी निर्माण करा दिया था...आप सभी बस यह प्रण लो कि पुल बनने
के बाद हनुमान बाबा का मंदिर निर्माण करा देंगे...हनुमान सेतु मंदिर के बारें में
यह भी बोला जाता है कि इस हनुमान मंदिर में बाबा नीव करौली बाबा आज भी विराजमान है
और समय-समय पर वह अपने होने का अहसास भक्तों को करा देते हैं...इसके बाद पुल भी
बना और बाद में अधिकारीयों ने हनुमान भगवान का यह मंदिर भी बनवाया था...यही कारण
है कि इस मंदिर का नाम हनुमान सेतु मंदिर पड़ा है....हनुमान सेतु मंदिर में जो भी
भक्त आता है...वह मंदिर में ही हनुमान के दर्शन किसी ना किसी रूप में जरुर कर लेता
है....हनुमान भगवान पिछले कुछ 45 सालों से यहाँ आने वाले हर भक्त की जायज मांग
पूरी कर रहे हैं...और यही हनुमान भगवान का चमत्कार है जो निरंतर होता आ रहा है...चाहें
आप पवनपुत्र के आशीर्वाद के इच्छुक हों...या चाहते हैं कोर्ट कचहरी के मुकदमों से
मुक्ति...या बनते बनते रुक जाते हैं आपके काम...तो लिखीए पवनपुत्र को एक
चिट्ठी...चिट्ठी वाले हनुमान करेंगे आपकी हर मुराद पुरी..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें