रविवार, 1 अक्टूबर 2017

जलपरियों का रहस्य

जलपरी
जलपरी या मत्स्यकन्या किसी भी नाम से पुकार लो आज यह हमारे सामने एक प्रश्च चिन्ह की तरह खड़ी है... जलपरी ऐसा जलीय जीव है जिसके शरीर का ऊपरी हिस्सा औरत का और निचला भाग मछली जैसा होता है.. दुनिया के लगभग हर देश में जलपरी एक बहस का विषय बना हुआ है.. जलपरी का जिक्र हमें हर देश की पौराणिक कथाओं में देखने को मिलता है.. जलपरी के बारे में प्रचलित कुछ दंत कथाएं हैं जो इनके वजूद की पुष्टि करती है.. पौराणकि कथाओं के अनुसार जलपरियां सुरीली धुन में गाना गा कर इंसानों को अपनी ओर आकर्षित करती थी जिससे उनका ध्यान भटक जाता था.. उनकी मधुर घ्वनि को सुनकर मनुष्य समुद्री जहाज़ से पानी में कूद जाते थे... कई बार पूरा का पूरा जहाज ही समुद्र की तह में समा जाता था.. कुछ ऐसी कहानियाँ भी प्रचलित है जिसमें जलपरियां डूबते हुए इंसानों की मदद करने के प्रयास में उनकी जान भी ले लेती थी.. क्योंकि वह ऐसा प्रयास करने के दौरान यह भूल जाती है कि मनुष्य पानी के भीतर साँस लेने में असमर्थ होते हैं.. जलपरियों का जिक्र हमें महाभारत और रामायण में मिलता है.. रामायण के थाई और कम्बोडियाई संस्करणों में रावण की एक बेटी का उल्लेख मिलता है.. जिसका नाम ता सुवर्णमछा य़ानी की सोने की जलपरी...  थाई रामायण के अनुसार ही जब हनुमानजी लंका तक सेतु बनाने का कार्य कर रहे थे.. तब वह सुवर्णमछा उन पर मोहित हो गईं थी..ठीक इसी तरह हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि श्रीहरि ने अपना पहला अवतार मत्स्य का लिया था.. मत्स्य अवतार में उनके कमर के नीचे का भाग मछली का था और ऊपरी भाग मनुष्य की तरह था.. महाभारत के अनुसार अर्जुन की पत्नी उलूपी का भी जिक्र कई जगह जलपरी के रूप में किया है.. उलूपी एक नाग कन्या थी जो पानी में रहती थी.. एक पौराणिक ग्रीक मान्यता है कि जब भी कोई नाव या पानी का जहाज दुर्घटनाग्रस्त होने वाला होता है, तो तट से जलपरियों की अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगती हैं.. एलेक्ज़ेंडर द ग्रेट की एक बहन का जिक्र भी जलपरी की तरह किया गया है.. वह हर आने वाले नाविक से पूछती थी क्या एलेक्ज़ेंडर जिंदा है? लोग जवाब देते थे हां और वह विश्व विजय के अभियान पर है.. हां में जवाब देने वाले अपनी नाव सहित सुरक्षित निकल जाते थे.. जबकि दूसरा जवाब सुनने पर वह जल परी उस जहाज को जलसमाधि दे देती थी.... अगर हम चीनी कथाओं पर नज़र डाले तो पुरानी चीनी दंतकथाओं में जलपरियां एक बेहद खास जीव हुआ करती थी जिनके आंसू मोतियों में बदल जाया करते थे.. जिस कारण मछुआरें इन्हें पकड़ने की कोशिश में लगे रहते थे.. लेकिन वह इतनी सुरीली होती थी कि अपने गाने से मंत्र मुग्ध कर मछुआरों को पानी के भीतर खींच लिया करती थी..

