अगला घोटाला है, मिर्ज़ापुर ज़िले का जहां
जसोवर में स्टोडियम का निर्माण मायावती के शासनकाल से चल रही है लेकिन पूरा अबतक
नहीं हुआ। सालों से स्टेडियम बन रहा है और नेता और अधिकारी घोटाले का खेल, खेल
रहे हैं। स्टेडियम बनाने का ठेका जिस कंपनी को दिया गया उसने भी जमकर भ्रष्टाचार
किया। जांच में दोषी भी पाई गई। लेकिन फाइल कभी ऊपर नहीं आ सकी।ज़िलावार जैसे
योजनाएं चलती हैं वैसे सपा सरकार में ज़िलावार घोटाले चले कहीं पानी घोटला, कहीं
सड़क घोटाला कहीं लैपटॉप घोटाला। जसोवर स्टेडियम बनाने में करोड़ो के वारे न्यारे
किए गए। मानक से दो गुना धन खर्च होने के बावजूद जसोवर में स्टेडियम का निर्माण
पूरा नहीं हो पाया। निर्माण कार्य में मानकों की अनदेखी कर निर्माण एजेंसी ने
करोड़ों का गोलमाल किया। इसका खुलासा एक आरटीआई के ज़रिये हुआ। प्रदेश में सीएम
योगी की सरकार आई तो तमाम योजनाओं में अफसरों का घाल मेल सामने आने लगा। सीएम की
कड़ी फटकार के डर से शासन ने तुरंत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टीम गठित कर दी औऱ
मामले की जांच की तो लाखों रुपये का घोटाला उजागर हुआ। परते खुलीं तो पता चला की
घोटाले की फाइलें शासन स्तर पर दबा दी गयी थीं। मिर्ज़ापुर जसोवर में स्टेडियम
निर्माण के लिए 2010 में मायावती सरकार के दौरान शासन ने 2.12 करोड़ रुपये इस शर्त
पर खेल निदेशालय को धन दिया था कि दो साल में स्टेडियम का निर्माण पूरा करा दिया
जाए। इसके अलावा कोई धन नहीं दिया जाएगा। विभाग ने इस काम के लिए कार्यदायी संस्था
र्पक्सफेड को धन मुहैया करा दिया। जिसके बाद अधिकारियों की मिलीभगत से इसमें लाखों
का बंदरबाद हुआ और घटिया निर्माण के चलते स्टेडियम की बाउंड्रीवाल निर्माण के समय
ही भर भराकर गिर गई। वहीं इस मामले पर जब विकास अधिकारी से बात की गई तो आप भी
सुनिये जनाब कैसे हरिश्चंद्र के किरदार में आ गए। कार्यदाई संस्था की उदासीनता और
पूववर्ती सरकार के नुमाइंदो की मिलीभगत के कारण स्टेडियम का निर्माण समय से नहीं
हो पाया। संस्था को अब तक 3.97 करोड़ रुपये मुहैया कराया जा चुका है लेकिन अब तक न
तो खेल का मैदान बना ना हीं स्टेडियम। नेताओं से लेकर स्टेडियम का खेल फाइलों में
होता रहा औऱ भ्रष्टाचार के चौके-छक्के योगी सरकार बनने के पहले तक लगते रहे।
जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट जिसमें कार्यदायी संस्था को दोषी पाया गया था वो अब तक
धूल फांक रही है।
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