आकाश में ग्रह नक्षत्रों की चाल बदलते ही किस्मत बदल जाती है। यह सब
नौ ग्रहों के 12 राशियों में संचरण से होता है। इन्ही नौ ग्रहों में से एक है शनि
देव। शनि देव सदैव से जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। पौपौराणिक कथाओं के अनुसार
शनिदेव कश्यप वंश की परंपरा में भगवान सूर्य की पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव
को सूर्य पुत्र के साथ-साथ पितृ शत्रु भी कहा जाता है। शनिदेव के भाई मृत्यु देव
यमराज हैं और बहन का नाम यमुना और क्रूर स्वभाव की भद्रा नक्षत्र हैं। शनिदेव का
विवाह चित्ररथ की बड़ी पुत्री से हुआ था। आज के ही दिन ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष
की अमावस्या को शनिदेव का जन्म उत्सव मनाया जाता है। शनिदेव का जन्म स्थान
सौराष्ट्र में शिंगणापुर माना गया है। हनुमान,
भैरव, बुध और राहू को शनि देव अपना मित्र मानते हैं। शनिदेव का वाहन गिद्ध
है और उनका रथ लोहे का बना हुआ है। शनिदेव अपना शुभ प्रभाव विशेषतः कानून, राजनीति और अध्यात्म
के विषयों में देते हैं। शनि के बुरे प्रभाव से गुर्दा रोग, डायबिटीज, मानसिक रोग, त्वचा रोग, वात रोग और कैंसर हो
सकते है जिनसे राहत के लिये शनि की वस्तुओं का दान करना चाहिये। कहा जाता है जब शनिदेव अपनी माता
छाया के गर्भ में थे, तब शिव भक्तिनी माता ने तेजस्वी पुत्र की कामना हेतु भगवान शिव की घोर
तपस्या की जिस कारण धूप और गर्मी की तपन में शनि का रंग गर्भ में ही काला हो गया
लेकिन मां के इसी तप ने शनिदेव को अपार शक्ति भी दी। शनि एक धीमी गति से चलने वाला
ग्रह है। पुराणों में यह कहा गया है कि शनिदेव लंगड़ाकर चलते हैं जिस कारण उनकी गति
धीमी है। उन्हें एक राशि को पार करने में लगभग ढा़ई वर्ष का समय लगता है। न्याय के
देवता शनि कर्मों के अनुसार ही मनुष्य को फल देते हैं, वह अच्छे कर्म करने
वालों को जहां लाभ पहुंचाते हैं, वहीं बुरे कर्म करने वालों को दंड भी देते हैं। तभी तो कहते हैं कि
शनि मनुष्य के कर्मों के अनुसार न्याय करते हुए राजा को रंक और रंक को राजा भी बना
देते हैं।
ज्येष्ठ माह का अमावस्या के दिन देश भर में शनि जयंती मनाई जाती है..
माना जाता है कि इस दिन भगवान शनि की सही तरीके से पूजा करने से उनके प्रकोप से
बचा जा सकता है.. वहीं अगर किसी की कुंडली में शनि की दशा खराब चल रही है तो भी इस
दिन उनकी आराधना करने से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। न्याय के देवता शनि
कर्मों के अनुसार ही मनुष्य को फल देते हैं,
वह अच्छे कर्म करने वालों को जहां लाभ पहुंचाते
हैं, वहीं बुरे कर्म करने वालों को दंड भी देते हैं। शनि देव को प्रसन्न
करने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत खास है। इस बार कई साल बाद शनि जयंती गुरुमुखी योग में
है। यह योग जिन राशि पर साढ़े साती या ढय्या चल रही है उनके लिए मंगलकामनाएं
बरसेगी। इसके लिए जातक को भगवान शनि की पूरा-अर्चना हवन-अनुष्ठान कर भगवान शनि को
प्रसन्न करना होगा.. शनि को खुश करने के लिए बजरंगबली और प्रथम पूज्य गणेश जी का
पूजन करने से भी काम बनते हैं। हनुमान भक्तों को शनि परेशान नहीं करते हैं। कहते
हैं कि रावण ने शनि को अपने दरबार में उल्टा लटकाकर रखा था। लंका दहन के दौरान
हनुमान जी ने ही शनि के बंधन तोड़े और उन्हें रावण की कैद से आजाद कराया था। उसी
समय शनि ने वादा किया कि वे हनुमान भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे, खासतौर से साढ़े साती
के समय में। शनि जयंती पर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रात: सूर्य उदय से पूर्व
शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करके स्नान करें। काले रंग की लोहे की चौंकी पर
काला वस्त्र बिछा कर शनि देव का विधिवत पूजन करें अथवा मंदिर में शनि देव पर काला
वस्त्र और सुरमा जरूर चढाएं। शनि देव को काला रंग अति प्रिय है। सरसों के तेल का
दीपक जलाएं, नीले या काले पुष्पों से उनका पूजन करें। प्रसाद के रूप में श्री फल
के साथ अन्य फल चढ़ाएं। इस दिन गाय, कौवे और काले कुत्ते को तेल लगाकर रोटी या कोई वस्तु जरुर खिलाएं।
बुजुर्गों और जरुरतमंदों की सेवा और सहायता करें। उन्हें मीठी और नमकीन वस्तुएं
खिलाएं। इस दिन अंधों को खाने-पीने की वस्तुएं खिलाएं। उड़द से बनी वस्तुओं का दान