गहरे समंदर के अंदर क्या कुछ छिपा है कहा नहीं जा सकता,पर फिलहाल कुछ तटों पर पाए गए कंकालों को जल परी का नाम दे ही दिया गया है.. जलपरी का जिक्र हर देश की पौराणिक कथाओं में भी देखने को मिलता है... लेकिन कई वैज्ञानिक एक भ्रम मानते हैं.. सचमूच अगर जलपरी भ्रम है तो क्या हम अब भी इस बात से इंकार कर दे.. कि इनका वजूद कभी था ही नहीं? अब हमारे सामने सवाल यह खड़ा होता है कि अगर इनका अस्तित्व था ही नहीं तो फिर इनकी कल्पना प्राचीनकाल से कैसे की जाती रही है क्या ऐसा हो सकता है कि जिस चीज़ का वजूद ही नहीं हो वह हमारी कथाओं का हिस्सा हो या फिर सच्चाई कुछ और है.. अगर हम आये दिन सोशल मीडिया की खबरों पर नज़र डाले तो जलपरियों के देखे जाने के दावे समय-समय पर किए जाते रहे है.. ऐसा दावा करने वालों में जावा, पाकिस्तान, ब्रिटिश, कोलंबिया और दो कनेडियाई घटनाओं तक को शुमार किया जा सकता है.. जो वैकुवर और विक्टोरिया के नज़दीकी इलाकों में हुई थी.. हाल फिलहाल में भारत के पोरबंदर के पास माधुपुरा गाँव के पास समुद्र तट पर एक जलपरी मृत अवस्था मिलने की खबरें सोशल मीडिया में काफी छाई हुई थी.. हलांकि इन घटनाओं के पीछे कितनी सच्चाई है यह तो कहना मुश्किल है.. अगर हम वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की दृष्टि से देखे तो मर्मेड या जलपरी जैसे किसी भी जीव का कोई वजूद नहीं है, यह सिर्फ मनुष्य द्वारा कि गई एक कोरी कल्पना है.. मनुष्य की यह फितरत होती है कि जब तक वह अपनी आँखों से कोई चीज़ देख न ले तब तक उसके होने न होने को लेकर वह असमंजस में रहता है और यदि जलपरी का वाकई कोई वजूद है तो वह एक न एक दिन हमारे सामने जरूर आएगी।
जलपरियों को लेकर मनुष्यों का आकर्षण काफी पुराना है.. जितनी बातें, उतने ही किस्से.. किसी ने आंखों से देखने की बात कही और किसी ने उनकी आवाज सुनने का जिक्र किया.. लोक कथाओं में तो पूरे संसार में जलपरियों का जिक्र है.. अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया सभी जगहों पर जलपरियों से जुड़ी बातें सुनने को मिल जाएंगी.. पर सबसे पहले इसका जिक्र कहां और कैसे हुआ इसका सटिक जवाब बताना मुश्किल है.. जब भी कहीं बाढ़ या समुद्री तूफान आए हैं तो जलपरियों के देखे जाने की घटनाएं सुनाई देती हैं.. समय समय पर काफी नाविकों ने भी दावा किया कि है कि उन्होंने जलपरी को देखा है, पर यह आंखों का धोखा भी हो सकता है.. हो सकता है उन्होंने किसी ऐसे जलीय जंतु को देखा हो जो मानवाकृति से मेल खाती हो.. साल 2009 में भी दर्जनों लोगों ने इजराइल के एक तट पर जल परी की तरह ही दिखती एक आकृति को समुद्र में उछलते और कलाबाजियां करते देखा था.. सुनामी आने के बाद भी एक तट पर ऐसी ही मृत जलपरी देखे जाने की बात कही गई थी.. पता नहीं सच है या झूठ पर जलपरियां सदियों से चर्चा का विषय रही हैं.. इन जलपरियों की कहानी कई हजार साल से सुनी सुनाई जाती रही हैं.. लेकिन अरब और ग्रीक देशों में इनके बारे में काफी कुछ लिखा और कहा गया है.. अपनी कैरेबियंस की यात्रा के दौरान कोलंबस ने भी ऐसा ही कुछ देखने का जिक्र किया था..  1493 में कोलंबस ने भी कहा था कि उन्होंने हाइती ओशन पर तीन जलपरी देखी थी.. कोलंबस ने अपने एक लेख में भई लिखा था, कि उसकी आंखों के सामने समुद्र में मानव मछली की तरह का एक जंतु दिखाई दिया था, पर उसका चेहरा सुंदर न हो कर वीभत्स था.. इसे एक दुर्भाग्य का संकेत मान कर उसने अपना जहाज वहां से तुरत हटाने का आदेश दिया था..

जलपरी के बारे में पढ़ना... उन्हें देखना और जानना... हममें से कई लोगों को काफी पसंद हैं.. जलपरी के बारे में जानने की एक वजह उनका अजीबोगरीब रूप है.. उनके अस्तित्व को लेकर अब तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई थी.. लेकिन, हाल ही में डॉक्टरों ने उनसे जुड़ी एक बात का खुलासा किया है.. पेशे से एक मेडिकल हिस्टोरियन लिंडसे फिट्सहैरिस ने बताया कि ऐसा संभव है कि जलपरी का पूरी अवधारणा एक इंसानों को होने वाली एक मेडिकल कंडिशन से जुड़ी है.. ऑक्‍सफॉर्ड युनिवर्सिटी पासआउट लिंडसे बताती हैं कि इस मेडिकल कंडिशन को साइरनोमेलिया कहते हैं.. इसे आम भाषा में मरमेड सिंड्रोम नाम से भी जाना जाता है.. ये बीमारी एक लाख बच्चे में किसी एक को होती है.. मरमेड सिंड्रोम नाम की इस बीमारी में किसी नवजात के पैर नीचे से चिपके होते हैं.. इसके पीछे की वजह लिंडसे बताते है कि जब गर्भ में विकास के दौरान मां की गर्भनाल दो धमनियां बनाने में असफल हो जाती है, तो बच्चे के पैर अलग नहीं हो पाते हैं.. वो शरीर के किसी और अंग की ही तरह चिपके हुए बढ़ते हैं.. एसे बच्चों को देखकर ऐसा आभास होता है कि जैसे उनके पैर किसी जलपरी की तरह हों, लेकिन ये एक मेडिकल कंडिशन होता है.. अब तक इस बीमारी के ज्यादा मामले नहीं आए हैं। जुड़े पैर वाले बच्चे जल्दी खत्म हो जाते हैं.. वो जन्म के कुछ ही दिनों तक जिंदा रहते हैं.. विशेषज्ञों के मुताबिक मरमेड सिंड्रोम होने की एक वजह पैरो का मुड़ जाना भी है... गलती से अगर विकसित हो रहे बच्चे के पैर गलत दिशा में घूम जाएं तो भी इस सिंड्रोम के होने का खतरा रहता है..




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