करने से भगवान शनि बड़े प्रसन्न होते हैं। काले उड़द, लोहे से बना सामान, तेल से बनी वस्तुओं
का भोग लगाएं। पीपल के पेड़ पर भी तेल का दीपक जलाएं। और हनुमान जी का भी पूजन
करें।
भगवान शनिदेव को ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माना गया है और वह मनुष्य
को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यही एक वजह हैं कि लोग उनकी पूजा में बहुत
सावधानी बरतते हैं और उनकी प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करते
हैं. देश के हर कोने में शनिदेव को पूजा जाता है और उनके ये छह मंदिर पूरे देश में
प्रसिद्ध हैं...
शनि शिंगणापुर
महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी
है.. लोग इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान मानते है. ऐसा कहा जाता है कि यहां
शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है. घर है परंतु दरवाजा नहीं और वृक्ष है लेकिन छाया
नहीं है. शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा लगभग
पांच फीट नौ इंच ऊंची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां
आकर शनिदेव की इस दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन लाभ लेते हैं.
शनि मंदिर इंदौर
इंदौर में शनिदेव का प्राचीन और चमत्कारी मंदिर जूनी इंदौर में स्थित
है. यह मात्र हिंदुस्तान का ही नहीं, दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर
में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे. इस मंदिर के बारे में एक कथा
प्रचलित है कि मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पूर्व एक 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी
के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे.
शनिचरा मंदिर, मुरैना
मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी एंती गांव में शनिदेव मंदिर का
देश में विशेष महत्व है. देश के सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर में प्रतिष्ठत
शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष है. माना जाता है कि ये प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे
एक उल्कापिंड से निर्मित है. ज्योतिषी और खगोलविद मानते है कि शनि पर्वत पर निर्जन
वन में स्थापित होने के कारण यह स्थान विशेष प्रभावशाली है. महाराष्ट्र के
सिगनापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ले जाई गई है.
कहते हैं कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें मुरैना
पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था. मंदिर के बाहर हनुमान जी की
शनि मंदिर, प्रतापगढ़
भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के
प्रतापगढ़ में स्थित है जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है. प्रतापगढ़ जिले के
विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का
प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं. कहते हैं कि
यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है.
चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है.
शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी
यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है. यहां
शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति है है जो अष्टधातुओं
से बनी है. कहा जाता है कि यहां की
परिक्रमा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यदि कुंडली में शनि दोष हो तो शनि भगवान के दर्शन और
पूजा-अर्चना करने मात्र से सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इसी वजह से इस मंदिर में साल
भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
शनि मंदिर, तिरुनल्लर
शनिदेव को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु के नवग्रह मंदिरों में से एक है.
भारत में स्थित शनिदेव का यह सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि
शनिदेव के प्रकोप के कारण किसी व्यक्ति को बदकिस्मती, गरीबी और अन्य बुरे
प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है. इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से शनि
ग्रह के सभी बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है.
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